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NGT ने 'आर्ट ऑफ लिविंग' को फटकारा, कहा- 'आपको जिम्मेदारी का कोई एहसास नहीं है'
Arun Mishra
20 April 2017 9:02 AM GMT
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श्री श्री रविशंकर (File photo)
नई दिल्ली : नैशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल (NGT) ने आर्ट ऑफ लिविंग संस्था को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि उसका रवैया गैरजिम्मेदाराना है और वह जो मन में आए वह नहीं बोल सकती। श्री श्री रविशंकर के उस बयान को 'स्तब्ध करने वाला' बताकर एनजीओ को गुरुवार (20 अप्रैल) को लताड़ लगाई जिसमें उन्होंने यमुना के डूबक्षेत्रों को हुए नुकसान के लिए केंद्र एवं हरित पैनल को दोषी बताया है। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, 'आपको जिम्मेदारी का कोई एहसास नहीं है। आपको बोलने की आजादी है तो क्या आप कुछ भी बोल देंगे. यह स्तब्ध करने वाला है।'
दरअसल, मंगलवार को रविशंकर ने इस मुद्दे पर फेसबुक पर लिखी एक पोस्ट में कहा था कि विश्व सांस्कृतिक महोत्सव से अगर पर्यावरण को कोई नुकसान पहुंचा है तो इसके लिए सरकार और एनजीटी को ही जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। रविशंकर ने एनजीटी पर नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों को अनदेखा करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि एक ऐतिहासिक कार्यक्रम को अपराध की तरह पेश किया जा रहा है।
वकील ने कहा कि श्री श्री ने आर्ट ऑफ लिविंग की वेबसाइट, अपने फेसबुक पेज पर यह बयान पोस्ट किया है और उन्होंने इस बात पर लिखित बयान देकर मीडिया को संबोधित किया। मामले की अगली सुनवाई 9 मई को हागी। NGT ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह रविशंकर के बयान की विस्तृत जानकारी देते हुए आवेदन दे ताकि उसे रेकॉर्ड पर लिया जा सके।
आपको बता दें NGT की एक्सपर्ट कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि श्री श्री रविशंकर के आर्ट ऑफ लिविंग के सांस्कृतिक कार्यक्रम से यमुना फ्लडप्लेंस को पहुंचे नुकसान की भरपाई में 13.29 करोड़ रुपये खर्च होंगे। कमिटी का कहना है कि इसमें लगभग 10 साल लग जाएंगे। नुकसान की भरपाई के लिए बहुत काम करना पड़ेगा।
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