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18 सालों बाद लोकसभा रात्रि 11 बजकर 58 मिनट तक चला सदन
नई दिल्ली। 17वीं लोकसभा ने गुरुवार को वर्ष 2019-20 के लिए रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर देर रात तक बैठकर चर्चा पूरी की। पहले ही सत्र में लोकसभा गुरुवार सुबह 11 बजे शुरू होकर रात्रि 11 बजकर 58 मिनट तक चर्चा हुई और करीब 100 सदस्यों ने इसमें हिस्सा लिया तथा अपने अपने क्षेत्रों से जुड़े विषयों को उठाया। मौका था रेल मंत्रालय की अनुदान मांगों पर चर्चा का। इस दौरान 97 सदस्यों को बोलने का मौका मिला। उन सभी सदस्यों को अध्यक्ष ने बोलने का मौका दिया, जिन्होंने अनुदान मांगों पर अपनी बात रखने की इजाजत मांगी थी। हालांकि जानकारी के मुताबिक 97 सदस्यों ने लिखित नोटिस दिया है। रात 10 बजे तक करीब 70 सदस्यों ने अपनी बात रखी थी। 27 सदस्यों को अब भी बोलना बाकी है। 10 बजे सदन की कार्यवाही दो घंटे के लिए बढ़ा दी गई। सदन कब तक चलेगा ये लोकसभा अध्यक्ष के ऊपर निर्भर करता है।
विपक्ष ने सरकार को घेरते हुए कहा कि सरकार को बड़े वादे करने की बजाय रेलवे की वित्तीय स्थिति सुधारना चाहिए तथा सुविधा, सुरक्षा एवं सामाजिक जवाबदेही का निर्वहन सुनिश्चित करना चाहिए। सत्तारूढ़ भाजपा ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि रेलवे रोजाना नये प्रतिमान और कीर्तिमान गढ़ रहा है तथा पिछले पांच वर्षो में साफ-सफाई, सुगमता, सुविधाएं, समय की बचत और सुरक्षा आदि हर क्षेत्र में सुधार हुआ है। अब सरकार का जोर रेलवे में वित्तीय अनुशासन लाने पर है।
चर्चा के बाद रेल राज्य मंत्री सुरेश अंगड़ी ने सांसदों के सुझावों का स्वागत करते हुए कहा कि सभी ने अच्छे सुझाव दिए उन्होंने कहा कि रेलवे एक परिवार की तरह है. सुरेश अंगड़ी ने कहा कि रेलवे परिवार सभी को साथ लेकर चलता है, सभी को संतुष्ट करता है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने रेलवे को बदल दिया है. सुरेश अंगड़ी ने मोदी सरकार की तुलना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार से करते हुए कहा कि वाजपेयी जी ने जो काम सड़कों के लिए किया। मोदी सरकार वही काम रेलवे के लिए कर रही है।
S Angadi, MoS Railways on Parliament functioning till midnight: Railways is like a family that takes everyone together & satisfies everyone, all members gave good suggestions. Railways has changed since PM Modi came, what Vajpayee ji did for roads, Modi ji is doing for railways. pic.twitter.com/9QkiHX1sqg
— ANI (@ANI) July 11, 2019
बतादें कि इससे पहले लोकसभा में रेल बजट पर सबसे लंबी चर्चा का दौर, योह पीए संगमा के स्पीकर और रामविलास पासवान के रेल मंत्री रहने के दौरान वर्ष 1996 में बना। तब बजट पर चर्चा 25 जुलाई को शुरू हुई जो 26 जून को तड़के 7.17 मिनट तक चली। इस दौरान 111 सदस्यों ने चर्चा में भाग लिया।
इसके बाद वर्ष 1998 में भी जीएमसी बालयोगी के स्पीकर और नीतीश कुमार केरेल मंत्री रहते रेल बजट पर लंबी चर्चा हुई। तब 8 जून केशुरू हुई चर्चा 9 जून को सुबह 6.04 बजे तक चली। इस दौरान 90 सांसदों ने चर्चा में हिस्सा लिया। हालांकि रेल मंत्री नीतीश ने 9 जून को दोपहर 2 बजे चर्चा का जवाब दिया। जबकि वर्ष 1996 में रेल मंत्री पासवान ने चर्चा का उसी दौरान जवाब दिया। इससे पहले वर्ष 1993 में रेल बजट पर सुबह 6.25 बजे तक चर्चा हुई और इसमें 69 सांसदों ने हिस्सा लिया।
सदन के सबसे लंबा बैठने का कीर्तिमान आजादी के स्वर्ण जयंती वर्ष पर बना। साल 1997 में 27 अगस्त को शुरू हुई चर्चा 28 अगस्त को सुबह 5.39 मिनट तक चली। फिर एक दिन के अवकाश के बाद सदन 29 अगस्त से शुरू हो कर 30 जून को 8.24 बजे सुबह तक जारी रहा।