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वाराणसी: 'गंगा की पुकार' कार्यक्रम में आजम खां ने कहा, मैं पीर नहीं फकीर हूं
Special Coverage News
18 July 2016 7:03 AM GMT
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वाराणसी: गंगा की निर्मलता और अविरलता पर विमर्श के लिए संत और सरकार एक मंच पर दिखे। इसमें उत्तराखंड की कैद से गंगा की आजादी, सीवेज और कारखानों की गंदगी रोकना आदि गंगा को पावन करने वाले सभी मसलों पर मंथन हुआ।
पंचगंगा घाट स्थित विद्यामठ पहुंचे कैबिनेट मंत्री आजम खां ने संतों के हाथ से दी जा रही तुलसी की माला लेने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि मैं पीर नहीं फकीर हूं, माला पहन ली तो पीर हो जाऊंगा, लेकिन मैं ऐसा नहीं चाहता।
वह रविवार को वाराणसी के अस्सी घाट स्थित गंगा की पुकार कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे थे। कैबिनेट मंत्री ने रविवार को उन साधु-संतों से मुलाकात की, जिनपर पिछले साल गणेश प्रतिमा के विसर्जन के दौरान हुए लाठीचार्ज हुआ था।
जब उनसे पूछा गया कि एक साल बाद आप संतों को मरहम लगाने आए हैं, तो उन्होंने कहा कि मुस्लिम के हाथ से घाव पर गंगाजल लगेगा, तो जल्दी ठीक हो जाएगा। विद्यामठ को सेक्युलर जगह बताते हुए कहा कि लखनऊ पहुंचकर साधु-संतों पर लदे मुकदमों को लेकर विधि सचिव से बात करूंगा।
अस्सी घाट पर आजम ने खुद को हिंदुओं का सबसे बड़ा हितैषी बताया। कहा कि अगर कोई प्रमाण दे कि मैंने किसी निर्दोष हिंदू का नुकसान किया है, तो मैं अपने हाथ शरीर से अलग कर दूंगा। महाकुंभ पर दुनियाभर से मिली वाहवाही का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ लोग नहीं चाहते थे मैं कुंभ का प्रभारी बनूं, लेकिन मैं सिद्ध कर दिया कि इंसानियत की सेवा और मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं है।
पीएम मोदी पर तंज कसते हुए आजम ने कहा कि अभी तक हमने गंगा और योग को किसी धर्म के रूप में पढ़ा नहीं था लेकिन मुल्क में नए बादशाह के आने के बाद गंगा और योग का भी धर्म तय कर दिया गया। गंगा किनारे वजू करके नमाज पढ़ते लोगों को मैंने खुद देखा है।
गंगा सिर्फ नदी नहीं, जीवनदायिनी है। चुनाव लड़ने के लिए बनारस आकर कहा था मां गंगा ने बुलाया है, अब उसी गंगा का कारोबार करने लगे। पीएम मोदी को ढोंगी देशभक्त बताते हुए कहा कि मैं मुल्क के बादशाह से पूछना चाहता हूं कि आपके राज में गोमांस का निर्यात ढाई गुना कैसे बढ़ गया।
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