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त्रिपुरा में 25 सालों से सत्ता पर काबिज लेफ्ट को इस शख्स ने हटाया, जानिए- कौन हैं ये?
Arun Mishra
3 March 2018 6:46 AM GMT
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सुनील देवधर, जिन्होंने पूर्वोत्तर में बीजेपी के लिए नई उम्मीद जगाई है.
पूर्वोत्तर में बीजेपी के बढ़ते प्रभाव के पीछे एक ऐसे शख्स का हाथ है जो खुद न तो कभी यहां से चुनाव लड़ा और न ही मीडिया में आया।
नई दिल्ली : त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी रूझानों में ऐतिहासिक जीत हासिल करती दिख रही है। बीजेपी ने 2013 चुनाव के में केवल एक सीट पर जमानत बचाई पाई थी।
बताया जा रहा है कि पूर्वोत्तर में बीजेपी के बढ़ते प्रभाव के पीछे एक ऐसे शख्स का हाथ है जो खुद न तो कभी यहां से चुनाव लड़ा और न ही मीडिया में आया। फिर भी विपक्षी दलों के पसीने छुड़ा दिए। वह शख्स सुनील देवधर है जिन्होंने पूर्वोत्तर में बीजेपी के लिए नई उम्मीद जगाई है। लेफ्ट सरकार को चुनौती देने का श्रेय बीजेपी सुनील देवधर को ही देती है।
सुनील देवधर मराठी हैं, लेकिन फर्राटेदार बंगाली भी बोलते हैं। वे लंबे समय से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे हैं। उन्हें बीजेपी ने पुर्वोत्तर की जिम्मेदारी दी थी। यहां रहकर उन्होंने स्थानीय भाषाएं सीख लीं। कहा जाता है कि जब वो मेघालय, त्रिपुरा, नगालैंड में खासी और गारो जैसी जनजाति के लोगों से मिलते हैं तो उनसे उन्हीं की भाषा में बातचीत करते हैं।
विधानसभा के चुनावों से ठीक पहले कई दलों के नेता और विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे। लोगों की मानें तो त्रिपुरा में वाम दलों, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस में सेंध मारने का काम भी उन्होंने ही किया है।
सुनील देवधर नेही 'मोदी लाओ' की जगह 'सीपीएम हटाओ', 'माणिक हटाओ' जैसे नारे चुनाव में लाए।
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Arun Mishra
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