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राष्ट्रीय
संजय जोशी, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, शांता कुमार और अब प्रवीण तोगड़िया नया शिकार कौन?
शिव कुमार मिश्र
19 Jan 2018 1:43 PM GMT
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संजय जोशी, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, शांता कुमार और अब प्रवीण तोगड़िया.........! इन सभी नेताओं के संघ परिवार के प्रति समर्पण पर कोई संदेह नहीं कर सकता। निजी अदावतें अपनी जगह हैं। फिर क्या निजी अनबन में किसी को इस तरह 'ताप' लेना चाहिए? यदि ऐसा है तो निश्चित तौर पर यह एक संगठन के गैंग में तब्दील होते जाने का संकेत है।
संगठन का अर्थ असहमतियों में सहमति तलाशना, नाराजगी में भी साथ की संभावनाएं खोजना होता है। पूर्व पीएम वाजपेयी भी कहा करते थे कि मतभेद होना चाहिए, लेकिन मनभेद नहीं। लेकिन, यहां तो मनभेद इस कदर दिखते हैं कि कल तक हिंदू हृदय सम्राट, लौह पुरुष और धरोहर जैसी उपमाएं पाने वाले पुरोधाओं का ही मजाक बनाया जाने लगा है।
ऐसे में यदि कोई यह दर्द बयां करता है कि यह संगठन पहले जैसा नहीं रहा और मनमानी चलती है तो इस बात में दम लगता है। भले ही इस कार्यशैली से तमाम चुनाव जीत लिए जाएं, लेकिन लंबे समय के लिए यह टिकाऊ नहीं है और इसे एक परिपक्व संगठन की निशानी नहीं कहा जा सकता।
लगातार भाजपा में एक एक कर सभी किले ध्वस्त कर अब बीजेपी की राजनीति किस और करवट ले रही है यह तो नहीं कहा जा सकता लेकिन जिन लोंगों ने अपना सब कुछ दांव पर लगाकर पार्टी को बनाया था वो हासिये पर एक एक कर सभी चले गये। जिस का सबसे बड़ा कारण कि विरोध की शुरुआत कौन करे? अभी तो संजय जोशी पर हमला हुआ है, इस बार अडवानी , जोशी , सिन्हा , जसवंत , और अब प्रवीन तोगडिया? अबकी नंबर .....?
शिव कुमार मिश्र
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