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बीजेपी के ये चार नाम सबसे प्रबल राष्ट्रपति के दावेदार, एक दो दिन में घोषणा की उम्मीद -सूत्र

बीजेपी के ये चार नाम सबसे प्रबल राष्ट्रपति के दावेदार, एक दो दिन में घोषणा की उम्मीद -सूत्र
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राष्ट्रपति के इन नामों में से होगी घोषणा
नई दिल्ली: देश के सबसे ताकतवर संवैधानिक पद के लिए जोर आजमाइश शुरू हो चुकी है. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह आज आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के साथ नागपुर पहुंचे. माना जा रहा है कि नागपुर में राष्ट्रपति के उम्मीदवारी पर चर्चा होगी. बीजेपी पावर में हैं ऐसे में ये तो तय है कि राष्ट्रपति पद के लिए अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार उतारेगी

बीजेपी के आला सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रपति के उम्मीदवार चार नामों का एक पैनल है और उस पैनल में से ही एक नाम फाइनल होना है. बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की लिस्ट में केंद्रीय मंत्री और बीजेपी का सबसे बड़ा दलित चेहरा थावर चंद गहलोत, झारखंड की गवर्नर द्रौपदी मुर्मू इसके अलावा लालकृष्ण अडवाणी, सुमित्रा महाजन और का नाम भी राष्ट्रपति की दौड़ में शामिल है.

थावर चंद गहलोत: थावर चंद गहलोत मोदी सरकार में केंद्रीय सामाजिक विकास एवं उद्यमिता मंत्री हैं, वह बीजेपी के बड़े दलित चेहरा हैं. इसके अलावा वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के बेहद करीबी माने जाते हैं.

सुमित्रा महाजन: राष्ट्रपति पद के लिए दूसरा नाम सुमित्रा महाजन का भी है. इंदौर से आठ बार की सांसद सुमित्रा महाजन लोकसभा स्पीकर हैं. बीजेपी का बड़ा महिला चेहरा होने के नाते इनके भी नाम की चर्चा है

द्रौपदी मूर्मू: तीसरा और चौकाने वाला नाम झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मूर्मू का है. द्रौपदी आदीवासी समाज से आती हैं. बीजेपी इनको राष्ट्रपति चुनाव मैदान में उतारकर सबको चौंका सकती है. अगर वह राष्ट्रपति चुनी जाती हैं, तो आदिवासी समाज से आने वाली पहली राष्ट्रपति होंगी.

लालकृष्ण आडवाणी: बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के प्रत्याशी के रूप में उतारे जाने की चर्चा कुछ समय पहले तक जोरों पर थी. हालांकि बाबरी विध्वंस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इनकी उम्मीद धूमिल होती जा रही है.

राष्ट्रपति पद के लिए इन 5 नामों पर की चर्चा जोरों पर हैं, नागपुर में अमित शाह और संघ प्रमुख मोहन भागवत की की बैठक के बाद संभवत राष्ट्रपति उम्मीदवार को लेकर बड़ा फैसला हो सकता है.

कैसे होता है देश के सबसे बड़े संवैधानिक पद राष्ट्रपति का चुनाव?
चंद दिनों में राष्ट्रपति चुनाव की तारीखों का एलान हो जाएगा और ये संभव है कि जुलाई तक हमें पता चल जाएगा कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की जगह कौन लेगा. इस सबके बीच सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर राष्ट्रपति का चुनाव होता कैसे है? हम आपके लिए राष्ट्रपति चुनाव से जुड़े उन सभी सवालों के जवाब लेकर आए हैं जो इस वक्त आपके मन में उठ रहे होंगे.

पहला सवाल- सबसे पहला सवाल कब होगा राष्ट्रपति का चुनाव ?
राष्ट्रपति का चुनाव 5 सालों में एक बार होता है, सामान्य परिस्थितियों में आमतौर पर ये चुनाव जुलाई के महीने में होते हैं. चुनाव आयोग जल्द ही राष्ट्रपति चुनाव की तारीखों का एलान करने वाला है. संभवत: जुलाई के दूसरे सप्ताह में राष्ट्रपति का चुनाव हो सकता है.

दूसरा सवाल- राष्ट्रपति को कौन चुनता है ?
राष्ट्रपति में आम जनता वोट नहीं डालती है, जनता की जगह उसके प्रतिनिधि वोट डालते हैं यानि ये सीधे नहीं बल्कि अप्रत्यक्ष चुनाव हैं. राष्ट्रपति को राज्यों के चुने हुए प्रतिनिधि यानि विधायक, लोकसभा और राज्यसभा के सांसद चुनते हैं. राज्यसभा, लोकसभा विधानसभा के मनोनीत सांसद, विधायक राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं डालते हैं.

किस पद्दति से होता है राष्ट्रपति पद का चुनाव?
आपको जानकर खुशी होगी कि हमारे देश में राष्ट्रपति के चुनाव का तरीका सबसे अनूठा और पारदर्शी है, एक तरह से इसे आप सर्वश्रेष्ठ संवैधानिक तरीका कह सकते हैं. इसमें विभिन्न देशों की चुनाव पद्धतियों की अच्छी बातों को चुन-चुन कर शामिल किया गया है. अपने यहां राष्ट्रपति का चुनाव एक इलेक्टोरल कॉलेज करता है, इसके सदस्यों का प्रतिनिधित्व वेटेज होता है.

कैसे तय होता है प्रतिनिधियों के वोटो का वेटेज?
लोकसभा और राज्य सभा के 776 सांसदों के कुल 5,49,408 है जबकि पूरे देश में 4120 विधायकों के 5,49, 474 है. इस तरह कुल वोट 10,98,882 है और जीत के लिए आधे से एक ज्यादा यानी 5,49,442 चाहिए.

विधायक के मामले में जिस राज्य का विधायक हो उसकी 1971 की जनगणना के हिसाब से आबादी देखी जाती है. आबादी को चुने हुए विधायकों की संख्या से भाग दिया जाता है, अब जितना रिजल्ट आए उसकों 1000 से भाग किया जाता है. अब जो आंकड़ा हाथ लगता है, वही उस राज्य के एक विधायक के वोट का मूल्य होता है. सांसदों के वोटों के वेटेज का गणित अलग है. चुने लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों के वोटों का मूल्य फिक्स होता है. एक सांसद के वोट का मूल्य 708 होता है.

क्या मोदी सरकार अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाने की स्थिति में है?
केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी को शिवसेना, तेलुगू देशम पार्टी, अकाली दल, लोक जनशक्ति पार्टी, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी सहित 14 अन्य पार्टी का समर्थन प्राप्त है. इस तरह उनके सांसदों और विधायकों के वोटों की संख्या 5,37,614 है. इसके बाद भी उनके पास जीत के लिए 11,828 वोट की कमी है. ऐसे में जरूरी है कि बीजेपी को कुछ और छोटे दलों का समर्थन मिले तभी राष्ट्रपति पद के लिए जरूरी वोट हासिल कर पाएंगे और तभी पीएम मोदी अपने पंसद का राष्ट्रपति बनवा पाएंगे.
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