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दीपोत्सव के चौथे पर्व जमघण्ट यमघण्ट के अवसर पर स्पेशल स्टोरी

Special Coverage News
8 Nov 2018 5:31 AM GMT
दीपोत्सव के चौथे पर्व जमघण्ट यमघण्ट के अवसर पर स्पेशल स्टोरी
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कल दीपावली का पर्व दुनिया में बहुत ही हर्षोल्लास पूर्ण वातावरण में धूमधाम से मनाया गया और दिन भर लक्ष्मी कमाने के बाद शाम को घरों प्रतिष्ठानों को झालरों की वंदनवार एवं दीपों से सजाकर गणेश लक्ष्मी की पूजा कर उनके आगमन के लिये धन्यवाद देकर पूरे साल इसी तरह आते रहने की कामना कर मुंह मीठा कर पूड़ी पकवान खाया गया।सभी जानते हैं कि दीपावली का पर्व भगवान राम के भाई लक्ष्मण हनुमान एवं सीताजी के लंका से वापस आकर रामराज्य की स्थापना करने की खुशी में मनाया जाता है। दीपावली का पर्व माँ सीताजी को साक्षात लक्ष्मी स्वरूपा मानकर उन्हें प्रसन्न करने के लिए मनाने की परम्परा है इसीलिए इस अवसर पर मुख्य रूप से उनकी ही पूजा अर्चना ही नहीं की जाती है बल्कि उन्हें ज्योति स्वरूप मानकर हर स्थान पर दीप प्रज्वलित कर उनके आगमन का वातावरण बनाया जाता है।


ऐसी मान्यता है कि दीपावली की पूरी रात लक्ष्मी माता हर उस स्थान पर जाती हैं जहाँ जहाँ पर उनका ज्योति स्वरूप विद्यमान रहता है और सजावट करके उनकी पूजा अर्चना की जाती है।यहीं कारण है कि इस पर्व को प्रकाशपर्व कहा जाता है और माता के ज्योति स्वरूप से घर प्रतिष्ठान खेत खलिहान मंदिर को रोशनी से नहलाने की कोशिश की जाती है।इसीलिए इस पर्व पर हर व्यक्ति अपनी यथाशक्ति के मुताबिक रोशनी की व्यवस्था जरूर करता है। शायद इसीलिए इस पर्व को सुख सृमद्धि वैभव का प्रतीक माना जाता है और जिसके ऊपर लक्ष्मी जी की जैसी कृपादृष्टि होती है वह उसी के अनुसार अपने वैभव का प्रदर्शन करता है।


इस अवसर पर गोला तमाशा अतिबाजी माँ लक्ष्मी के आगमन पर स्वागत का प्रतीक मान तथा रामराज्य की स्थापना की खुशी में दगाने की परम्परा रही है और इसीलिये उनकी मौजूदगी को मानकर इस मौके पर तरह तरह मंत्र तंत्र अनुष्ठान कर सिद्धि भी की जाती है।इतना ही नहीं कुछ लोग इस अवसर पर भाग्य आजमाने क लियेे जुँआ भी खेलते हैं और कुछ लोग इस पर्व के बहाने लाखों करोड़ों दाँव पर लगाते हैं।इसमें कुछ लोग मालामाल तो कुछ लोग मालामाल बनने के चक्कर में भिखारी बन जात हैं। यह दौर दूसरे दिन भी चलता रहता हैं और पुलिस इसे संरक्षण देती है क्योंकि जुँआ खेलना कानूनी तौर पर अपराध माना जाता है। आज दीपावली का दूसरा दिन है जिसे हम यमघण्ट या जमघण्ट कहकर कोई कामकाज नहीं करते हैं और पूरे दिन आराम फरमाते हैं। इस अवसर पर सभी कल कारखाने प्रतिष्ठान नापने तौलने वाली दूकानें यहाँ तक कि सरकारी प्राइवेट संस्थागत सभी संस्थाओं में अवकाश रहता है और वह बंद रहते हैं।


मान्यता है कि जमघण्ट या यमघण्ट मनाने के पीछे भगवान राम सीता के आगमन की खुशी मनाने से आने वाली थकावट को दूर करने के लिए मनाया जाता है क्योंकि भगवान राम सीता लक्ष्मण के चौदह वर्षों बाद कठिन दौर से गुजरने के बाद वापस लौटने की खुशी के दौर में थकान का अहसास नहीं होता है। हम अपने सुधीजन पाठकों अग्रजों शुभचिंतकों को दीपोत्सव के चौथे दिन की यमघण्ट की बधाई एवं शुभकामनाएं देते हैं और भगवान के रामराज्य की राजधानी अयोध्या में एक साथ तीन लाख दीप चलाकर सतयुग की परिकल्पना को साकार कर विश्वरिकार्ड तोड़ने के लिए हम भगवान शिव अवतारी बाबा गोरखनाथ की गोरक्षा पीठ के पीठाधीश्वर महंत प्रदेश के मुख्यमंत्री सम्मानीय योगी आदित्यनाथ जी को धन्यवाद देते हैं।

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