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इस वर्ष वैधव्यदोष नाशक तथा पुत्र-पौत्रादि को बढ़ाने वाली अद्भुत योग से युक्त हरितालिका तीज
पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाने वाला व्रत 'हरितालिका तीज' 12 सितम्बर को है।
भाद्रस्य कजली कृष्णा शुक्ला च हरतालिका'
के अनुसार भाद्रपद शुक्ल तृतीया को हरतालिका का व्रत किया जाता है।
है। विवाहित महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य की कामना के लिए यह व्रत रखती है और अविवाहित लड़कियां अच्छे वर की कामना के लिए भी इस व्रत को रखती है।
तृतीया तिथि 11 तारीख को रात्रि 7: 54 बजे से लग जाएगी इसलिए व्रत रखने वाली महिलाएं और लड़कियां इससे पहले ही अपनी पूरी तैयारी कर सकती हैं। हरितालिका तीज का मुहूर्त शाम 6:30 बजे से रात 08:10 बजे तक है।
इस वर्ष भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से युक्त तृतीया(हरितालिका) वैधव्यदोष नाशक तथा पुत्र-पौत्रादि को बढ़ाने वाली है।
'शास्त्र में इस व्रत के लिए सधवा, विधवा सबको आज्ञा है। धर्मप्राणा स्त्रियों को चाहिए कि वे
" मम उमामहेश्वरसायुज्यसिद्धये हरितालिकाव्रतमहं करिष्ये'।
यह संकल्प करके मकान को मंडप आदि से सुशोभित कर पूजन सामग्री एकत्र करें। इसके बाद कलश स्थापन करके उस पर सुवर्णादि निर्मित शिव गौरी (अथवा पूर्व प्रतिष्ठित हर-गौरी) के समीप बैठकर उनका सहस्त्रशीर्षा. आदि मंत्रों से पुष्पार्पणपर्यन्त पूजन करके 'ऊँ उमायै नम:,से उमा के और महादेवाय नम: से महेश्वर के नामों से स्थापन और पूजन करके धूप दीपादि से षोडशोपचार संपन्न करें और
'देवि देवि उमे गौरि त्राहि मां करुणानिधे।
ममापराधा: क्षन्तव्या भुक्तिमुक्तिप्रदा भव।।
से प्रार्थना करें और निराहार रहे। दूसरे दिन पूर्वाह्न में पारण करके व्रत को समाप्त करें। इसी दिन 'हरिकाली' 'हस्तगौरी' और 'कोटीश्वरी' आदि के व्रत भी होते हैं। इन सब में पार्वती के पूजन का प्रधान्य है और विशेषकर इनको स्त्रियां करती हैं।
ज्योतिषाचार्य पं गणेश प्रसाद मिश्र लब्धस्वर्णपदक, शोध छात्र, ज्योतिष विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय