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भीड़ द्वारा हत्या किये जाने के विरोध में शबनम हाशमी ने लौटाया अल्पसंख्यक आयोग का अवॉर्ड
प्रख्यात समाजसेवी और मानवाधिकार कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने भीड़ द्वारा लगातार मारे जा रहे मुस्लिमों को लेकर अपना अवार्ड अल्पसंख्यक आयोग को लौटा दिया है. उनका कहना है जिन हालातों से देश गुजर रहा है. अब इस दौर में इस अवार्ड का कोई महत्व नहीं होगा.
अवॉर्ड वापस करते हुए हाशमी ने कहा कि देश में भय और आतंक का माहौल छाता जा रहा है.
हाशमी को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने 2008 में इस अवॉर्ड से सम्मानित किया था. देश में हिंसा के मौजूदा हालात के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए हाशमी ने कहा, 'मौजूदा केंद्र सरकार के अधीन अल्पसंख्यक वर्गों को हाशिए पर धकेला जाना आम बात हो चली है.'
उन्होंने कहा, 'यह सरकार न सिर्फ बहरा कर देने वाली चुप्पी साधे हुए है, बल्कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमले और भीड़ द्वारा हत्या को खुलेआम बढ़ावा देने में लगी हुई है.' प्रत्येक महीने कोई न कोई घटना हो जाती है. और देश के पीएम एक बयान आज तक नहीं दे पाए. क्या मन की बात में भी कभी इस प्रश्न को रखेंगे या यूँ ही ये काम अनवरत जारी रहेगा.
हाशमी ने अल्पसंख्यक समुदाय की गरिमा बनाए रखना सुनिश्चित करने और उनके संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की दिशा में सक्रियता न दिखाने के लिए राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग पर भी निशाना साधा.
उन्होंने आयोग के अध्यक्ष के उस विवादित बयान की भी आलोचना की, जिसमें आयोग के अध्यक्ष ने कहा था कि चैम्पियंस ट्रॉफी में पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाने वाले भारतीयों को पाकिस्तान चले जाना चाहिए या उन्हें पाकिस्तान भेज दिया जाना चाहिए.
शबनम हाशमी ने कहा कि अल्पसंख्यक आयोग और मौजूदा केंद्र सरकार अल्पसंख्यक समुदाय को सम्मान और सुरक्षा प्रदान करने में नाकाम साबित रही. इस लिहाज से प्रधानमन्त्री मोदी मेरे नेता नहीं हो सकते है.
आपको बता दें इससे पहले भी अखलाख समेत और कई और हत्याओं पर भी कई लोंगों ने अपने पुरस्कार और अवार्ड वापस किये थे. करीब 2 साल पहले कई लेखकों, फिल्म निर्माताओं, बुद्धिजीवियों और वैज्ञानिकों ने गोमांस की अफवाह को लेकर उत्तर प्रदेश में मोहम्मद अखलाक की पीट-पीटकर हत्या के बाद राष्ट्रीय पुरस्कार लौटाए थे. जिसका सोशल मिडिया में भारी विरोध हुआ था. अब इस देश के माहौल में क्या गलत और क्या सही है ये तो आने वाला समय ही बतायेगा फिलहाल आतंकी भीड़ को रोकने के लिए सरकार को कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है.