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बाला साहब ठाकरे के सबसे बड़े दुश्मन से क्यों मिलाना पड़ा उद्धव ठाकरे को हाथ?

Special Coverage News
17 Nov 2019 2:15 PM GMT
बाला साहब ठाकरे के सबसे बड़े दुश्मन से क्यों मिलाना पड़ा उद्धव ठाकरे को हाथ?
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शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे की आज पुण्यतिथि है. महाराष्ट्र की राजनीति के पुरोधा बाल ठाकरे का जन्म 23 जनवरी 1926 को महाराष्ट्र के पुणे में हुआ था. प्रखर राष्ट्रवाद, हिन्दुत्व और मराठी अस्मिता के दम पर उन्होंने महाराष्ट्र में लंबे वक्त तक राजनीति की.

बाल ठाकरे जब तक सियासत में रहे बेबाक और बेखौफ बने रहे. वे अपनी बात दो टूक कहते. उनके बयानों ने उन्हें विवादास्पद बनाया. समाज के एक धड़े ने उन्हें कट्टर कहा तो एक समुदाय के लिए वे हिन्दू ह्दय सम्राट भी रहे. 17 नवंबर 2012 को जब उनका निधन हुआ तो उनकी अंतिम यात्रा के मौके पर मुंबई थम गई थी. उनकी अंतिम यात्रा में लाखों लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए निकले. आज उनकी 7वीं पुण्यतिथि के मौके पर मुंबई में लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं.

ठाकरे के सामने भी आया था NCP चुनने का विकल्प

शिवसेना के मौजूदा सुप्रीमो उद्धव ठाकरे के सामने आज जिस तरह से एनसीपी को चुनने का विकल्प आया है ऐसा ही मौका कभी बाला साहेब ठाकरे के पास आया था. बात 1999 की है. महाराष्ट्र में शिवसेना 1995 में सरकार बना चुकी थी. मनोहर जोशी और नारायण राणे महाराष्ट्र के सीएम रह चुके थे. 1999 में केंद्र में एनडीए की सरकार थी और महाराष्ट्र में चुनाव हो रहे थे. उस दौरान बाला साहेब का दिया इंटरव्यू आज काफी चर्चित हो रहा है. इसी इंटरव्यू में बाला साहेब से एक सवाल पूछा गया था कि क्या वे शरद पवार की एनसीपी के साथ गठबंधन करना पसंद करेंगे.

कुछ ऐसा था बाला साहेब का जवाब

बाला साहेब ठाकरे ने बेहद कड़वे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए इस सवाल का जवाब दिया था. बाला साहेब ने इस इंटरव्यू में पूछा गया था, "सर क्या चुनाव के बाद एनसीपी के साथ जाने की कोई संभावना दिख रही है...कोई गठबंधन?" इस प्रश्न का जवाब देते हुए बाल ठाकरे ने कहा था, "राजनीति में क्या संभावनाएं...राजनीति के बारे में कहा जाता है कि ये दुष्टों का खेल है, अब ये एक शख्स को तय करना है कि वो या तो जेंटलमैन बना रहना चाहता है या फिर दुष्ट होना चाहता है." उन्होंने आगे कहा, "मैं ऐसे व्यक्ति के साथ नहीं जाऊंगा, चाहे वो कोई भी हो..."

1999 का वक्त, आज जैसे हालात

बाल ठाकरे से जब इंटरव्यू लिया जा रहा था उस वक्त किसी ने सोचा होगा कि 20 साल बाद शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे के सामने ऐसा ही मौका आएगा जब उनके सामने एनसीपी को चुनने का विकल्प होगा. इस इंटरव्यू में आगे उनसे पूछा गया कि अगर उन्हें कुछ सीटों की कमी हुई तो क्या वे एनसीपी का समर्थन लेना पसंद नहीं करेंगे. इसके जवाब में उन्होंने कहा, "कभी नहीं...कभी नहीं...एक व्यक्ति जो वाजपेयी की सरकार को गिराने के लिए जिम्मेदार है, आखिर ऐसे शख्स के साथ हम हाथ मिलाने की सोच भी कैसे सकते हैं...मेरा कहने का मतलब है कि मैं तो ऐसा कभी नहीं करूंगा, कभी नहीं...एक दुश्मन तो दुश्मन ही है."

'सरकारें गिराने में माहिर हैं शरद पवार'

बाल ठाकरे ने आगे इंटरव्यू में कहा कि एनसीपी नेता शरद पवार ने खुले आम कहा था कि हां मेरी जिम्मेदारी थी कि सरकार गिरा दी जाए, मैंने वो कर दिया है...वो ऐसा करने में माहिर है...उसने कर दिया है. बाल ठाकरे ने कहा कि हमें डैमेज पहुंचाने के लिए जिम्मेदार वही शख्स है. उन्होंने कहा कि अब जरा उन वोटर्स की सोचिए, क्या वो हमें नहीं कहेंगे कि आप जनता को धोखा दे रहे हैं. ठाकरे ने कहा कि लोग हमें ये कहेंगे कि चुनाव प्रचार के दौरान आप तो उस पार्टी के बारे में इतनी सारी बुरी बातें कह रहे थे, अब आप हाथ मिला रहे हैं तो पहले ही एक क्यों नहीं हो गए.

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