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- सदियों से गाँव की...
सदियों से गाँव की रक्षा कर रहा ये पेड़,पेड़ की उम्र जानकर आप हो जायेंगे हैरान
राम मिश्रा अमेठी:भारतीय संस्कृति मे पेड़ - पौधों को काफी महत्व दिया जाता है,क्योंकि पेड़ - पौधों का कहीं न कहीं हमारे जीवन से संबंध होता है शास्त्रों में भी यह बताया गया है कि पेड़-पौधों की पूजा करने से कुंडली के दोष भी खत्म होते हैं वही सूबे के जनपद अमेठी में एक ऐसा पेड़ देखने को मिला है जिसको सदियों से पूरा गांव अपनी समृद्धि से जोड़कर देखता है ।
अमेठी के मुसाफिरखाना तहसील के पूरे पण्डा में स्थित है ये महावृक्ष-
अमेठी जिले के मुसाफिरखाना विकासखंड पूरे पंडा रंजीतपुर गांव में सैकड़ों वर्ष पुराना नीम का पेड़ है जो आज भी जनमानस की आस्था का केंद्र बना हुआ है इसी पेड़ के नीचे ड्यूहारिन (दुर्गा माता का एक नाम) की छोटी मूर्ति रख चबूतरा बनाकर भव्य रूप दे दिया है अब यहां पूजा पाठ के अलावा गांव की सामाजिक बैठकें और पंचायत होती है राजनीतिक दलों की बैठक भी इसी नीम की छांव तले होती है
गाँव का रक्षक है नीम का ये पेड़-
इस पेड़ को किसने लगाया या यह पेड़ कितना पुराना है इसको कोई नही जानता क्षेत्र के बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि जब से मैं देख रहा हू वैसे ही नीम का पेड़ खड़ा हुआ है अब यहां प्रतिदिन पूजा पाठ हो रहा है यहां बराबर ग्राम पंचायतों की बैठक होती है लोगों के मुद्दे सुलझाए जाते हैं गाँव निवासी डॉ महेंद्र मिश्र का कहना है कि यह हमारे लिए साक्षात देवी हैं पूर्वजों से सुना है कि इसी वृक्ष से गांव में समृिद्ध आई है एक प्रकार से यह गांव का रक्षक है, इसलिए हर शुभ काम की शुरूआत इस महावृक्ष की पूजा के बाद ही गांव में किए जाते हैं ।
नीम के वृक्ष की आयु लगभग 1100 वर्ष के ऊपर-
क्षेत्र के जाने माने एक वनस्पति शास्त्री बताते है को इसमें तनिक भी संदेह नहीं है कि नीम के वृक्ष की आयु लगभग 1100 वर्ष के ऊपर है तभी तो पंडित शेषराम मिश्र 'शास्त्रीजी' बताते हैं कि इसकी छांव में रूह को सुकून मिलता है। आस-पास हवा न भी चलती हो तो भी इस वृक्ष के नीचे आने पर शीतल हवा का एहसास होता है।
कोई भी शुभ इस पेड़ की पूजा से होता है शुरू-
पूरे पण्डा के भगवतपाल मिश्र उम्र लगभग 90 वर्ष बताते हैं कि वैसे इस महावृक्ष से कई यादें जुड़ी हैं, लेकिन जो सबसे खास यह है कि हर कोई शुभ काम की शुरुवात करते हैं, तब सबसे पहले इस महावृक्ष की पूजा करते हैं फसल की पहली बोनी हम महावृक्ष की पूजा से शुरू करते हैं इससे हमे सुख समृद्धि प्राप्त होती है सदियों से गांव में ऐसी ही मान्यता है हमारे दादा परदादा भी इस पेड़ की छांव में खेले हैं अब हमारे बच्चे भी यहां समय व्यतीत करते हैं।
कैप्टन का है कहना-
भूतपूर्व कैप्टन विजय बहादुर ने बताया कि तमाम आंधी व तूफान आया लेकिन इस दिव्य नीम के पेड़ का आज तक कुछ नहीं हुआ जब से हम जानने लायक हुए हैं तब से आज तक इस पेड़ को देख रहे हैं उन्होंने ने कहा कि वृक्ष के नीचे चबूतरा बनाकर को नया लुक दिया गया है लोग यहां पर परिवार के साथ देवी जी की करते हैं कैप्टन ने कहा कि अपील की ग्रामवासियों को पेड़ लगाने चाहिए जिससे वातावरण शुद्ध हो सके लेकिन आज के समय में लोग पेड़ न लगा कर उसकी कटाई कर रहे हैं।
यहाँ प्रति वर्ष लगता है मेला-
मेला आयोजक दिनेश कुमार मिश्र ने बताया कि हर वर्ष की भांति आज भी इस गांव मे मेला लगा है मेले में भारी तादाद में लोग पहुंचे है मेले को लेकर बच्चो में काफी उत्साह दिखा लोगो ने भी यहाँ जमकर खरीदारी और रात में नौटँकी का आयोजन है। मेले के इस शुभ अवसर पर अशोक शर्मा, सुरेंद्र मिश्र'शिक्षक' विशाल शर्मा,अजय शर्मा,मोहन साईं,शनि मिश्र आदि मौजूद रहे।