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मुलायम ने अयोध्या ही नहीं यंहा भी कराया था नर संहार! आज के ही दिन
उत्तर प्रदेश में आज जो अपराध हो रहा है उसका बेदर्दी से ढोल पीटा जा रहा है. हर तरफ मोदी और योगी के कार्यों की समीक्षा की जा रही है जो संवैधानिक रूप से सही भी है और भारत में सबको अधिकार भी मिले है आलोचना और समालोचना के, लेकिन उस समय बेहद ही अफसोसजनक भावनाएं उठती हैं. जब कई लोंगों को मौत के घाट उतारने वाले भी भारत में सम्मान के साथ रहते है और वाहवाही लुटते है.
ये मामला उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव से जुड़ा हुआ है. क्योंकि अधिकतर लोग मुलायम को अपने कार्यकाल में सिर्फ अयोध्या कारसेवको पर गोलियां चलवाने के लिए जानते हैं पर शायद ही किसी को पता हो की मुलायम के माथे पर अयोध्या ही नहीं एक और नरसंहार दर्ज है जिसका अंदाज़ बिलकुल जलियावाला बाग़ के तरीके से था .
वह समय था २ जून 1991 का और स्थान था चुनार का जो वाराणसी के पास का ही इंडस्ट्रियल क्षेत्र माना जाता है . यहाँ चुनार सीमेंट की तीनों इकाइयों को मुलायम सिंह यादव ने डालमिया समूह को मात्र 55 करोड़ में बेचने का फैसला कर लिया था जो वहां के मजदूरों को अपने पेट पर पड़ रही एक लात के समान लगा था और वो उसका विरोध करने के लिए सड़क पर उत्तर गए थे .. चरों तरफ चक्का जाम आदि के हालत बनते जा रहे थे .
कर्मचारियों का ये विरोध सत्ता के मद में चूर मुलायम सिंह यादव को अपने लिए एक चुनौती के समान लगा था .फिर आया पुलिस की तरफ से फायरिंग का आदेश और पुलिस वालों की बंदूकें गरज़ उठी और फिर छोटा सा क़स्बा चुनार बदल गया लाशों के ढेर में. जिस प्रकार अयोध्या में कारसेवक खोज खोज कर मारे गए थे ठीक उसी प्रकार मुलायम सिंह के बेहद ख़ास पुलिस अधीक्षक श्रीपति मिश्रा ने खुलेआम गोलियां बरसाई . तमाम दुकाने जला कर राख में बदल दी गयी और हर तरफ पुलिस ही पुलिस दिखनी शुरू हो गयी .
इस फायरिंग में कुल आधिकारिक तौर पर लोग मारे गए थे जिसमे 14 साल का एक मासूम भी शामिल था . नरसंहार के बाद जब मन ना भरा तो रात भर पुलिस की छापेमारी चली थी जिसमे सैकड़ों मजदूरों को उनके घरों से उठा कर थाने में लाया गया था और उनको बेरहमी से पीटा गया था उसके बाद जनता के ारकोष के बाद अगली सरकार भारतीय जनता पार्टी की बनी थी तब श्री कल्याण सिंह जी ने बंद पड़ी उन फैक्ट्रियों को फिर से चालू करवाया .
इस नरसंहार में रामप्यारे , शैलेन्द्र , सुरेंद्र , दीनानाथ , नन्द कुमार , रामधारी , रामनरेश , बाल गोविन्द , जय प्रकाश उर्फ़ राकेश के नाम लोगों को अभी भी याद हैं जिनकी जान मुलायम सिंह के आदेश पर गोलियां बरसा कर ले ली गयी थी . आज भी वो पीड़ित परिवार आँखों में आंसू ले कर उन दिनों को याद करते हैं जब मुलायम सिंह की बर्बरता से उनके घर से चीत्कार करती हुयी अर्थियां निकली थी . शायद मुलायम सिंह यादव उन्हें भूल चुके हों पर हम सभी प्रदेश वासी उन मजदूरों को शत शत नमन करते है, भावभींनी श्रद्धांजिल देते है