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अमेठी के बाद रायबरेली को कांग्रेस मुक्त करने की दिशा में भाजपा
धीरज श्रीवास्तव
रायबरेली। अमेठी-रायबरेली कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था, विगत लोकसभा चुनाव में अमेठी का किला ढह गया अब रायबरेली में कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया की लोकसभा सीट पर सदर विधायिका आदिति सिंह का भाजपा के पाले में जाने से कांग्रेस के समक्ष आस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है। कांग्रेस मुक्त भारत की बात करने वाली भाजपा ने रायबरेली को कांग्रेसमुक्त करने की दिशा में तेजी ला दी है।
भाजपा ने नेहरू-गांधी परिवार के मजबूत गढ़ अमेठी का किला फतेह करने के बाद रायबरेली की राजनीति को कांग्रेस मुक्त करने के अभियान में सफल होती दिखाई दे रही है। इसके लिये कांग्रेस नेतृत्व व उसका मैनेजर कल्चर पूरी तरह जिम्मेदार है। भारतीय जनता पार्टी ने पहले कांग्रेस के विधानपरिषद सदस्य दिनेश प्रताप सिंह व उनके जिलापंचायत अध्यक्ष भाई अवधेश सिंह को शामिल किया फिर उनके विधायक भाई राकेश सिंह भाजपा के लिये काम करने के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ करते नजर आये, अब भाजपा ने रायबरेली की राजनीति के अजेय योद्धा रॉबिनहुड के रूप में चर्चित दिवगंत अखिलेश सिंह की कांग्रेस विधायक बेटी आदिति सिंह को अपने पाले में कर उसको तगड़ी पटकनी दे दी।
जनपद की राजनीति में नेहरू गांधी परिवार का आजादी के बाद से एकाधिकार रहा, कांग्रेस में सोनिया युग की शुरुआत होते ही यहां स्थानीय कार्यकर्ताओ की अनदेखी प्रारम्भ हो गयी । नौकरों निजी सहायको के बल पर एक दो जातियों की गोलबंदी से चुनाव जीते जाते रहे संगठन जर्जर हो गया, जनता से संवाद समाप्त होने लगा, कांग्रेस तिलक भवन के बजाय कभी कोठी कभी गेस्ट हाउस से चलने लगी, आज बिखरती हुई कांग्रेस अपने अस्तित्व के लिये संघर्ष करने की स्थित में नही बची और भारतीय जनता पार्टी अवसर का लाभ लेने के लिये सक्रियता से जुटी हुई है। परिणामस्वरूप कांग्रेस के जनप्रतिनिधि के रूप में निर्वाचित नेता भाजपा का दामन अपने निजी हितो की पूर्ति के लिये थामते हुए सामने दिखाई दे रहे है।
आदिति सिंह द्वारा कांग्रेस के व्हिप का उलंघन कर सदन में योगी सरकार के पक्ष में दिये बयान के बाद जनपद की राजनीति गरमा गई। कांग्रेसियों ने आदिति विरोधी लिखी तख्तियों के साथ उनके शिविर कार्यालय पर जमकर प्रदर्शन करते हुए उन पर विश्वासघात करने का आरोप लगाते हुये विधानसभा की सदस्य्ता से त्यागपत्र देने की मांग की, उनके समर्थकों की कांग्रेसियों से तगड़ी नोकझोंक हुई। उनके शिविर कार्यालय पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। कांग्रेस के समक्ष खड़े हुए संकट के बादल मैनेजर कल्चर से बाहर आये बिना नही छटने वाले उसे स्थानीय समीकरणों के आधार पर खोते आस्तित्व को बचाने के लिये स्थानीय कार्यकर्ताओ पर भरोसा रखना पड़ेगा, अन्यथा भाजपा अपने उद्देश्य में सफल होने की दिशा में सक्रिय है।