अलीगढ़

इन दरिंदों ने मासूम की हत्या की पूरी हकीकत उगली, बताई दस बड़ी बात!

Special Coverage News
8 Jun 2019 12:16 PM GMT
इन दरिंदों ने मासूम की हत्या की पूरी हकीकत उगली, बताई दस बड़ी बात!
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उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में दो साल की मासूम की नृशंस हत्या का मामला अब आपराधिक घटना से आगे बढ़कर राजनैतिक और सामाजिक तनाव की ओर बढ़ चुका है. कई सामाजिक संगठन लगातार इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं. सोशल मीडिया में भी मामले को लेकर खासा तनाव बना हुआ है. ऐसे मामलों में पॉक्सो कानून, 2012 की धारा 23 और जेजे कानून, 2015 की धारा 74 का पालन करना अनिवार्य होता है. इस धारा के तहत पीड़ित की पहचान किसी भी हाल में जाहिर करना अपराध होता है. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने कानून के पालन के लिए अपील की है.

इससे पहले अलीगढ़ मामले में शनिवार (8 जून) को चौथी गिरफ्तारी भी हो गई है. अब तक मामले में कुल तीन पुरुष और एक महिला की ‌गिरफ्तारी हुई है. इनमें से दो अपराधियों ने अपने गुनाह को कुबूल कर लिया है. जानिए, अलीगढ़ के मामले की पूरी सच्चाई-

अलीगढ़ में दो साल की मासूम की हत्या में कब क्या हुआ

1. पुलिस के द्वारा मिली जानकारी अनुसार, आरोपी जाहिद से बच्ची के परिवार ने कुछ समय पहले 50 हजार रुपये उधार लिए थे. बच्ची के परिवार के लोगों ने इनमें से 10 हजार रुपये वापस कर दिए थे. लेकिन अभी 10 हजार बकाया हैं. इन्हीं पैसों को लेकर बच्ची के परिवार और आरोपी से 28 मई को झगड़ा हुआ. इसके बाद आरोपी को अपनी बेज्जती महसूस हुई जिसका बदला लेने के लिए आरोपी ने बच्ची को निशाना बनाया था.

2. जब 30 मई की सुबह जब बच्ची चाय पीकर घर से खेलने निकली तो आरोपी बच्ची का अपहरण कर मंदिर के पीछे खेत मे ले गए और गला दबाकर हत्या की. पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के अनुसार बच्ची की हत्या के बाद शव के साथ भी हैवानियत की गई. हत्या के बाद बच्ची के शव को कूड़े के ढेर में फेंक दिया. कूड़े से बदबू उठने के बाद ग्रामीणों ने देखा तो कुत्ते बच्ची के शव को घसीट रहे थे.

3. घटना की जानकारी के बाद बच्ची के परिजन संबंधित थाने पहुंचे, लेकिन पुलिस अपने ढुलमुल रवैये से मामले को टालती रही. बाद में थाने के सामने शव रखकर हंगामा किया. इसके बाद कुछ लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो पाई. लेकिन अगले चार दिनों तक मामले में कोई कारवाई नहीं गई. चूंकि घटना में शामिल दोनों पक्ष दो अलग-अलग समुदायों से आते हैं. इसलिए मामले को लेकर सामाजिक संगठनों ने सामाजिक दवाब बनान शुरू किया.

4. 2 जून को बच्ची के शव मिलने के बाद छह जून कोई ठोस कारवाई नहीं हुई. लेकिन तब तक यह खबर आग की तरह फैल चुकी थी. घटना के मीडिया में आने के बाद लापरवाही बरतने के आरोप में इंस्पेक्टर समेत पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया.

5. सात जून को इस मामले में दो आरोपियों असलम और जाहिद को गिरफ्तार किया गया. दोनों ने अपने गुनाह कुबूल कर लिए. लेकिन परिजनों मामले में औरों के लिप्त होने की भी आशंका जाहिर की. इसके बाद आठ जून को पहले से गिरफ्तार जाहिद की पत्नी और मेहंदी हसन को भी गिरफ्तार कर लिया. मेहंदी हसन, जाहिद का भाई है.

6. मामले में सोशल मीडिया में फैली बच्ची से दुष्कर्म की खबर को नकारा है. साथ ही बच्ची आंख और किडनी निकाल लेने की बात को भी अफवाह बताया है. पुलिस के अनुसार यह मामला अपहरण और नृशंस हत्या का है. इसमें आरोपी जाहिद का परिवार और सहयोगी असलम संलिप्त हैं.

7. मामले में रेप का कनेक्‍शन पांच साल पुरानी एक घटना से है. पीड़िता की मां ने मीडिया से कहा कि आरोपी पुराने बदमाश है. यहां तक कि एक आरोपी ने पांच साल पहले अपनी ही बेटी का रेप कर दिया था. तब उसकी पत्नी ने अपने पति को छुड़ाया था. जबकि पीड़िता से रेप को लेकर पुलिस व पोस्टमार्टम की रिपोर्ट ने इंकार कर दिया है.

8. दोनों के ही खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत मामला दर्ज किया गया है. साथ ही इस मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट को स्थानांतरित करवाने का फैसला लिया गया है. सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि यह फैसला योगी आदित्यनाथ की सरकार ने लिया है. पुलिस ने बताया कि जाहिद ने लड़की की हत्या की, जबकि दूसरे आरोपियों ने अपराध में उसकी मदद की. इसके अलावा सच्चाई की पड़ताल के लिए अलीगढ़ एसपी ग्रामीण की अध्यक्षता में SIT गठित कर दी गई है.

9. दूसरी ओर मामले ने पूरी तरह से राजनैतिक रूप ले लिया है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, गोरखपुर बीजेपी सांसद रवि किशन, पूर्व यूपी सीएम अखिलेश यादव, बीजेपी नेता शहनवाज हुसैन, मुख्तार अब्बास नकवी, कांग्रेस नेता तारिक अनवर के बयान प्रमुख रूप से आ चुके हैं. जब‌कि विश्व हिंदू परिषद की नेता साध्वी प्राची ने कहा, "दोषियों को पेट्रोल डालकर सड़कों पर जिंदा जलाया जाए." इसके अलावा कई बॉलीवुड और खेल जगत के लोग भी मामले पर ट्वीट कर रहे हैं.

10. राजनीति के साथ-साथ अब आम लोगों में भी उबाल है. सोशल मीडिया के अलावा अलीगढ़ से बाहर भी कई जगहों पर कैंडिल मार्च निकाले जा रहे हैं. एटा में वैश्य युवा शक्ति ने शहीद पार्क से घंटाघर स्थित गांधी प्रतिमा तक बड़ी संख्या में लोगों ने मासूम की हत्या के विरोध में कैंडल मार्च निकाला और गिरफ्तार किये गये आरोपियों को फांसी देने की मांग की. इसके अलावा कुछ सामाजिक संगठनों ने हिण्डौन के चौपड़ सर्किल पर कैण्डिल जलाकर श्रद्धांजलि दी और आरोपियों को फांसी देने की मांग की. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी ने कहा, ऐसी जघन्य वारदात को कोई राक्षस ही अंजाम दे सकता है. मानव के रूप में समाज में छिपे बैठे ऐसे नर पिशाचों को सख्त से सख्त सजा देनी चाहिए.

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