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संजय कुमार सिंह
कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में ममता बनर्जी के बोलने से पहले "जय श्री राम" के नारे को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने, "सरकारी समारोह में किसी को आमंत्रित कर अपमानित करना" कहा है। अतिथि देवो भवः कहने वाले देश में मेजबान, भारत सरकार का संस्कृति मंत्रालय था और उसके मुखिया प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वहां मौजूद थे। ऐसे में ममता बनर्जी ने जो कहा वह निश्चित रूप से "मेजबान" नरेन्द्र मोदी के लिए था। बेशक, जय श्रीराम का नारा लगाने वाले प्रधानमंत्री या उनके राजनीतिक दल, भारतीय संस्कृति के रक्षक और घोषित प्रचारक, भारतीय जनता पार्टी के समर्थक थे।
ऐसे में आज द टेलीग्राफ ने पहले पन्ने पर एक खबर छापी है जिसका शीर्षक हिन्दी में कुछ ऐसा ही होगा जैसा इस पोस्ट का है। इस खबर के मुताबिक, इस बात की संभावना कम है कि ऐसी कोशिश की जाएगी पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अगर यह पता लगाने के उत्सुक हैं कि शनिवार को विक्टोरिया मेमोरियल हॉल में उन्हें खराब मेजबान जैसा दिखने वाला किसने बनाया तो सुरक्षित शुरुआत 400 निमंत्रण पत्रों का पता लगाने से हो सकती है। पर ऐसा होगा नहीं क्योंकि नीतिगत मामलों में गलती नीति की होती है और नीति का पालन करने वालों पर कार्रवाई नहीं हो सकती है।
अखबार को प्रदेश भाजपा मुख्यालय के एक सूत्र ने बताया कि प्रधानमंत्री के इस कार्यक्रम के लिए सौ पचास नहीं, चार सौ कार्ड भाजपा कार्यालय द्वारा बांटे गए थे। इसी कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी आमंत्रित किया गया था जिसमें कुछ लोगों ने जय श्री राम के नारे लगाए थे और ममता बनर्जी से मौजूद लोगों के इस वर्ग से नाखुशी जताई थी। पुलिस सूत्रों के अनुसार ड्राइवर वाली 600 गाड़ियों के लिए पार्किंग की व्यवस्था की गई थी पर कोई 150 गाड़ियां ही आईं। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि इस बात की संभावना कम है कि नारे लगाने वाले इन कारों में आए होंगे। इससे शक इन्हीं 400 कार्डों पर होता है जो भाजपा कार्यालय ने बांटे थे।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिवार के सुगाता बोस ने सवाल उठाया है कि बेहद पतित संस्कृति के लोगों को केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने समारोह में आने कैसे दिया। ऐसे तत्व एसपीजी की जांच से कैसे निकल गए या फिर उन्हें खासतौर से इस सब का भाग बनने की अनुमति दी गई थी। एक भाजपा नेता ने अखबार को बताया कि केंद्रीय मंत्रियों के कार्यक्रम के लिए कुछ कार्ड पार्टी नेताओं के बीच बांटने के लिए हमारे पास आते रहे हैं। इस बार कोई 400 कार्ड आए थे। अखबार ने भाजपा से इसकी पुष्टि करनी चाही लेकिन संबंधित पदाधिकारी ने फोन का जवाब नहीं दिया।
अखबार ने लिखा है, वैसे तो भाजपा यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि ममता बनर्जी ने अपनी राजनीति की लेकिन बाकी के राजनीतिक क्षेत्रों में ऐसी सहमति लगती है कि भाजपा ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि उसका संबंध बंगाल की संस्कृति से नहीं के बराबर है। आम राय है कि नरेन्द्र मोदी इसके बिना भी काम चला सकते थे। अभी तो हुआ यह है कि बंगाल के ज्यादातर अखबारों का कम से कम पहला पन्ना दिन भर की उन खबरों के बिना रहा जिनके लिए मोदी खुद को तैयार करते रहे थे।
नारे लगाने से ममता बनर्जी को यह बताने का मौका मिला कि बंगाल की संस्कृति भाजपा से अलग है। भाजपा के एक नेता ने भी माना कि कार्ड का वितरण संस्कृति मंत्रालय को खुद करना चाहिए था पार्टी के जरिए कार्ड बांटने के कारण ही यह सब हुआ। एक अन्य भाजपा नेता ने कहा कि केंद्र सरकार के कार्यक्रम में इतने सारे पार्टी कार्यकर्ताओं को भेजने का कोई मतलब नहीं है। इससे ऐसा लगा जैसा कार्यक्रम पार्टी का था। हालांकि भाजपा के ही नेताओं का एक वर्ग पार्टी के सबसे बड़े नेता की मौजूदगी में कार्यकर्ताओं को आमंत्रित करने के पक्ष में है।
यही नहीं, ऐसे भाजपा नेताओं की दलील यह भी है कि राज्य सरकार के कार्यक्रमों में तृणमूल समर्थकों की प्रभावी उपस्थिति होती है। इसलिए, केंद्र सरकार के कार्यक्रम में भाजपा समर्थक बुलाए गए तो क्या गलत है? दूसरी ओर, इस मामले में ममता को अपने विरोधियों का भी समर्थन मिला है। ऐसे लोगों ने बयान जारी कर ममता का समर्थन किया है या भाजपा के रवैये की निन्दा की है।