जयपुर

धर्म की राजनीति मे गुम हो गया नेताओं का राजनीतिक धर्म.......

Special Coverage News
22 April 2019 1:52 AM GMT
धर्म की राजनीति मे गुम हो गया नेताओं का राजनीतिक धर्म.......
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परमात्मा ने इस धरती पर अनैक प्रकार के जीव जन्तु बनाए है और आदमी को भी बनाया है। जानवरों में बहुत सी कमियां हो सकती है परन्तु एक कमी नहीं होती है। जानवर जैसा बाहर से दिखाई देता है वैसा ही वह अन्दर से होता है। जानवर बाहर से कुछ और हो और अन्दर से कुछ और बनकर किसी को धोखा नहीं दे सकता है। इसके पीछे बडा स्पष्ट कारण है कि जानवर को ईश्वर ने बुद्धि अकल नहीं दी है जिसके बल पर वह साथ बेठकर मिलकर के धोखा दे सके। आदमी के साथ उसे पहचानने की बडी समस्या है। कभी कोई आदमी बाहर से बहुत सुन्दर होता है परंतु अन्दर से वह आदमी बहुत खराब होता है ठीक इसी प्रकार कोई आदमी बाहर से देखने में बहुत बदसूरत कुरुप काला होता परन्तु अन्दर से वहीं आदमी दिल का साफ और बहुत अच्छा होता है। इस धरती पर केवल इन्सान को ही ईश्वर ने इस धरती पर रहने वाले सभी जीवों में यह शक्ति दी है कि वोह हर मोके और हालात के मुताबिक अपने आप को तैयार करके सामने वाले लोगों को धोखा दे सकता है। जो आदमी अन्दर से अच्छा होता है वहीं आदमी अच्छा होता है। जो मुश्किल एक आदमी को पहचानने में होती है वहीं मुश्किलें नेताओं को पहचानने में होती है। अच्छा नेता होने के लिए अच्छा आदमी होना जरूरी है। यदि आदमी अच्छा नहीं है तो वह अच्छा नेता भी नहीं हो सकता है।


हमारे जीवन में अनैक बार ऐसा होता है कि कोई व्यक्ति विश्वास घात करके हमें मूर्ख बना कर चल देता है और हमें इसका पता नहीं चलता है। अच्छा आदमी ही अच्छा हिन्दू अच्छा मुसलमान पडो़सी भाई दोस्त रिश्तेदार साबित होता है और देशभक्त नागरिक भी अच्छा आदमी ही बन सकता है। धर्म ईश्वर का एक अदृश्य अंकुश है जो मनुष्य को सदमार्ग पर चलने के लिए अनदेखें ईश्वर के भय उसके प्रकोप से डराता है। ईश्वर मे आस्था रखने वाले प्रत्येक धार्मिक व्यक्ति जो धर्म के मर्म को जान लेता वह सबसे पहले अपनी आत्मा में समाहित लालच काम क्रोध ईर्ष्या अहंकार पर विजय प्राप्त कर के इन सब बुराइयों को अपने जीवन दूर करता है। धर्म आत्मा को जीतने के लिए कहता है और राजनेता बने हुए व्यक्ति का परम लक्ष्य यही होता है कि मैं और मेरी राजनीतिक पार्टी सभी को जीत ले। सब लोग मेरी बात माने मेरे सामने खडे़ होने वाले लोगों को मैं राज सत्ता की ताकत के बल पर कुचल दू। सत्ता का नशा मदहोश कर देता फिर अहंकारी नेता सत्य असत्य भूल कर स्वयं को ही सत्य मानने का भ्रम पाल लेते हैं। नेता का धर्म जिधर सत्ता है वहीं सत्य है के सिद्धांत को मानने लग जाता है तो धर्म का संदेश आदीकाल से दुनिया में सुनाई दे रहा है कि जिधर सत्य है वहीं पर धर्म हैं। धर्म को तन से मन से कर्म और वचन से धारण किया जाता है इसके विपरीत राजनीति लगातार झूठ बोल कर लोगों की मति भ्रमित करने का काम करती है।


मनुष्य जब तक धर्म धारण करके धार्मिक रहता है तब तक उसकी वाणी में सत्य सुनाई देता है और धर्म छोड़ कर जब आप नेता बन जाते हैं तो धर्म से आपका नाता टूट जाता है तब आपकी जबान झूठ बोलना जारी हो जाता है।एक बार झूठ बोलने के बाद शायद व्यक्ति को यह अहसास भी नहीं रहता है कि कब किस समय कितना झूठ बोला था फिर जब देखो तब अधर्मी नेता झूठ पर झूठ बोलता रहता है। धर्म सभी मनुष्यों को सच बोलने का संदेश देता है और धर्म का दण्ड राजा पर भी भारी होता है। चन्द्र गुप्त के राज तिलक के अवसर पर चाणक्य ने चंद गुप्त के हाथ में गदा देकर भरे दरबार में कहा थाकी राजन अब आपके हाथ में यह राजदण्ड का गदा है आप किसी को भी राजदण्ड के रूप में इस गदा से मार सकते हैं। इसके बाद चाणक्य ने धर्म की पताका चंद्र गुप्त के सर पर रखते हुए कहा था कि राजन यह धर्म ध्वज है जिसकी अवहेलना करने पर आपको भी धर्म दण्ड लग सकता है धर्म से ऊपर आप और आपका शासन कदापी नहीं हो सकता है। अर्थात धर्म का दण्ड अधर्म करने पर राजा को भी भोगना पड़ता है। राजनीति का धर्म क्या है क्या आज के राजनीतिक परिवेश में हमारे देश के राजनेता राजनीति का धर्म निभा कर जनता की सेवा सफलतापूर्वक कर रहे हैं। आजादी के बाद राजनीतिक सफर में देश की राजनीति ने आज वह मुकाम हासिल कर लिया है जहां नेताओं का विश्वास करना जनता ने लगभग छोड़ दिया है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन में राजनीति सत्य धर्म का ही स्वरूप रहा था। गांधी जी का राजनीति से

देश में स्वराज लाकर देश की जनता के जीवन स्तर को उचां उठाने का समग्र विकास का नाम था। आजादी के बाद हमारे देश के महापुरुषों नें देश को धर्मनिरपेक्ष सविंधान के एकता के सूत्र में बांध कर सशक्त सक्षम भारतवर्ष की कल्पना की थी। धर्म को व्यक्ति की निजी आस्था का सवाल मानकर भारत को धर्म निरपेक्ष बनाने के पीछे देश के बंटवारे में धर्म के नाम पर की गई भारी हिन्सा से सबक लेकर ही देश को इस खतरे से बचाने का उद्देश्य धर्म निरपेक्ष संविधान मे निहित था। आजादी के पश्चात भारतीय जनमानस मे धर्म की राजनीति ने गहरे रुप से बेठी नफरत की आग को पुनः हवा दे दी है। आज की राजनीति में सक्रिय नेताओं ने पूर्ण रूप से राजनीति के धर्म को त्याग दिया है। ये नेता किसी भी प्रकार सत्ता में बने रहने के लिए अपनी विफलताओं पर धर्म का आवरण डाल रहे हैं। चुनाव जीतने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपने शासन में जन समस्याओं के समाधान मे विफल हो चुके नेताअब धर्म की ओट लेकर चुनाव जीतना चाहते हैं। अपने शासनकाल में जनहित को भूलने के कारण ही बजरंग बली और अली के नाम पर वोट मांगने के लिए नेताओं की विवशता देखी जा रही है। वर्ष2014के चुनाव में भारी भरकम वादों के बल पर जनता के वोट लेने वाले नेताओं ने ही अपने वादों को चुनावी जुमले करार देकर जनता मे अपनी विश्वसनीयता पर सवाल खडे कर दिऐ।

व्यक्ति की बात गिरने से पहले झूठा व्यक्ति नजरों से गिर जाता है शायद इस बात को झूठ बोलने वाले नेता समझने कोतेयार नहीं है। अच्छा होता की अपनी कही बातो का सम्मान करके हमारे नेता देश की जनता मे अपनी विश्वसनीयता बनाऐ रखते। पूरे पांच वर्ष के अपने शासन में सम्पूर्ण विश्वमे घूम-घूम कर सत्ता सुख का आनंद लेने वाले नेता अब अपने विरोधियों को सवाल पूछने पर देश विरोधी बता रहे हैं। देश धर्म भक्ति का भोडां प्रदर्शन करने वाले नेताओं ने नोटबंदी जी एस टी को रातों रात अचानक जनता पर लागू करने से पहले इसके जनता पर पडने वाले बुरे प्रभाव की कल्पना तक नहीं की और इसे जनता पर जबरन थोप दिया गया। देश की वर्तमान सरकार यदि राजधर्म और राजनीति के धर्म का पालन करती तो देश में आज चहुँओर शांति-सद्भाव प्रगति नजर आती।देश में जो असंतोष आक्रोश व्याप्त है उसके पीछे भी देश की सरकार मे बेठे झूठे नेताओं के द्वारा बोला गया निरतंर झूठ है। भारत माता की जय भारत देश का वैभव भारत देश के भूभाग पर रहने वाली जनता के बिना संम्भव है क्या। भारत देश का वैभव सम्पूर्ण विश्व में तभी संम्भव होगा जब हम

देश की जनता को बिना किसी भेदभाव के जीवन जीने के आदर्श मापदंड समान रूप से उपलब्ध करा पाएंगे। जिनके शासन में भाजपा एक विधायक अभागी बेटी का बलात्कार करके न्याय मांगने के जुर्म में उसके बूढे बाप की जान जनता के रक्षक बने पुलिस थाने मे पुलिस जवानों को गवाह बना हरले यह धर्म नहीं अधर्म कहा जाएगा। जम्मू कश्मीर राज्य में बलात्कारी को बचाने के लिए तिरंगा झंडा देश का परचम हाथ में लेकर भारत माता की जय बोलना देश को किस ओर लेजा रहा है इसकी कल्पना से देश का आम आदमी चिन्तित पर नफरत की राजनीति करने वाले इससे अनजान बने हुए हैं क्या आज की राजनीति का यही राजधर्म है?सत्ता की कुर्सी पर बैठकर सत्य का गला देश के मीडिया के बल घोटने का हुनर भले ही कुछ देर के लिए आपको महान घोषित करदे परन्तु सत्य लगातार आपको बेचैन कर ता रहेगा। दवा के अभाव में मरने वाले मासूम बच्चों के दाग धब्बे आपको परेशान ना करें परंतु संवेदनशील जन मानस के पटल पर आज भी इनके गहरे निशान हैं। विश्व में सबसे अधिक धन की देवी लक्ष्मी की पूजा करने वाले हमारे देश की बडी़ आबादी आज भी निर्धन हैं जिसे दो वक्त की रोटी भरपूर मेहनत के बाद भी नहीं मिलती है।

आज भी एक कोयली मासूम बच्ची भात-भात कहकर भूख से दम तोड़ देती पर हमें और हमारे नेताजी को जनता को भोजन रोटी नहीं देने पर लाज शर्म नहीं आती है देश का खजाना विजय माल्यामोदी मेहुल चोकसी आराम से लूटकर देश से भाग जाते है और हमारी व्यवस्था पर सवाल उठते हैं आखिर राज्य सत्ता किसके हितों की पूर्ति कर रही हैं।अपने बीमार पति के इलाज के लिए एक मां अपने बच्चों की कीमत लगाकर बाजार में बेंच देती है पर धर्म की राजनीति प्रतीको के सहारे अपने पापो को छुपाने के लिए सरदार पटेल की तीन हजार करोड़ रुपये की मूर्ति बनवाकर नये मिथकों से हमें झूठे गौरव ज्ञान का उपदेश देती है।शांति काल में देश की सीमा पर जवान और खेतों में किसान रोज मर रहे हैं। किसानों को फसल का मुल्य और मजदूरों को मजदूरी मिलना मुश्किल हो गया है बेरोजगारों की भीड को धर्म के अफीम की लत लगाकर उन्हें रोजगार देकर सभ्य नागरिक बनाने के बजाय दंगाइयों की भीड मे तब्दील किया जा रहा है। आपका बेटा भाई पडो़सी पेट में भूख की आग लिए धर्म की विजय के लिए हथियार हाथ में लेकर निकल पडा है। अपने पडो़सियों को दुश्मन मानने का हुनर राजनीति सिखा रही है।


शायद धर्म का अंधा व्यापार देश वासियों की सामुहिक चेतना को कुन्द करने के लिए बहुत फायदेमंद होता है तभी तो भक्त शिरोमणि अपनी ही सरकार में अल्पसंख्यक समुदाय के पैदा किये काल्पनिक भय के सामने लाचार बनकर पुनः ठगे जाने को तैयार है। चाणक्य सतयुग में चन्द्र गुप्त का राजतिलक करते हैं और कलियुग में सारे धार्मिक बाबा मोक्ष की चिन्ता छोडकर वोटरों को अपने श्राप से डरानेके साथ सत्ता रुपी मोहिनी का वरण कर रहे हैं। चुनाव के मैदान मे बाबा गुरु घंटाल धर्म का चोला ओढ़कर अधर्म की नगरी मे निर्लज्ज होकर राजनीति करने के चिमटा लोटा हाथ में लेकर नाच रहे हैं। जब साधू संत राजनीति करने के लिए झूठे नेताओं की दण्डवत होकर चरण वंदना कर रहे हैं तो फिर ना जनता सुरक्षित होगी ना देश की रक्षा होगी। इस प्रकार की राजनीति नीरव मोदी, विजय माल्या मेहुल चौकसी, केतन मेहता की लूट की चौकीदारी करती रहेगी और बैंकों का सरकारी धन लुटता रहेगा। जब धर्म के दण्ड से राजा को प्रजाहित मे जगाने वाले धर्म गुरुपतित भ्रष्ट राजनीति में खो जाएंगे तब समाज का अहित होना तय है।वर्तमान समय मे ऐसा ही हो रहा है।

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