जयपुर

कांग्रेस के धरातल से कटे नेताओं के षड्यंत्रों के कारण हुई है कांग्रेस की दुर्दशा

Special Coverage News
19 Jun 2019 9:08 AM GMT
कांग्रेस के धरातल से कटे नेताओं के षड्यंत्रों के कारण हुई है कांग्रेस की दुर्दशा
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मोहम्मद हफीज जयपुर

देश की आजादी की लडाई मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली कांग्रेस पार्टी आज देश की राजनीति में हांसिये पर खडी नजर आ रही है।कांग्रेस के अपने नेता ही कांग्रेस की नेहरू गांधी पटेल अबुल कलाम आजाद की धर्म निरपेक्ष कांग्रेस की राह में बाधा बनकर खडे है।विचार विहीन जनता से कटे नेताओं को आज सूझ नही रहा है किअब कांग्रेस की नीतियां नेहरू गांधी पटेल की होगी या नाथूराम गोडसे की भाजपा के सामने उग्र हिन्दुत्व के सामने नर्म हिन्दुत्व की होगी।दुविधा में फंसे कांग्रेस आलाकमान की मनोदशा को समझ कर ही कांग्रेस की विचारधारा पर भाजपा के नेताओ द्वारा लगातार प्रहार किये जारहे है।

महात्मा गांधी नेहरू के सार्वजनिक जीवन के संघर्ष के प्रचंड ताप के सामने तथाकथित भाजपा संघ के नेताओं का देश की आजादी के संघर्ष से लेकर स्वतंत्रता के पश्चात देश के नव निर्माण में योगदान नगण्य है।जवाहर लाल नेहरू आजाद भारत के नव निर्माण के स्वप्न दृष्टा थे। महात्मा गांधी की राजनीति के वारिस अदभुत वक्ता उत्कृष्ट लेखक इतिहासकार के साथ भारत की ओधोगिक क्रांति के जनक के रुप में सपने साकार करने वाले नेहरू ही थे। आजादी से पहले देश में सुई नहीं बनती थी तब के भारत में आई आई टी एम्स जेसे बेहतरीन संस्थानो का निर्माण एच ई सी जेसे भारी उधोगों की नीव रखी गई तथा विश्व में गुट निरपेक्ष आंदोलन की नीव भारतीय राजनीति के पुरोधा नेहरू ने ही रखी थी। आज हमारे देश का जो व्यापक अखण्ड भारत स्वरूप है उसे आजादी के बाद ही उसे दक्षिण भारत उत्तर पूर्व से चुनोती मिल रही थी।

दक्षिण में ई वी रामा स्वामी ने वर्ष 1944मे जस्टिस पार्टी का नाम बदलकर द्रविड़ कडगम रख दिया यह उस समय गेर राजनीतिक दल था जिसने बाद में अलग द्रविड़ देश की मांग रखी।हिन्दी भाषा को राष्ट भाषा घोषित करने के कारण सन साठ के दशक में दक्षिण भारत में व्यापक दंगे भडक उठे थे।नेहरू ने तब स्पष्ट किया की अंग्रेजी को हटाकर हिन्दी लागू करना जरुरी नहीं है।देश का उत्तर पूर्व भाग उस समय चीन के प्रभाव में था और चीन से युद्ध में हमारी पराजय भी होचुकी थी। यहां पर भारत के स्वरूप को बचाने के लिए नेहरू की अगुवाई में दिनांक5अक्टूबर1963को देश के संविधान में 16वा संशोधनपेश किया गया जिसके कारण सभी अलगाववादी मांगउठना बंद हो गई।इस संविधान संशोधन मे सभी राजनीतिक दलों के लिए चुनाव लडऩे हेतु भारत की एकता अखंडता का सम्मान करना अनिवार्य कर दिया गया। नेहरू के इस दूरदर्शी कदम उठाने के कारण सदा के लिए पंजाब, दक्षिण भारत राज्यों में उठने वाली अलगाव की मागं सदा के लिए शातं हो गई।सरदार पटेल को नेहरू के सामने जानबूझकर बडा बनाकर भाजपा के द्वारा पेश किया जाता है। नेहरू के बहाने कांग्रेस के वर्तमान नेतृत्व को कठघरे में खडा करना एक सोची समझी साजिश का भाग है। इसी प्रकार महात्मा गांधी त्याग और बली दान की मूर्ति है जिनके सम्पूर्ण जीवन में सत्य अहिंसा त्याग समाया हुआ है।देश और देशवासियों के कल्याण के लिए अपने जीवन की सम्पूर्ण ऊर्जा देने वाले महात्मा गांधी से देश की नोजवान पीढी को विमुख किया जारहा है।

विश्व के महान वेज्ञानिक आइसंटाइन के जीवन पर गांधीजी के विचारों का काफी प्रभाव पडा था।आइसंटाइन ने कहा था कि आनेवाली पीढियां विश्वास नहीं कर पाएगी की किस प्रकार अपने अहिंसा सविनय अवज्ञा सत्याग्रह के बल पर एक बूढे व्यक्ति गांधी ने ब्रिटेन जेसे शक्तिशाली देश हरा दिया और उन्हें भारत छोडने पर मजबूर कर दिया। शायद आइसंटाइन की कही बात को भारतवासी ही सत्य साबित कर ने के लिए गांधी के पुतले को गोलियां मार रहे हैं। गांधी के शरीर की हत्या करने के बाद गांधी के विचारों की हत्या करने के लिए ही बार बार गांधी को मारा जाता है।आज के लोकतांत्रिक देश की पांच साल की चुनी हुई सरकार के सामने देश का मीडिया न्याय पालिका चुनाव आयोग पूर्ण समर्पण कर सकता है तो सहज अनुमान लगाया जा सकता है की अंग्रेजी हुकुमत के सामने खडा होना कितना मुश्किलमंत्रणा दायक भयानक होगा। तत्कालीन भारतवर्ष के अनेक राजघराने उस समय की अंग्रेजी सरकार के साथ खडे थे जिनको आज भी हम पूर्ण सम्मान देते हैं।उस समय की देश की भूखी नंगी जनता को गांधीजी ने जात धर्मभाषा के बंधनों से उपर उठाकरदेश की आजादी के लिए एकजुटखडा कर दिया था।

हम भारतीयों मे सदियों से अत्याचार सहने की सहनशीलता का अदभुत गुण पाया जाता है।गांधी जी ने इस सहनशीलता को समझ कर ही अहिंसा को अपना हथियार बनाया। कोई तुम्हें गाल पर एक चांटा मारे तो आप अपने दूसरे गाल को भी उसके सामने मारने के लिए तुरतं आगे करदो यह अहिंसा का काम कायरो का नहीं बहादुरो का काम है। गांधी जी की हत्या के बाद हुई शोक सभा में सरदार पटेल ने रोते हुए कहा थाकी एक हड्डियों का जर्जर ढांचा जिससे निकली हुई महीन आवाज सम्पूर्ण देश वासियों के दिलो दिमाग पर असर करती थी उसे गोली दाग कर मारने वाले शेतानो की टोली के सदस्य हैं।पटेल ने इस अवसर पर रोते हुए गांधी के हत्यारों को कायर बुजदिल शेतान कहाजिन्होंने एक बूढ़ी आत्मा पर अकारण गोली चलाई।आज देश में गांधी नेहरू पटेल की विचारधारा के सामने गोडसे की विचारधारा को माध्यम बनाकर देश के संविधान समतामूलक समाज संस्कृति पर हमले किये जारहे है। देश की आजादी की जंग में अंग्रेजी हुकुमत से लडकर जेल जाने वाले गांधी नेहरू पटेल के त्याग के सामने गोडसे वादी विचारधारा हमलावर होकर वार पर वार कर रही है और अपने ही पुरखों के बचाव से अनजान बने कांग्रेसी नेता इस लडाई मे मूकदर्शक बने बेठे हैं।

जेल यातना से घबरा कर छ.बार अंग्रेजों से माफी मांगने वालो को वीर पुरुष बनाने के खेल को कांग्रेसी नेताओं के मोन ने और आसान बना दिया है।अपने देश की महिलाओं के तन पर आधे अधूरे कपडे देख कर गांधी जी ने अपने शरीर पर एक धोती धारण करने का निर्णय लेलिया था।एक प्रार्थना सभा में आये एक बच्चे ने सर्दियों में गांधी जी को नंगा बदन देखने पर उस बच्चे ने अपनी मां से गांधी जी के लिए कमीज बना कर लाने की बातकही।क्या आपके पास कपडे नहीं है आप सर्दी में क्यों खुले बदन रहते हैं।इस पर गांधी जी ने कहा कि जिस दिन मेरे देश की चालीस करोड़ जनता के जिस्म पर कपडे होंगे उस दिन में भी अपने शरीर को पूर्ण रूप में से ढक लूगां।आज एक दिन में दश लाख रुपये का सूट पहने हमारे नेता गांधी जी की बात करते तो देश की जनता और नेता दोनों की बुद्धि पर तरस आता है।गांधी के त्याग और तपस्या भरे जीवन को आज कांग्रेस के नेताओ ने ही भुला दिया वरना दश लाख रुपये का सूट पहनने वाला नेता गांधी की विरासत पर कब्जा करने का साहस शायद ही कर पाता।

लगता गांधी दर्शन के यथार्थ से केवल सूत की माला ही आज के कांग्रेस जनो को भा रही हैजिसे धारण करने बाद कांग्रेस जनगांधी वादी बनने का लाभ उठा रहे हैं।कांग्रेस जन के पास सत्ता सुख से प्राप्त सब कुछ है पर गांधी का त्याग नेहरू की दूर द्रष्टी लगन पटेल के लोह जेसे इरादे इन्दिरा गांधी का अनुशासन नही है।इसी कारण वश भाजपा के हमलो का प्रतिकार करना मुश्किल हो गया है।कांग्रेस पार्टी के नेतागण भाजपा का पिछलग्गू बन कर भाजपा के पृचार के सामने आत्म समर्पण करते हुए उग्र हिन्दुत्व के सामने नर्म हिन्दुत्व का स्वागं भरकर सिर्फ कपडे बदलने का काम कर रहे हैं।विचारधारा की रोकथाम करने के लिए विचार लाना पडता है जो आज के षड्यन्त्र मे लिप्त रहने वाले कांग्रेस जनो के बस की बात नहीं है।मोदी अमित शाह की भाजपा के सामने आज की कांग्रेस की यही स्थिति लगभगबन गई है।राजस्थान की राजधानी जयपुर में25वर्षों से अजेय बनी भाजपा को लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के महेश जोशी चुनाव हरा देते हैं पर अगले ही चुनाव में विधायकी का चुनाव हारने वाले सभी कांग्रेस नेता भाजपा प्रत्याशी से साठगांठ करके लोकसभा चुनाव में महेश जोशी को हराने के लिए लग जाते हैं महेश जोशी की करारी हार मे कांग्रेस जनों के योगदान के चश्मदीद गवाह हम भी रहे हैं।

राज्य सरकार की उप मुख्यमंत्री की टीम मुख्यमंत्री बनने की लालसा पाले अपने ही घर को आग लगा रही है मजेदार बात यह है की अधिकाशं कांग्रेस जनो को अपने भाई के मरने का गम नहीं है पर भाभीजी के विधवा होने का उत्सव वे जोरशोर से मनाते हैं। खेमेबाजी मे बंटी कांग्रेस के नेताओं मे अब राहुल गांधी और कांग्रेस का सम्मान बचाने के लिए भाजपा से लडने की ताकत कोन पेदा करेगा इसका जवाब किसी के पास नहीं है। जोधपुर में माली, मेघवाल मुस्लिम समाज कांग्रेस से दूर चला गया नोशिखिये मंत्रियों की साख पर सवाल खडेहै पर जवाब नहीं है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली जीत मे कांग्रेसी नेताओं के योगदान से ज्यादाभाजपा सरकार विरोधी माहोल का योगदान रहा है।

राहुल गांधी की स्थिति आज की राजनीति में ठीक उनके पिता राजीव गांधी जेसी हो गई है।राजीव गांधी अपने प्रधानमंत्री काल में घर के ही षडयंत्र कारियों से घिर कर अनेक आत्मघाती फेसले कर बेठे थे जिनका खामियाजा आज तक कांग्रेस को भुगतना पड़ रहा है।कांग्रेस की राजनीति में सभी पद आलाकमान की मेहरबानी से मिलने के कारण जमीनी स्तर के नेताओं का अभाव हो गया है।विरोध के लिए संघर्ष करना सडक पर उतर कर मुद्दों को आम जन मे लेजाकर भुनाने के बजाए षडयंत्र के बल पर अपने पदों को बचाने मे लगे कांग्रेसी नेताओंके लिए अपने स्वार्थ कांग्रेस की प्रतिष्ठा से बडे हो गए हैं।इस प्रकार के नेताओं के कारण ही ममता बनर्जी आन्ध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री रेड्डी को कांग्रेस छोडने का निर्णय लेना पडा था।

राहुल गांधी साफ मन से ईमानदारी से राजनीति करना चाहते हैं पर कांग्रेसी घात प्रतिघात मे माहिर नेताओं का काकश उनकी राह में बडी बाधा है इनसे निपटने के बाद मोदी अमित शाह की भाजपा से लडने की बारी आती है।राज्य में एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत को लागू करके प्रदेश अध्यक्ष पद पर किसी ब्राह्मण को बेठा कर जाट समाज दलित अल्पसंख्यक समुदाय को संगठन मे जोडऩे से अपनी खोई सियासी जमीन प्राप्त की जासकती है।कांग्रेस को बचाने के लिए कडे फेसले लेकर जमीनी स्तर पर विचारधारा को बचाने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

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