धर्म-कर्म

दीपावली पर विशेष: प्रकाश व खुशियों की दीपमाला का पावन पर्व दीपावली

Special Coverage News
25 Oct 2019 10:01 AM GMT
दीपावली पर विशेष: प्रकाश व खुशियों की दीपमाला का पावन पर्व दीपावली
x

दीपक कुमार त्यागी

सनातन धर्म व हमारी भारतीय संस्कृति के अनुसार हम सभी के जीवन में त्यौहारों का विशेष महत्वपूर्ण स्थान है। यहाँ तक कि अगर हम भारत को त्यौहारों की अद्भुत संस्कृति के महाकुंभ की संपन्न विशाल नगरी कहें तो यह कहना भी गलत नहीं होगा। हमारे प्यारे देश में वर्ष भर आयेदिन कोई न कोई पर्व या उत्सव लगातार चलते ही रहते है। हालांकि कुछ उत्सव केवल देश के किसी अंचल मात्र में मनाए जाते हैं तो कुछ उत्सव सम्पूर्ण देश में अलग-अलग नाम व ढंग से मनाये जाते हैं। भारत में शायद ही कोई माह या ॠतु होगी जिसमें हम लोग कोई त्यौहार ना मनाये। यही हमारे भारत की संस्कृति का गौरवशाली इतिहास व आज रहा है। हम भारतीयों के अनुसार पर्व हमारे जीवन में नया उत्साह संचार करने के महत्वपूर्ण आवश्यक कारक होते हैं। जिनकी स्वीकार्यता व महत्ता देश में सर्वव्यापी है। पर्व हमारी जिंदगी में आपसी भाईचारा, प्यार-मौहब्बत, ख़ुशी और हर्षोल्लास का एक अद्भुत नया पुट लाते हैं।

वैसे तो हम भारतीय अपनी मान्यताओं व परम्पराओं के अनुसार रोज ईश्वर की आराधना करते हैं, लेकिन प्रभु की अर्चना के सभी उत्सवों में दीपावली का अपना एक प्रमुख स्थान है। हमारे देश में जितने भी त्यौहार हैं, उनमें दीपावली सर्वाधिक आम से लेकर खास तक सभी के बीच में बहुत लोकप्रिय है। यह त्यौहार जन-जन के मन में हर्ष-उल्लास पैदा करने वाला पर्व है। हमारे यहां प्रार्थना है कि- 'तमसो मा ज्योतिर्गमय:' अर्थात अंधकार से प्रकाश में ले जाने वाला, दीपावली वही पावन त्यौहार है जो हमकों जीवन में एक नई राह दिखाता है। दीपावली के पावन पर्व पर हमारे देश में माँ लक्ष्मी, भगवान गणेश, माँ काली, भगवान श्रीराम आदि की विशेष पूजा का प्रावधान है।

लेकिन अधिकांश लोग माता लक्ष्मी व भगवान गणेश की विशेष पूजा जरूर करते हैं। वैसे भी अधिकांश लोगों का मानना हैं कि आज के व्यवसायिक समय में माता लक्ष्मी की कृपा के अभाव में किसी भी भौतिक अथवा सांसारिक कार्य का होना असंभव हो गया है, इसलिए इनकों हमेशा प्रसंन्न रखना है। दीपावली पर हम उस कृपालु परम पिता परमेश्वर की विशेष आराधना करते है। उसके बाद दीपक व विभिन्न प्रकार की आधुनिक व प्राचीन दीपमालाओं की झिलमिलाती मनमोहक रोशनी को देखकर अपने जीवन को सकारात्मक उर्जा से भर लेते हैं। बच्चे, बड़े व बुजुर्ग सभी इस त्यौहार पर जमकर पटाखे चलाकर खुशियाँ मनाते हैं। जीवन में इन ढ़ेरों खुशियों की जगमग-जगमग करती दीपमाला को लाने का पावन पर्व ही दीपावली है। दीपावली का पर्व हर वर्ष शरद ऋतू की शुरुआत में आता है। यह पावन त्यौहार भारतीय संस्कृति का प्रमुख पर्व है और इसको प्रतिवर्ष पवित्र कार्तिक मास की अमावस्या को बहुत ही जोशोखरोश के साथ देश व विदेशों तक में मनाया जाता है। दीपावली सनातन धर्म की गौरवशाली परम्पराओं के अनुसार हिंदुओं का सबसे पवित्र और सबसे बड़ा पावन पर्व माना जाता है। हमारी धार्मिक व सांस्कृतिक मान्यताओं के अनुसार दीपावली मनाने की कई कथाएं प्रचलित हैं। लेकिन दीपावली के दिन लंका युद्ध में रावण का वध करके, भगवान श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या नगरी वापस आए थे, तब अयोध्या के सभी वासियों ने भगवान श्री राम के वापस आने की खुशी में अयोध्या को साफ-सुथरा करके दीपों से, फूलो से, जगह-जगह रंगोली बनाकर, पूरी अयोध्या नगरी को दुल्हन की तरह सज़ा दिया था। तब से लेकर आज तक दीपावली मनाने की यह पावन गौरवशाली परम्परा लगातार चली आ रही है। इस दिन हम सभी कार्तिक मास की अमावस्या के गहन अन्धकार को दूर करने के लिए दीपों को प्रज्वलित करके अपने घर-आंगन, गांव-शहर ओर हर जगह को टिमटिमाती जगमग-जगमग करने वाली दीपावली के दियों की रोशनी से जगमगा देते हैं। जो इस त्यौहार की अनोखी छटा को चार चाँद लगा देता है। इस पर्व पर आजकल हम लोग माता लक्ष्मी-गणेश पूजन करने के बाद, अपने मित्रों, पड़ौसियों व नातेदारों के यहाँ जाकर मिठाई उपहार आदि देते हैं। इस त्यौहार में ऐसी शक्ति है कि वह हम लोगों में आपसी प्यार सौहार्द के साथ परिवार की तरह रहने के लिए प्रेरित करता है तथा यह त्यौहार हम सभी के जीवन में एक नई उर्जा का संचार कर देता है। इस त्यौहार को हम लोग दीपावली या आम-बोलचाल की भाषा में दीवाली के नाम से भी पुकारते हैं। दीपावली हम सभी के जीवन में खुशियों के नये रंग भरने वाला बहुत ही शानदार त्यौहार है। जो देश व समाज में हर तरफ प्रकाश की नवज्योति फैलाते हुए लोगों के जीवन को हर्षोल्लास, आनंद से परिपूर्ण कर देता है।

किसी भी सनातन धर्म व भारतीय संस्कृति को मानने वाले व्यक्ति के जीवन में दीपावली का बहुत बड़ा महत्व होता हैं। शास्त्रों के अनुसार यह त्यौहार व्यक्ति के जीवन को 'अंधेरे से ज्योति' अर्थात प्रकाश की ओर लेकर जाता है। इस त्यौहार पर प्रत्येक सनातनी मनुष्य अपने जीवन के गम के अंधेरों को भुलाकर, जीवन को एक नये उजाले की ओर ले जाने का ठोस प्रयास करता है। मेरा मानना हैं कि आज के भागदौड़ भरे आपाधापी वाले व्यवसायिक दौर में सही में दीपावली वह है जब व्यक्ति अपने मन के अंधेरों को प्रण लेकर स्थाई रूप से खत्म करके, जीवन में प्रकाशमयी सकारात्मक उर्जा के साथ लोगों के साथ मिलजुलकर प्यार मोहब्बत से जीवन लीला का भरपूर आनंद ले। तब ही जीवन में प्रकाश व खुशियों की दीपमाला को झिलमिलाने वाले पावन पर्व दीपावली के त्यौहार का असली उद्देश्य पूर्ण होता है।

Tags
Special Coverage News

Special Coverage News

    Next Story