Archived

रायसीना में राम, प्रणव दा को सलाम!

Special Coverage News
25 July 2017 8:43 AM GMT
रायसीना में राम, प्रणव दा को सलाम!
x
Ram in Rasina, salute to Pranav da special coverage

देश के 14 वें राष्ट्रपति के रूप में आज रामनाथ कोविंद जी के शपथ ग्रहण के साथ ही रायसीना महल में अाज से राम का वास हो गया है. संसद के सेंट्रल हाल में हुए इस ऐतिहासिक शपथ ग्रहण समारोह के अवसर पर अपने पहले संबोधन में महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी ने देश के प्रथम राष्ट्रपति डा0 राजेन्द्र प्रसाद, सर्व पल्ली राधाकृष्णन, ए पी जे अब्दुल कलाम और निवर्तमान राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की तारीफ करते हुए उनके पद चिन्हों पर चलने की बात कही है.


गरीबी से अपनी जिंदगी की शुरूआत करने वाले कोविंद ने अपनी राजनीति की शुरूआत पूर्व प्रधान मंत्री मोरारजी देसाई के निजि सचिव के रूप में की थी. निश्चित रूप से देश के सबसे मेधावी छात्र और संविधान विशेषज्ञ डा0 राजेन्द्र प्रसाद , शिक्षक से राष्ट्रपति पद पर पहुंचे डा0 राधा कृष्णण , अखबार बेचकर पढाई करने वाले देश के सर्वौच्च वैज्ञानिक और प्रथम नागरिक बनने वाले युवाओं के आदर्श डा0 ए पी जे अब्दुल कलाम और करीब 50 वर्षों की राजनीतिक यात्रा मे कभी दामन पर दाग नही लगने देने वाले अर्थशास्त्री प्रणव मुखर्जी को अपना आदर्श बताकर कोविंद जी ने यह संकेत दिये हैं कि अभी भी देश के सर्वोच्च पद पर शुचिता कायम रहेगी.


निश्चित रूप से कोविंद जी का प्रथम संबोधन सारगर्भित रहा है जिसके लिये वे बधाई के पात्र है. दूसरी तरफ 1969 से संसदीय जीवन में प्रवेश करनेवाले निवर्तमान राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने 1982 में सबसे युवा वित्तमंत्री के रूप में कार्य संभाला था. लेकिन 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीवगांधी को प्रधानमंत्री बनाये जाने के बाद उन्होनें कांग्रेस को अलविदा किया था लेकिन कुछ दिनो के बाद वे वापस आ गये.देश के कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य करने वाले प्रणव दा की प्रधानमंत्री बनने की हसरत पूरी नही हो पायी लेकिन राष्ट्रपति के रूप में जिस तरह उन्होनें अपनी काबिलियत , सरकार के साथ तालमेल , एक अभिभावक के रूप में सांसदो को संविधान का पाठ पढाने का काम किया उसकी जितनी तारीफ की जाय वह कम है.


पूरे राजनीतिक जीवन में विवादो से दूर रहने के साथ चादर को सफेद रखने में कामयाब प्रणव दा उस कांग्रेस की अंतिम पीढी है जिससे देश को मुक्त करने का सपना भाजपा देख रही है. लेकिन कोविंद जैसे महामहिम यह मानते है कि प्रणव दा की परंपरा को कायम रखना भी हमारी संसदीय परंपरा की खूबसूरती है. वेशक रामनाथ कोविंद जी ने राम की मर्यादा को रायसीना में भंग नही होने के संकेत दिये है तो प्रणव दा को भी सलाम कर एक बड़े व्यक्तित्व का सम्मान किया है.

अशोक कुमार मिश्रा

Next Story