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भीम आर्मी के मुखिया रावण पर 12000 का रखा इनाम, यूपी पुलिस ने, मचा हडकम्प

भीम आर्मी के मुखिया रावण पर 12000 का रखा इनाम, यूपी पुलिस ने, मचा हडकम्प
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भीम आर्मी के संस्थापक 'रावण' के खिलाफ गैर-जमानती वारंट
सहारनपुर जातीय हिंसा के बाद लगातार सोशल मीडिया पर अपने वीडियो संदेश के जरिए भड़काऊ बयान देने वाले भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद ऊर्फ रावण के सिर पुलिस ने 12 हजार का इनाम घोषित किया है. इसके साथ ही कोर्ट ने चंद्रशेखर के खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी किया है. सहारनपुर में हुई हिंसा में भीमा आर्मी का हाथ माना जा रहा है.


जानकारी के मुताबिक, सहारनपुर के डीआईजी सुनील इमेनुएल की संस्तुती पर चंद्रशेखर आजाद ऊर्फ रावण और उसके तीन साथियों पर 12-12 हजार का इनाम घोषित किया है. इसके साथ ही पुलिस ने बसपा सुप्रीमो मायावती के रैली के बाद दो लोगों को गोली मारने के मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. 23 मई को एक शख्स की मौके पर ही मौत हो गई थी.

भीम आर्मी का पूरा नाम 'भीम आर्मी भारत एकता मिशन' है. पहली बार अप्रैल 2016 में हुई जातीय हिंसा के बाद भीम आर्मी सुर्खियों में आई थी. दलितों के लिए लड़ाई लड़ने का दावा करने वाले चंद्रशेखर की भीम आर्मी से आसपास के कई दलित युवा जुड़ गए हैं. यूपी सहित देश के सात राज्यों में फैली इस संस्था में करीब 40 हजार सदस्य जुड़े हुए हैं.

चंद्रशेखर का कहना है कि भीम आर्मी का मकसद दलितों की सुरक्षा और उनका हक दिलवाना है, लेकिन इसके लिए वह हर तरीके को आजमाने का दावा भी करते हैं, जो कानून के खिलाफ भी है. इस संगठन का केंद्र सहारनपुर का घडकौली गांव है. यहां एक साइन बोर्ड लगा है. इस पर लिखा- 'द ग्रेट चमार डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ग्राम घडकौली आपका स्वागत करता है.'

सहारनपुर हिंसा के पीछे किसका हाथ है? आखिर क्या भीम पार्टी का सक्रिय होना एक इत्तेफाक है या एक सोची हुई साजिश? सूत्रों की मानें तो पुलिस और जांच एजेंसियां कई एंगल पर काम कर रही हैं. पिछले दो महीने में भीम आर्मी के अकॉउंट में एकाएक पैसे ट्रांसफर हुए थे. सोशल मीडिया के जरिए भीम आर्मी ने आर्थिक सहायता की अपील की थी.

यहां तक कहा जा रहा था कि भीम आर्मी को कुछ सियासी दलों से प्रोत्साहन मिल रहा था. भीम आर्मी को मदद करने में बीएसपी सुप्रीमो मायावती के भाई आनंद कुमार का भी हाथ हो सकता है. लेकिन मायावती ने खुद प्रेंस कांफ्रेस करके इसका खंडन किया था और कहा था कि उनके भाई या बसपा के किसी सदस्य का इस संगठन से कोई संबंध नहीं है.

सहारनपुर में इस हिंसा ने यूपी की योगी सरकार पर भी सवालिया निशान लगाया तो ईमानदार आईपीएस अधिकारी के नाम से मशहूर सुभाष दुवे को भी जलालत उठानी पड़ी. आईपीएस अधिकारी लव कुमार भी इससे अछूते नहीं रहे. खैर कारण जो भी रहे इस मामले में पर जनता को काफी खामियाजा उठाना पडा.
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