लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा के तीसरे चरण का चुनाव कल होगा। इस चरण में 12 जिलों की 69 सीटों पर 826 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। मतदान फर्रुखाबाद, हरदोई, कानपुर देहात, मैनपुरी, कन्नौज, इटावा, औरैया, कानपुर, उन्नाव, सीतापुर, बाराबंकी और लखनऊ में होगा। इनमें अधिकांश जिलों को सपा का गढ़ माना जाता रहा है। जाहिर है यहां भाजपा और बसपा को कड़ी अग्नि परीक्षा देनी होगी।
सपा जहां अपनी पुरानी सीटों को बचाने की जद्दोजहद करेगी वहीं भाजपा और बसपा अपनी सीटें बढ़ाने की लड़ाई लड़ती नजर आएंगी। तीसरे चरण के चुनाव में कई दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठ भी दांव पर है। कई सीटों पर दिग्गजों को कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ सकता है। लिहाजा सभी दलों के रणनीतिकारों की धडक़नें बढ़ गई हैं। कुल मिलाकर पीएम नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अमित शाह, बसपा प्रमुख मायावती और सत्तारूढ़ दल सपा के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सामने कड़ी चुनौती है।
इटावा में शिवपाल यादव, हरदोई में नरेश अग्रवाल, लखनऊ में धर्मेन्द्र यादव, रीता बहुगुणा, ब्रजेश पाठक, अपर्णा यादव, समेत कई लोगों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।
तीसरे चरण का चुनाव सपा, भाजपा और बसपा तीनों के लिए बेहद अहम है। यहां की 69 सीटें प्रदेश के चुनाव के लिए निर्णायक मानी जा रही हैं। इस चरण में प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी चुनाव होना है। यहां के कई जिलों में सपा-कांग्रेस गठबंधन, भाजपा और बसपा के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है। हालांकि अधिकांश जिलों को सपा का गढ़ माना जाता रहा है, इसलिए सपा के लिए अपने इस मजबूत गढ़ को बचाना प्रमुख चुनौती होगा।
वहीं भाजपा और बसपा ने भी यहां अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। चुनाव प्रचार खत्म होने तक यहां सभी दलों के शीर्ष नेताओं ने ताबड़तोड़ रैलियां की हैं और अपनी पार्टी के पक्ष में मतदाताओं को करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। खुद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस पर विशेष फोकस किया था और सभाएं की। सपा के रणनीतिकार कांग्रेस-सपा गठबंधन को काफी लाभदायक मानते हैं। वहीं भाजपा ने भी अपनी सियासी जमीन मजबूत करने के लिए सारे घोड़े खोल दिए हैं। भाजपा के सामने न केवल अपनी सीटें बचाने की चुनौती है बल्कि वे अन्य सीटों पर भी नजर गड़ाए हुए है। बसपा भी जातीय समीकरणों को देखते हुए यहां अपनी पकड़ मजबूत करने में जुटी है।
गौरतलब है कि 2012 के विधानसभा चुनाव में यहां सपा को 55, भाजपा और बसपा को छह-छह सीटें मिली थीं। कांग्रेस को दो सीटें मिलीं थी। भाजपा और बसपा के बीच पिछले चुनाव में बराबर की टक्कर हुई थी। अब देखना यह है कि इस बार मतदाता किसे अपना खेवनहार बनाते हैं।कभी भाजपा का गढ़ माने जाने वाले लखनऊ को सपा ने पिछले चुनाव में ध्वस्त कर दिया था। 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा ने यहां की नौ में से सात सीटें जीत ली थीं। एक सीट भाजपा और एक कांग्रेस के खाते में गई थी। इस बार सपा को यहां भाजपा एवं बसपा से कड़ी चुनौती मिल रही है। सपा के उम्मीदवारों में मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव भी शामिल हैं। वहीं, पिछली बार कांग्रेस टिकट से जीतीं रीता बहुगुणा जोशी इस बार भाजपा की ओर से मैदान में हैं। अधिकांश दलों ने यहां की सीटों से मजबूत प्रत्याशी उतारे हैं।