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तीन बड़े राज्य CAA के खिलाफ लाये प्रस्ताव, अब बढ़ेगी संख्या और तो फिर क्या लागू कर पाएगी मोदी सरकार?
पंजाब विधानसभा में कैप्टन अमरिंदर सरकार आज नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रस्ताव लाएगी. इसके विरोध में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ता प्रदर्शन करेंगे. विधानसभा के बाहर दोपहर 12 बजे कार्यकर्ता इकट्ठा होंगे. एबीवीपी का कहना है कि ऐसा करके पंजाब सरकार नौकरी जैसे जरूरी मुद्दों से जनता का ध्यान हटाना चाहती है.
बहरहाल, कांग्रेस शासित राज्यों में आने वाले हफ्तों में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ प्रस्ताव पारित होने की संभावना है. इस दौरान राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) की प्रक्रिया को रोकने का काम भी किया जाएगा. कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि वे प्रस्तावित प्रस्ताव के कानूनी प्रभाव का मूल्यांकन कर रहे हैं.
'कल का इंतजार कीजिए'
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने गुरुवार को सीएए के खिलाफ प्रस्ताव लाने के सवाल पर कहा था कि कल तक इंतजार कीजिए. इससे पहले सीएम अमरिंदर ने कहा था कि उनकी सरकार विभाजन करने वाले इस कानून को लागू नहीं होने देगी. यह कानून एनआरसी और एनपीआर के साथ भारतीय संविधान का उल्लंघन करता है.
केरल में पास हो चुका है प्रस्ताव
एक सुझाव यह है कि इस तरह के प्रस्ताव को सरकार द्वारा नहीं, बल्कि किसी विधायक द्वारा रखा जाएगा. कांग्रेस ने अपने मुख्यमंत्रियों और गठबंधन सहयोगियों को सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने के लिए सूचित किया है. अब तक केरल ने सीएए के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया है, जबकि तृणमूल कांग्रेस के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार भी पहले ही कह चुकी है कि वह नए कानून के खिलाफ है.
विपक्ष ने की थी एनपीआर को रोकने की मांग
सोमवार को विपक्ष की बैठक ने सभी समान विचारधारा वाले मुख्यमंत्रियों को एनपीआर प्रक्रिया को रोकने के लिए कहा है. विपक्षी दलों के प्रस्ताव में कहा गया, 'सीएए, एनपीआर या एनआरसी एक पैकेज है, जो असंवैधानिक है, क्योंकि यह विशेष रूप से गरीबों, एससी/एसटी, भाषाई और धार्मिक अल्पसंख्यकों को लक्षित करता है. एनपीआर एनआरसी का आधार है. हम सीएए को तत्काल वापस लेने और राष्ट्रव्यापी एनपीआर को रोकने की मांग करते हैं.'