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नेहरू ने खुद के लिए, जबकि मोदी ने देश के लिए सम्मान कमाया : सुषमा स्वराज
Special Coverage News
3 Aug 2017 1:41 PM GMT
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Pandit Nehru gained personally from his foreign policy but PM Modi has earned respect for the country : Sushma
नई दिल्ली : विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज संसद में डोकलाम मुद्दे पर बयान दिया। सुषमा ने कहा कि 'नेहरू (जवाहर लाल) ने निजी सम्मान कमाया, मोदी ने विश्व में भारत को सम्मान दिलाया।' अब सरकार का दृष्टिकोण सुनिए। सबने कहा कि हमारे पड़ोसियों से रिश्ते खराब हैं। पाकिस्तान, चीन और रूस मुद्दा उठा। इजराइल का भी जिक्र हुआ।
सुषमा ने भारत-पाक रिश्तों पर कहा- "रोडमैप एकतरफा नहीं चल सकता। टेररिज्म और टॉक एकसाथ नहीं चल सकते।" सुषमा बोलीं, "आपने चीन के ग्वादर, हंबनटोटा और कोलंबो में पोर्ट बनाने का मुद्दा उठाया। आप बताइए कि जब चीन ने ये पोर्ट बनाया तो किसकी सरकार थी?"
सुषमा ने कहा "जहां तक पड़ोसी देशों का संबंध है। हम किसे मित्र कहते हैं? जो संकट में मदद करें। मालदीव का पानी संकट आया। मैंने तीन घंटे में रेल नीर भेजा। श्रीलंका में मदद की। नेपाल में भी किया। डोनर कॉन्फ्रेंस में भारत ने 1 बिलियन डॉलर दिए। 17 साल तक भारत का कोई पीएम नेपाल नहीं किया। 11 साल तक कांग्रेस की सरकार थी। राजीव जी की सरकार के वक्त क्या हुआ? जो पीएम ना जाए तब अच्छा और जो दो पीएम दो-दो बार जाए वो संबंध खराब।"
विदेश मंत्री ने डोकलाम मुद्दे पर कहा कि 'सबसे बड़े प्रमुख विपक्षी दल के नेता (राहुल गांधी) ने चीन की स्थिति जानने के लिए भारत के नेतृत्व को पूछने के बजाय, चीनी राजदूत से मुलाकात की। आप (आनंद शर्मा) भी उस मीटिंग में मौजूद थे।' इस पर शर्मा ने कहा कि चीनी राजदूत ने खुद विपक्ष के लोगों से बातचीत की गुजारिश की थी। सुषमा ने आगे कहा कि 'पहले विपक्ष को भारत का दृष्टिकोण समझाना चाहिए था, उसके बाद चीनी राजदूत को बताना चाहिए था कि ये हमारा पक्ष है।'
सुषमा ने कहा, "किसी भी समस्या का समाधान युद्ध से नहीं निकलता। युद्ध के बाद भी संवाद करना पड़ता है। तो बुद्धिमत्ता ये है कि बिना लड़े सब सुलझा लो। सेना है, युद्ध के लिए तैयार है मगर युद्ध से समाधान नहीं निकलता। आपने कहा कि अपनी सामरिक क्षमता बढ़ाइए तभी पड़ोसियों को लगेगा कि हम मजबूत हैं। आज सामरिक क्षमता नहीं, आर्थिक क्षमता से तय होता है कि कौन ज्यादा मजबूत है।
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