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दिल्ली बॉर्डर तक पहुंचे हजारों किसान, कृषि मंत्रालय से बातचीत हुई नाकाम
देश की राजधानी दिल्ली में उत्तर प्रदेश के किसान आज यानी शनिवार को किसान घाट पर प्रदर्शन करेंगे. पंद्रह मांगों को लेकर बीते 11 सितंबर को शुरू हुई किसानों की ये यात्रा शुक्रवार को नोएडा पहुंची. नोएडा में इस रैली के नेतृत्वकर्ता भारतीय किसान संगठन और कृषि मंत्रालय के बीच बातचीत हुई लेकिन ये बेनतीजा रही। हजारों की संख्या ये किसान अपनी 15 सूत्रीय मांगों को लेकर मोदी सरकार के सामने रखने के लिए सहारनपुर से पैदल यात्रा करते हुए आ रहे हैं।
यूपी के सहारनपुर से 11 सितंबर को शुरू हुई भारतीय किसान संगठन की पद यात्रा शुक्रवार को नोएडा पहुंची. आसपास के दूसरे जिलों में रुके हजारों किसान शनिवार सुबह तक नोएडा पहुंचेंगे. जिसके बाद किसानों का ये काफिला सुबह करीब 11 बजे दिल्ली कूच करेगा और किसान घाट तक जाएगा।
इससे पहले शुक्रवार को नोएडा पहुंचने पर किसानों ने जिले में कई जगहों पर विरोध-प्रदर्शन किया. नोएडा के ट्रांसपोर्ट नगर में पुलिस के पहरे के बीच गाने, भजन और रागनियां गाकर किसानों ने अपनी रात बिताई. आंदोलकारी किसान अपने खाने-पीने और अन्य जरुरत के सामानों का 20 दिन का इंतजाम कर के लाए हैं.
क्या कहना है किसान नेताओं का
किसान नेताओं का कहना है कि हम अपनी मांगें शांतिपूर्ण तरीके से रखने आए हैं. हम शनिवार को दिल्ली कूच करेंगे. अगर सरकार हमें रोकेगी तो हम विरोध नहीं करेंगे लेकिन जहां भी रोका जाएगा वहीं पर भूख हड़ताल करेंगे।
भारतीय किसान संगठन के उपाध्यक्ष राधे ठाकुर ने बताया कि सहारनपुर से दिल्ली के लिए निकली 'किसान-मजदूर यात्रा' में हजारों किसान शामिल हैं. सहारनपुर से दिल्ली के किसान घाट तक पैदल यात्रा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में किसानों की हालत दयनीय है और किसान आर्थिक संकट से जूझ रहा है, लेकिन सरकार हाथ पर हाथ रखे सो रही है.
उन्होंने कहा कि समय से किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान नहीं हो रहा. योगी सरकार बिजली की दर बढ़ाकर किसान की कमर तोड़ रही है और कर्ज के चलते किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं. इसी के चलते देश के किसान को दिल्ली पैदल आने के लिए मजबूर होना पड़ा है. जब तक किसानों की मागों के बारे में सरकार कोई ठोस आश्वासन नहीं देती तब तक किसान दिल्ली छोड़ने वाले नहीं हैं. भले ही हमें जितने दिनों तक दिल्ली में पड़ाव करना पड़े.
उन्होंने ने कहा कि सरकार तो सरकार है लेकिन विपक्ष भी किसानों को लेकर गंभीर नहीं है. विपक्ष के निष्क्रिय होने के कारण किसानों को खेती का काम छोड़कर सड़कों पर आने को विवश होना पड़ रहा है. हालांकि उन्होंने कहा कि विपक्ष दलों में से महज राष्ट्रीय लोकदल ने ही समर्थन किया है और अपने प्रतिनिधिमंडल को भी भेजा है. इसके अलावा बाकी दलों को कोई समर्थन नहीं मिला है.
किसान संगठनों की प्रमुख मांगें
1. भारत के सभी किसानों के कर्जे पूरी तरह माफ हों.
2. किसानों को सिंचाई के लिए बिजली मुफ्त मिले.
3. किसान व मजदूरों की शिक्षा एवं स्वास्थ्य मुफ्त
4. किसान-मजदूरों को 60 वर्ष की आयु के बाद 5,000 रुपये महीना पेंशन मिले.
5. फसलों के दाम किसान प्रतिनिधियों की मौजूदगी में तय किए जाएं.
6. खेती कर रहे किसानों की दुर्घटना में मृत्यु होने पर शहीद का दर्जा दिया जाए.
7. किसान के साथ-साथ परिवार को दुर्घटना बीमा योजना का लाभ मिले.
8. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट और एम्स की स्थापना हो.
9. आवारा गोवंश पर प्रति गोवंश गोपालक को 300 रुपये प्रतिदिन मिलें.
10. किसानों का गन्ना मूल्य भुगतान ब्याज समेत जल्द किया जाए.
11. समस्त दूषित नदियों को प्रदूषण मुक्त कराया जाए.
12. भारत में स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू हो.