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जज साहब के लिए भारी पड़ गया कोर्ट रूम में कांस्टेबल की वर्दी उतरवाना, हो गया ट्रांसफर!
आगरा : उत्तर प्रदेश के आगरा में कार को रास्ता न देने पर पुलिस कॉन्स्टेबल की वर्दी उतरवाकर कोर्ट में खड़ा रखने वाले जज साहब को उनकी यह हरकत भारी पड़ गई है. यूपी के डीजीपी द्वारा इस मामले में ट्वीट करने और आगरा के एसएसपी द्वारा मामले को हाई कोर्ट को रेफर करने के बाद जज साहब का तुरंत तबादला कर उन्हें महोबा जाने का आदेश दिया गया है.
उत्तर प्रदेश पुलिस में सेवा देने वाले 38 वर्षीय ड्राइवर कॉन्स्टेबल घूरेलाल ने कोर्ट जाते समय जज की कार को रास्ता नहीं दिया था और इससे नाराज होकर जज उन्हें यह सजा सुना दी. इस सजा से बेहद दुखी कॉन्स्टेबल ने आगरा के एसएसपी को इस संबंध में खत लिखकर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति मांगी. यूपी के डीजीपी ओ.पी. सिंह ने इस पूरे मामले को गंभीरतापूर्वक लेते हुए कहा है कि इस पूरे मामले को उचित स्तर पर उठाया जाएगा.
डीजीपी ने इस मामले में ट्वीट कर कहा, हम हरेक पुलिसकर्मी के गरिमा के साथ खड़े हैं और समाज के हरेक वर्ग से अपील करते हैं कि वे सुरक्षा बलों का सम्मान करें. डीजीपी द्वारा इस मामले में ट्वीट करने और आगरा के एसएसपी द्वारा मामले को हाई कोर्ट को रेफर करने के बाद जज साहब का तुरंत तबादला कर उन्हें महोबा जाने का आदेश दिया गया है. कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल मयंक कुमार जैन द्वारा शनिवार को भेजे गए आगरा के एडिशनल चीफ जुडिशल मैजिस्ट्रेट संतोष कुमार यादव के ट्रांसफर आदेश से समझा जा रहा है कि शुक्र वार को पुलिसकर्मी की वर्दी उतरवाने की हरकत को हाई कोर्ट ने भी गंभीरता से लिया है.
यादव को महोबा के डिस्ट्रक्टि लीगल सिर्वसेज अथॉरिटी के पूर्णकालिक सचिव का पदभार ग्रहण करने का निर्देश दिया गया है.आदेश में तुरंत चार्ज हैंडओवर कर नई नियुक्ति का पदभार ग्रहण करने की रिपोर्ट भेजने की बात भी कही गई है.
गौरतलब है कि यह घटना मालपुरा स्थित किशोर अदालत सुबह 11 बजे हुई. इस पूरे मामले में आगरा के एसएसपी बबलू कुमार के अनुसार कॉन्स्टेबल ड्राइवर घूरेलाल ने आरोप लगाया है कि उनके साथ कोर्ट में जज ने अपमान किया है. जज ने कार को रास्ता नहीं देने पर दंड स्वरूप उन्हें (घूरेलाल को) वर्दी, टोपी और बेल्ट उतारने और आधे घंटे तक खड़ा रहने के लिए बाध्य किया.
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, कोर्ट से 100 मीटर पहले जज ने पुलिस वैन से रास्ता देने के लिए हॉर्न और सायरन बजाया लेकिन घूरेलाल किसी वजह से रास्ता नहीं दे सके. इसके बाद जज नाराज हो गए और उन्होंने घूरेलाल को कोर्ट में पेश होने के लिए कहा जहां उनकी वर्दी उतरवाई गई.