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पंजाब में महज 7 लाख के कर्ज ने निगल लीं तीन पीढ़‍ियां, इस परिवार में अब कोई पुरुष नहीं बचा

Special Coverage News
12 Sep 2019 7:32 AM GMT
पंजाब में महज 7 लाख के कर्ज ने निगल लीं तीन पीढ़‍ियां, इस परिवार में अब कोई पुरुष नहीं बचा
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महज 7 लाख रुपये के कर्ज के कुचक्र में फंसकर बीते 15 सालों में तीन पीढ़ियों ने मौत को गले लगा लिया

किसानों के लिए कर्ज किस तरह से जान का संकट बन चुका है, इसका एक उदाहरण पंजाब के बरनाला का परिवार है। जहां महज 7 लाख रुपये के कर्ज के कुचक्र में फंसकर बीते 15 सालों में तीन पीढ़ियों ने मौत को गले लगा लिया। बरनाला जिले के भोटना गांव में महज सात लाख रुपयों के कर्ज ने पिछले 15 साल में एक किसान परिवार की तीन पीढ़ियों की बल‍ि ले ली। मंगलवार को एक 22 साल के युवा ने अपने पिता और दादा की तरह कर्ज न चुका पाने की वजह से जहर खाकर जान दे दी। अब कर्ज का बोझ इस परिवार में बची दो म‍हिलाओं पर है।

पुलिस के अनुसार, लवप्रीत सिंह ने अपने घर पर जहर खाकर आत्‍महत्‍या कर ली। पिछले 15 वर्षों में इस परिवार की 12 एकड़ जमीन कर्ज चुकाते-चुकाते एक एकड़ के आसपास रह गई थी।

परिवार में बची हैं सिर्फ दो महिलाएं

अब इस परिवार में बची हैं लवप्रीत की मां हरपाल कौर और उनकी बहन मनप्रीत कौर, जिन्‍हें इस पहाड़ जैसे दुख के साथ-साथ 7 लाख के कर्ज से भी निबटना है। हरपाल कौर कहती हैं, 'मेरे पति की आत्‍महत्‍या के बाद लवप्रीत ने कर्ज चुकाने के लिए बड़े स्‍तर पर खेती करनी शुरू कर दी थी। इस सीजन में उसने पांच एकड़ जमीन लीज पर ली थी। लेकिन सारी मेहनत बेकार गई। ऐसा लगता है कि हमारे परिवार पर कोई शाप है।'

पिता की मदद के लिए पढ़ाई छोड़ी थी

लवप्रीत 12वीं के बाद आगे पढ़ नहीं सका, खेती में अपने पिता का हाथ बंटाने के लिए उसने पढ़ाई छोड़ दी थी। परिवार का खर्च चलाने के लिए वह टैक्‍सी भी चलाया करता था। 5 जनवरी 2018 को लवप्रीत के पिता कुलवंत ने अपने खेत में एक पेड़ से फांसी लगाकर अपनी जान दे दी थी, वह 48 साल के थे। इसके एक दिन बाद पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह को मानसा में सीमांत और लघु किसानों को कर्ज से राहत देने के लिए एक योजना का ऐलान करना था।

15 साल पहले महाजन से लिया था कर्ज

इस परिवार के दुर्भाग्‍य का दुष्‍चक्र 15 साल पहले तब शुरू हुआ जब लवप्रीत के दादा नाहर सिंह ने एक स्‍थानीय महाजन से कर्ज लिया था। कर्ज न चुका पाने की स्थिति में वह खेत बेचते रहे और एकदिन उन्‍हें अहसास हुआ कि अब कुछ बचा ही नहीं है। गांव के सरपंच बुधसिंह बताते हैं कि कुलवंत सिंह की खुदकुशी के लगभग साढ़े आठ साल बाद नाहर सिंह ने भी जहर खाकर जान दे दी। नाहर सिंह के भाई गोहना सिंह की भी संदिग्‍ध परिस्थितियों में मृत्‍यु हो गई। हालांकि यह साबित नहीं हो पाया कि उन्‍होंने आत्‍महत्‍या की थी या नहीं।

बहन की शादी न करा पाने का भी मलाल था

हरपाल कौर कहती हैं, 'मेरा बेटा कर्ज न चुका पाने की वजह से डिप्रेशन में था, इसीलिए उसने अपनी जान दे दी। उसे इस बात की भी दुख था कि वह अपनी बड़ी बहन की शादी नहीं करा पाया।' इस पूरे मामले में बरनाला के एसएसपी का कहना है कि इस बात की जांच चल रही है कि ये सभी आत्‍महत्‍याएं कर्ज न चुका पाने की वजह से हुई हैं।

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