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देश भर में आज गणेश चतुर्थी की धूम, जानिए पूजा करने का शुभ मुहूर्त, बन रहे हैं खास संयोग

Vikas Kumar
25 Aug 2017 7:00 AM GMT
देश भर में आज गणेश चतुर्थी की धूम, जानिए पूजा करने का शुभ मुहूर्त, बन रहे हैं खास संयोग
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नई दिल्ली : देश भर में आज गणेश चतुर्थी की धूम है। किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले जिस भगवान की पूजा की जाती है आज उन्हीं देवों के देव भगवान श्री गणेश की जयंती है। जिसे आज गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। जानिए ये इतना महत्वपूर्ण क्यों है।

भगवान गणेश के करीब 108 नाम है। जगह बदलने के साथ-साथ उनके नाम भी बदल जाते हैं लेकिन प्यार से गणपति या विनायक हर जगह बुलाया जाता है। गणेश चतुर्थी का पर्व मुख्य रूप से भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मनाया जाता है। माना जाता है इसी दिन प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश का प्राकट्य हुआ था। इस दिन भगवान श्री गणेश जी धरती पर आकर अपने भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त

गणेश चतुर्थी की पूजा की अवधि अनंत चतुर्दशी तक चलती है, इस दौरान गणपति धरती पर ही निवास करते हैं। इस बार गणेश चतुर्थी का पर्व 25 अगस्त 2017 से 05 सितम्बर 2017 तक रहेगा। इस बार गणेश चतुर्थी पर गणपति पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 09.15 से 10.28 बजे तक और दोपहर 12.00 से 01.30 तक होगा।

आज के दिन घर-घर गणपति की स्थापना की जाती है। और मंदिरों को खूबसूरती के साथ सजाया जाता है। दस दिन की पूजा के बाद गणेश जी की मूर्ति को पुरे मान सम्मान के साथ, ढोल नगाड़े की धुन पर नाच कर पानी में विसर्जित किया जाता है।

इस साल गणेश चतुर्थी और भगवान शनि का खास संयोग बन रहा है। इस खास दिन भगवान शनि की पूजा करने से सभी राशि के लोगों पर भगवान की खूब कृपा बरसेगी। ऐसा कहा जा रहा है कि इस बार वृश्चिक राशि में 141 दिन वक्रीय होने के बाद शनि देव 25 अगस्त से मार्गीय हो रहे हैं।

हर साल विघ्नहर्ता आते हैं और भक्तों के साथ रहकर उनके सुख-दुख का हिस्सा बनते हैं। इस दौरान गणपति अपने भक्तों के सभी दुख और परेशानियों का अंत कर देते हैं। इसलिए आज हम आपको गणेश चतुर्थी पर गणपति पूजन की विशेष विधि बताते हैं।

गणपति पूजन की विशेष विधि

गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना दोपहर के समय करें। लकड़ी की चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाकर मूर्ति की स्थापना करें। साथ में कलश भी स्थापित करें। इस मंत्र का उच्चारण करें - ऊँ वक्रतुण्ड़ महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा।।

दिन भर जलीय आहार ग्रहण करें या केवल फलाहार करें। शाम के समय गणेश जी की यथा शक्ति पूजा-उपासना करें और उनके सामने घी का दीपक जलाएं। गणपति को अपनी उम्र की संख्या के बराबर लड्डुओं का भोग लगाएं , साथ ही उन्हें दूब भी अर्पित करें।

चन्द्रमा को नीची दृष्टि से अर्घ्य दें, क्योंकि चंद्र दर्शन से आपको अपयश मिल सकता है। अगर चन्द्र दर्शन हो ही गया है तो उसके दोष का तुरंत उपचार कर लें। अंत में प्रसाद बांटें और अन्न-वस्त्र का दान करें।

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