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आखिर आधी रात को राज्यपाल से आदेश क्यों करवाती है राजस्थान की गहलोत सरकार ?
राजस्थान में अब अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार है और गहलोत सरकार को यह संवैधानिक अधिकार है कि वह राज्यपाल से कभी भी आदेश करवा सकती है। इसमें रात और दिन नहीं देखा जाता है, लेकिन आमतौर पर यह माना जाता है कि इमरजेंसी होने पर ही रात के समय आदेश जारी होते है यानि आवश्यक होने पर ही रात के समय फाइल राजभवन जाती है अन्यथा सरकार के सारे काम-काज दिन के उजाले में होते हैं।
लेकिन गहलोत सरकार के सामान्य काम-काज भी रात के समय ही हो रहे हैं। 29 दिसम्बर को रात 12 बजे राजभवन से महेन्द्र सिंघवी की महाअधिवक्ता के पद पर नियुक्ति के आदेश जारी हुए। जबकि 30 दिसम्बर को रविवार रहा और इन दिनों हाईकोर्ट में शीतकालीन अवकाश चल रहा है। ऐसे में सरकार के सामने कोई इमरजेंसी नहीं थी। फाइल पर राज्यपाल 30 दिसम्बर दिन को भी हस्ताक्षर कर सकते थे, लेकिन गहलोत सरकार का दबाव रहा कि राज्यपाल आधी रात को ही हस्ताक्षर करें। स्वाभाविक है कि राज्यपाल कल्याण सिंह नींद से जागे होंगे और फिर कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद फाइल पर हस्ताक्षर किए होंगे। सब जानते है कि राज्यपाल का स्वास्थ्य ठीक नहीं है उन्हें किसी समारोह में शामिल होने से पहले आवश्यक दवाईयां भी लेनी होती हैं। राज्यपाल के स्वास्थ्य का ख्याल गत भाजपा की सरकार ने लगातार रखा।
24 दिसम्बर को मंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह में भी स्वास्थ्य खराब होने की वजह से ही राज्यपाल आधा घंटा देरी से आए थे। गहलोत ने 17 दिसम्बर को सीएम पद की शपथ ली थी और 24 दिसम्बर को 23 मंत्रियों ने शपथ ली। लेकिन 12 दिन की अवधि मंे यह दूसरा अवसर रहा जब रात के समय राजभवन से आदेश जारी हुए है। 27 दिसम्बर की रात को भी मंत्रियों के विभागों का वितरण करवाया गया।
जबकि सरकार की सिफारिश पर मंत्रियांे के विभागों के वितरण की फाइल पर राज्यपाल ने रात एक बजे हस्ताक्षर किए। राज्यपाल जब किसी फाइल पर हस्ताक्षर करते है तो पहले कानूनी प्रक्रिया पूरी करते हैं। मंत्रियों के विभागांे वाली फाइल पर दिन में भी हस्ताक्षर हो सकते थे। हालांकि सरकार की सिफारिश पर राज्यपाल को आदेश जारी करने ही होते हैं। लेकिन सरकार यह प्रक्रिया दिन में भी पूरी कर सकती है। अस्वस्थता के चलते राज्यपाल कल्याण सिंह को रात के समय कितनी परेशानी हो रही होगी, इसकी पीड़ा वे ही जानते हैं।