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प्रियंका गाँधी को लेकर मची है राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में होड़, लेकिन फैसला लेंगी सोनिया गाँधी
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को राज्यसभा में भेजे जाने पर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है. हालांकि इस मामले पर पार्टी में राजनीति के कई एंगल भी जोड़े जा रहे हैं. अब राजस्थान के प्रभारी महासचिव अविनाश पांडे ने भी साफ कर दिया है कि इस पर अंतिम फैसला कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को लेना है.
राजस्थान में सत्तारुढ़ कांग्रेस की ओर से राज्यसभा में जाने के लिए पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को ऑफर दिया गया है. सिर्फ राजस्थान ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ ने भी अपने-अपने राज्य से प्रियंका के लिए राज्यसभा सीट की पेशकश की है.
प्रियंका गांधी के लिए 3 राज्यों से ऑफर आने और इस संबंध में फैसला लिए जाने पर बने संशय के बीच राजस्थान के प्रभारी महासचिव अविनाश पांडे ने कहा कि इस संबंध में अंतिम फैसला कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी लेंगी.
कमलनाथ-सिंधिया में तनातनी जारी
दूसरी ओर, मध्य प्रदेश की सत्ता पर काबिज कांग्रेस के 2 वरिष्ठ नेताओं के बीच सियासी अदावत बनी हुई है. मुख्यमंत्री कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच तनातनी बरकरार है. माना जा रहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया की राज्यसभा की राह रोकने के लिए कमलनाथ की ओर से अब प्रियंका गांधी का कार्ड खेला जा रहा है. संभावना जताई जा रही है कि प्रियंका को मध्य प्रदेश से राज्यसभा भेजे जाने का दांव कमलनाथ गुट की ओर से चला गया है.
मध्य प्रदेश से कांग्रेस के खाते में 3 सीट
दो महीने बाद अप्रैल में मध्य प्रदेश से 3 और छत्तीसगढ़ से 2 सीटें खाली होने जा रही हैं. मध्य प्रदेश से 2 कांग्रेस और 1 बीजेपी के पास जाना है. मध्य प्रदेश की 2 सीटों पर पहले से ही दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह दावेदार के तौर पर हैं.
मध्य प्रदेश में राज्यसभा की 3 सीटें खाली हो रही हैं, जिनमें से विधायकों के आंकड़े के लिहाज से कांग्रेस के खाते में 2 सीट आ रही हैं. राज्यसभा जाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह समेत अन्य कई नेता भी इस कतार में लगे हुए हैं, जो ज्योतिरादित्य सिंधिया की राह में रोड़े अटका सकते हैं.
मध्य प्रदेश से दिग्विजय सिंह, प्रभात झा और सत्यनारायण जटिया राज्यसभा सदस्य हैं, जिनकी सीटें रिक्त हो रही हैं. राज्यसभा के 3 सीटों के लिए होने वाले चुनाव में हर प्रत्याशी को कम से कम 58 वोट की जरूरत होगी.
एक फरवरी 2020 की स्थिति में जौरा और आगर विधानसभा सीट रिक्त हैं. मध्य प्रदेश में कांग्रेस के 114 विधायक हैं तो बीजेपी के पास 107 हैं. कांग्रेस को 2 बसपा और 1 सपा विधायक सहित अन्य चारों निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन है. इस तरह कांग्रेस के पास 121 विधायकों का समर्थन है.