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आपने कहा कि जस्टिस कर्णन पागल है, पर आप भी कम दोषी नहीं है मीलार्ड!
शिव कुमार मिश्र
9 May 2017 3:55 AM GMT
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अरूणाचल के मुख्यमंत्री कालिखो पुल के सुसाइड-नोट में आपकी पूरी न्यायपालिका पूरी तरह नंगी है
लखनऊ : मामला था एक बड़ी शख्सियत की आत्महत्या और उसके सुसाइड नोट का, जिसमें देश की न्यायपालिका, प्रशासन-नेताओं पर गम्भीर आरोप लगाये गये थे। आरोप लगाया गया था कि यह सब के सब लोग देश को तबाह करने पर आमादा हैं। पैसा लेकर इस देश में कुछ भी खरीदा या बेचा जा सकता है, चाहे वह किसी की जान हो, या फिर व्यवस्था की हत्या। मृतक के पत्र को लेकर उसकी पत्नी सीधे अदालत पहुंची और कहा कि उस पत्र में दर्ज आरोपों की प्रशासनिक जांच करायी जानी चाहिए। लेकिन इसी बीच खेल हो गया। बात हो रही थी ईरान की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के जज साहब तूरान की ओर निकल गये। उन्होंने उस मृतक की पत्नी की याचिका पर प्रशासनिक जांच कराने का आदेश देने के बजाय खुद ही न्यायिक कार्रवाई शुरू कर दी।
यह मामला है अरूणाचल के मुख्यमंत्री रहे कलिखो पुल का। पुल ने पिछले आठ अगस्त को ईटानगर के अपने सरकारी आवास में आत्महत्या कर ली थी। लेकिन आत्महत्या के पहले पुल ने एक लम्बा-चौड़ा पत्र लिखा, जो 60 पन्नों में दर्ज है। इस पत्र में अरूणाचल से लेकर दिल्ली तक के बड़े मंत्रियों और नेताओं की काली-करतूतों को पूरा कच्चा-चिट्ठा बयान किया गया है। लेकिन सबसे बड़ा आरोप तो सीधे देश की न्यायपालिका की शीर्ष संस्था सर्वोच्च न्यायालय पर लगाया गया। पुल ने लिखा कि जज और वकीलों की जुगलबंदी ने न्याय को तबाह कर दिया है। पत्र के अनुसार कपिल सिब्बल जैसे लोगों के इशारे पर सुप्रीम कोर्ट का हर फैसला होता है।
पुल ने लिखा कि सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति शासन को लेकर जो फैसला दिया उसके बाद मेरा न्यापालिका से विश्वास उठ गया। कपिल सिब्बल की कोर्ट में लॉबी बनी हुई है। हर वकील और हर जज कपिल सिब्बल के इशारे पर फैसले देते हैं। हर फैसले के लिए डील होती है। कपिल सिब्बल ने पेमा खांडू के लिए सोनिया गांधी के कहने पर केस लड़ा और राज्यसभा सांसद बना दिए गए।
अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कालिखो पुल का सुसाइड नोट कैंपेन फॉर ज्यूडिशियल अकाउंटेबिलिटी एंड रिफॉर्म्स (सीजेएआर) ने सार्वजनिक किया है। इस सुसाइड नोट में हाईकोर्ट के कई पूर्व और वर्तमान जजों को घूस देने के दावे किए गए हैं। इस नोट में न्यायपालिका से जुड़े चार बड़े लोगों को रिश्वत दिए जाने का जिक्र है। साथ ही पार्टियों के नामों के साथ वरिष्ठ राजनेताओं के नाम भी लिखे हैं जिन्हें पुल ने रिश्वत के पैसे दिए थे। यह सुसाइड नोट 60 पन्नों का है और हिंदी में है। गौरतलब है कि कालिखो पुल ने पिछले साल आठ अगस्त को आत्महत्या कर ली थी।
पुल के सुसाइड नोट में लिखा है, "(जज का नाम) ने 36 करोड़ रुपये की घूस लेकर गलत फैसला दिया था। जिसे उन्होंने अपने बेटे के जरिए समझौता किया। जबकी वो फैसला गलत था। गुवाहाटी हाईकोर्ट ने (सीनियर मंत्री का नाम) के खिलाफ की गई सुनवाई में (नाम) को दोषी ठहराते हुए सीबीआई की जांच के आदेश दिए थे। लेकिन उसी केस में (नाम) ने 28 करोड़ रुपये की घूस देकर स्टे लिया और आज भी खुले आम घूम रहे हैं।"
पुल ने नोट में एक जगह लिखा, "सरकार को जज के फैसले पर भी निगरानी रखनी चाहिए और सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए कोई कानून बनाना चाहिए ताकि इस कानून की मदद से न्यायालय में भ्रष्टाचार को रोका जा सके। अरुणाचल राज्य में हुए पीडीएस घोटाले केस को राज्य सरकार ने गलत बताया, एफसीआई ने गलत बताया और केंद्र सरकार ने भी गलत बताया फिर भी सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों को खुला छोड़कर उनका पूरा पेमेंट करने का आदेश दिया। जिससे राज्य का विकास कोष खाली हो गया।"
गौरतलब है कि कालिखो पुल कांग्रेस विधायक थे लेकिन बाद में वे भाजपा के साथ चले गए थे और सीएम बन गए थे। इसके बाद केंद्र सरकार की ओर से वहां पर राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। इसे सुप्रीम कोर्ट ने गलत ठहराते हुए हटाने का आदेश दिया था। इसके चलते पुल को इस्तीफा देना पड़ा था। इसके कुछ ही दिन बाद उन्होंने सुसाइड कर ली थी।
इतना ही नहीं, पुल ने खुलासा किया है कि उनके हक में फैसला देने के लिए सुप्रीम कोर्ट के जजों ने 86 करोड़ रूपयों की मांग कर ली थी। सुसाइड नोट के 12वें पेज में में कलिखो पुल ने लिखा कि सुप्रीम कोर्ट में चल रहे केस का पूरा खर्च नबाम तुकी और पेमा खांडू ने दिया था। यह रकम करीब 90 करोड़ रुपए थी। पेमा खांडू अरुणाचल प्रदेश के वर्तमान सीएम हैं। नबाम तुकी की सरकार को गिराकर कलिखो पुल बीजेपी की मदद से सीएम बने थे। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को असंवैधानिक करार दिया था। 9.8 पैरा में कलिखो पुल ने लिखा कि मेरे हक में फैसला सुनाने के लिए मुझसे 86 करोड़ की रिश्वत मांगी गई।
सर्वोच्च न्यायालय में चर्चित रहे जस्टिस एचएल दत्तू और जस्टिस अल्तमास कबीर पर भी पुल ने आरोप लिखा है कि उन्होंने रिश्वत लेकर फैसले दिए थे। नबाम तुकी के खिलाफ गोवाहाटी हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एचएल दत्तू ने 28 करोड़ रुपए की रिश्वत लेकर मामले में स्टे लगा दिया। पीडीएस स्कैम में जस्टिस अल्तमास कबीर ने फैसला ठेकदारों के हित में सुनाया था। जबकि केंद्र सरकार और FCI ने इस फैसले को गलत ठहराया। अल्तमास कबीर ने हक में फैसला सुनाने के लिए 36 करोड़ की रिश्वत ली।
के सुसाइड नोट को लेकर उनकी पत्नी डांग-विमसाई पुल ने सुप्रीम कोर्ट को एक चिट्ठी लिखी और सुसाइड नोट में लगाए गए आरोपों की सीबीआई जांच की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने कलिखो पुल की पत्नी की चिठ्ठी को एक याचिका में तब्दील कर दिया और आज से इस पर सुनवाई भी शुरू कर दी। लेकिन गुरुवार को कलिखो पुल की पत्नी ने अपनी चिठ्ठी वापस ले ली। कलिखो पुल की पत्नी का कहना था कि उन्होंने इस मामले की जांच के प्रशासनिक आदेश जारी करवाने की मांग की थी। जबकि अदालत ने प्रशासनिक आदेश जारी न करके, उस पर कोर्ट में सुनवाई शुरू कर दी।
कलिखो पुल की पत्नी के वकील ने ये भी कहा कि सुसाइड नोट के अंदर सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठ जजों पर आरोप लगाए गये हैं। लेकिन इसके बावजूद इस मामले को सुनवाई के लिए सीनियर जजों की बेंच के बजाए, सुप्रीम कोर्ट के जूनियर जजों की बेंच के सामने भेज दिया गया है जो कि ठीक नहीं है।
कुमार सौवीर सम्पादक मेरी बिटिया डॉट काम
शिव कुमार मिश्र
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