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अमेठी में स्मृति ईरानी के करीबी पूर्व प्रधान सुरेंद्र सिंह की गोली मारकर हत्या

Special Coverage News
26 May 2019 4:27 AM GMT
अमेठी में स्मृति ईरानी के करीबी पूर्व प्रधान सुरेंद्र सिंह की गोली मारकर हत्या
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अमेठी में स्मृति ईरानी के करीबी कार्यकर्ता और चुनाव प्रचार में अक्सर उनके साथ दिखाई देने वाले सुरेंद्र सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई है। सुरेंद्र सिंह स्मृति ईरानी की जीत का जश्न मनाकर घर लौटे थे. तभी कुछ अज्ञात बदमाश उनके घर पहुंचे और उन्हें गोली मार दी। इस घटना से पुरे इलाके में दहशत का माहौल बना हुआ है।


वहीं अमेठी में पूर्व प्रधान की हत्या के मामले में डीजीपी ओपी सिंह का बोले घटना में 6-7 संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ जारी, मामले के खुलासे के लिए तीन टीमें बनाकर छापेमारी. प्रथम दृष्टया मामला पारिवारिक रंजिश का लग रहा । डीजीपी ऑफिस से हो रही सघन मॉनिटरिंग, मामले का जल्द से जल्द खुलासा होगा।

गौरीगंजथाना इलाके के बरौलिया गांव के पूर्व प्रधान सुरेंद्र सिंह की शनिवार देर रात अज्ञात हमलावरों नेगोली मारकर हत्या कर दी। सुरेंद्र सिंह अमेठी से नव निर्वाचित सांसद स्मृति ईरानी के करीबी थे। उन्होंने स्मृति की जीत में बड़ी भूमिका निभाई थी। हत्या के पीछे क्या कारण हैं? उन्हें किसने मारा है। इसकी जानकारी नहीं है। पुलिस मामले की छानबीन में जुट गई है।

लखनऊ ले जाते वक्त रास्ते में हुई मौत

जानकारी के मुताबिक, शनिवार रात सुरेंद्र अपने घर के बाहर सो रहे थे, तभीउन पर ताबड़तोड़ फायरिंग की गई।वारदात को अंजाम देने के बाद बदमाश मौके से फरार हो गए। सुरेंद्र कोजिला अस्पताल ले जाया गया, जहां से उन्हेंट्रामा सेंटर लखनऊ रैफर कर दिया,लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई।

इलाके में तनाव, पुलिस तैनात पुलिस ने आशंका के आधार पर कई जगहों पर छापेमारी की है। लेकिन अभी किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। इस घटना सेइलाके में तनाव का माहौल है। मौकेपर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।

सुरेंद्र को साथ लेकर स्मृति करती थीं प्रचार

बरौलिया गांव, गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का गोद लिया गांव था। स्मृति ने प्रचार के दौरान इसी गांव में जूते बांटे थे।लोकसभा चुनाव में सुरेंद्र ने स्मृति के चुनाव प्रचार में अहम रोल निभाया था। वे ज्यादातर जगहों पर सुरेंद्र के साथ ही प्रचार करने जाती थीं।उनकी कई मौके पर स्मृति के साथ फोटो भी है। सुरेंद्र का प्रभाव कई गांवों में था। जिसका फायदा स्मृति को चुनाव प्रचार में मिला।

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