दूसरी मोहर्रम को कर्बला पहुंचा था इमाम हुसैन का काफिला

नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में मोर्हरम की दूसरी तारीख सोमवार को बड़े ही अकीदत में मनाई गई।पूरे दिन मजलिस-ओ-मातम का सिलसिला जारी रहा।औरतें,बच्चे सभी ने मजलिस-ए-हुसैन में शिकरत की ।इसी क्रम में इमामबारगाह हुसैनिया इरशादिया में अशरे की दूसरी मजलिस को ख़िताब करते हुए मौलाना मुहम्मद हुज्जत ने फरमाया कि इमाम हुसैन का काफिला दूसरी मोहर्रम को कर्बला पहुंचा।
इससे पूर्व इमाम हुसैन के काफिले को कई बार यजीद की फौज ने रोकने की कोशिश की।इस दौरान इमाम हुसैन ने प्यास से परेशान यजीदी फौज को पानी पिलाकर दीन के दुश्मनों को पहली शिकस्त दी।जब काफिला एक मुकाम पर पहुंचा तो इमाम हुसैन के घोड़ों के कदम थम गए।काफी चाहने के बावजूद भी जब घोड़ों ने कदम आगे नहीं बढ़ाया तो इमाम हुसैन घोड़े से उतरे और वहां के लोगों से उस जगह का नाम पूछा तो लोगों ने बताया कि इसे नैनवा कहते है।
फिर पूछा इस जमीन को और किस नाम से जानते है तो किसी ने बताया कि इसे कर्बला कहते हैं।बस इमाम हुसैन ने अपने सफर को खत्म किया और खैमा लगाने का हुक्म दिया।खैमे लगाए जा रहे थे तभी यजीद की फौज ने दरिया किनारे खैमा लगाने से मना किया।इस पर हुसैन(र.)के भाई अब्बास(र.)को गुस्सा आ गया लेकिन इमाम हुसैन(र.)और उनकी बहन जैनब(र.)ने उन्हें समझाया।कहा-भैया हम जंग करने नहीं नाना रसूल खुदा(स.)के दीन की हिफाजत करने आए हैं।जिसको सुन कर मजलिस में उपस्थित लोगों की आँखों में आंसू छलक आये।