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550वीं गुरु नानक जयंती: जब मक्का की तरफ पैर कर लेट गए थे गुरु जी, हुई ऐसी घटना
गुरु नानक देव की 550वीं जयंती देश के सभी हिस्सों में पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाई जा रही है. इसे प्रकाश पर्व भी कहा जाता है. गुरु नानक के जीवन परिचय में उनकी मक्का मदीना यात्रा का भी उल्लेख मिलता है. इस यात्रा के दौरान नानक साहिब से जुड़ी घटना ने इस्लाम धर्म के अनुयाइयों को बड़ी शिक्षा दी थी. आपको बता दें कि गुरु नानक देव ने अपने शिष्य मरदाना के साथ करीब 28 वर्षों में दो उपमहाद्वीपों में पांच प्रमुख पैदल यात्राएं की थीं. इन यात्राओं को उदासी कहा जाता है. इन 28 हजार किलोमीटर लंबी यात्राओं में गुरु नानक ने करीब 60 शहरों का भ्रमण किया था.
गुरु नानक की मक्का यात्रा
अपनी चौथी उदासी में गुरु नानक ने मक्का की यात्रा की थी. उन्होंने हाजी का भेष धारण किया था और अपने शिष्यों के साथ मक्का पहुंच गए थे. हिंदू, जैन और बौद्ध धर्म के कई तीर्थस्थलों की यात्रा करने के बाद नानक ने मक्का की यात्रा की थी. गुरु नानक की मक्का की यात्रा का विवरण कई ग्रन्थों और ऐतिहासिक किताबों में मौजूद है. 'बाबा नानक शाह फकीर' में हाजी ताजुद्दीन नक्शबन्दी ने लिखा है कि वह गुरु नानक से हज यात्रा के दौरान ईरान में मिले थे. जैन-उ-लबदीन की लिखी 'तारीख अरब ख्वाजा' में भी गुरु नानक की मक्का यात्रा का जिक्र किया गया है. इसमें जैन-उ-लबदीन ने नानक और रुकुद्दीन के बीच की बातचीत का उल्लेख भी किया गया है.
हाजियों के आरामगाह में लेट गए गुरुजी
हिस्ट्री ऑफ पंजाब, हिस्ट्री ऑफ सिख, वारभाई गुरदास और सौ साखी, जन्मसाखी में भी नानक की मक्का यात्रा का जिक्र किया गया है. गुरु नानक जी के एक शिष्य का नाम मरदाना था. वह मुस्लिम था. मरदाना ने गुरु नानक से कहा कि उसे मक्का जाना है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि जब तक एक मुसलमान मक्का नहीं जाता तब तक वह सच्चा मुसलमान नहीं कहलाता है. गुरु नानक ने यह बात सुनी तो वह उसे साथ लेकर मक्का के लिए निकल पड़े. जब गुरु जी मक्का पहुंचे तो वह बहुत थक गए थे. वहां पर हाजियों के लिए एक आरामगाह बनी हुई थी तो गुरु जी मक्का की तरफ पैर करके लेट गए.
अच्छे कर्म करो और खुदा को याद करो
हाजियों की सेवा करने वाला खातिम जिसका नाम जियोन था वह गुरु नानक को ऐसे लेटा देखकर बहुत गुस्सा हुआ और बोला- क्या तुमको दिखता नहीं है कि तुम मक्का मदीना की तरफ पैर करके लेटे हो. गुरु नानक ने कहा कि वह बहुत थके हुए हैं और आराम करना चाहते हैं. उन्होंने जियोन से कहा कि जिस तरफ खुदा न हो उसी तरफ उनके पैर कर दे. तब जियोन को गुरु नानक की बात समझ में आ गई कि खुदा केवल एक दिशा में नहीं बल्कि हर दिशा में है. इसके बाद जियोन को गुरु नानक ने समझाया कि अच्छे कर्म करो और खुदा को याद करो, यही सच्चा सदका है.