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50:50 फॉर्म्युले पर अड़ी शिवसेना, कहा- सच बोले बीजेपी
महाराष्ट्र में विधानसभा के चुनाव के बाद सरकार गठन को लेकर बीजेपी और शिवसेना के बीच काफी खींचतान देखने को मिल रही है। शिवसेना ने महाराष्ट्र में सत्ता में बराबर की हिस्सेदारी की अपनी मांग को फिर दोहराया है। शिवसेना ने बीजेपी से सत्ता में बराबर की हिस्सेदारी के फार्म्युले (50:50) पर सच बोलने को कहा। शिवसेना सांसद संजय राउत ने यह मांग मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस और शिवसेना के वरिष्ठ नेता दिवाकर राउते के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात के तुरन्त बाद की।
राज भवन के एक अधिकारी ने बताया कि दोनों नेताओं की यह मुलाकात सिर्फ शिष्टाचार भेंट थी। दोनों नेता राज्यपाल कोश्यारी से अलग-अलग मिले हैं। यह मुलाकात राज्य में नई सरकार बनाने को लेकर गठबंधन सहयोगियों बीजेपी और शिवसेना के बीच सत्ता को लेकर जारी गतिरोध के बीच हुई है। राउत ने एक टीवी चैनल को बताया कि राज्यपाल के साथ राउते की बैठक में कुछ भी राजनीति नहीं है।
जब उनसे पूछा गया कि यदि इस वर्ष के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और फडणवीस के बीच बने सत्ता में हिस्सेदारी के फार्म्युले से बीजेपी इनकार करती है तो क्या रुख अपनाया जाएगा? इसपर राउत ने कहा, 'बीजेपी राम का नाम पुकारती है। आप (बीजेपी) राम मंदिर बनाने जा रहे हैं। राम 'सत्यवचनी' थे, इसलिए उन्हें इस (फार्म्युले) पर सच बोलना चाहिए।'
इससे पहले शिवसेना ने 'शोले' फिल्म में रहीम चाचा के डायलॉग 'इतना सन्नाटा क्यों है भाई?' का इस्तेमाल करते हुए महाराष्ट्र में बीजेपी की गठबंधन सहयोगी शिवसेना ने देश में आर्थिक सुस्ती को लेकर सोमवार को केन्द्र सरकार पर निशाना साधा। शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में लिखा है, 'इतना सन्नाटा क्यों है भाई?' इस संवाद के माध्यम से पार्टी ने देश और महाराष्ट्र में छायी आर्थिक सुस्ती को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। गौरतलब है कि राज्य में 21 अक्टूबर को 288 सदस्यीय विधानसभा के लिये हुए चुनावों में बीजेपी ने 105, शिवसेना ने 56 सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं, एनसीपी 54 और कांग्रेस 44 सीटों पर विजयी रही।
शिवसेना के बिना भी बीजेपी बना सकती है सरकार?
बीजेपी और शिवसेना ने चुनाव तो साथ लड़ा लेकिन अगर शिवसेना अपनी मांग पर अड़ी रही तो बीजेपी अन्य विकल्पों पर भी विचार कर सकती है। 288 वाली विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 145 सीटों की जरूरत है। बीजेपी के पास 105 विधायक हैं। ऐसे में अगर एनसीपी का समर्थन मिल जाता है तो उसके 54 विधायक आ जाएंगे। हालांकि यह बहुत मुश्किल है क्योंक बीजेपी और एनसीपी एक दूसरे के धुर विरोधी रहे हैं।