उत्तर प्रदेश

अयोध्या राम मंदिर: रोजाना कि सुनवाई मे सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्वाणी अखाड़ा ने दिया एक नया मोड़, मुस्लिम पक्षों में हुआ दो फाड़

Sujeet Kumar Gupta
16 Sep 2019 6:01 AM GMT
अयोध्या राम मंदिर: रोजाना कि सुनवाई मे सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्वाणी अखाड़ा ने दिया एक नया मोड़, मुस्लिम पक्षों में हुआ दो फाड़
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सु्प्रीम कोर्ट ने रोजाना सुनवाई शुरू करने से पहले आपसी सहमति से सुलझाने के लिए मध्यस्थता पैनल गठित किया था। इस पैनल में सेवानिवृत न्यायाधीश की अध्यक्षता में तीन सदस्य थे। इस पैनल की अगुवाई में पांच महीने तक कई दौर की मध्यस्थता कार्यवाही चली लेकिन मामले का हल नहीं निकला। इसके बाद कोर्ट ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच जजों की संविधानपीठ ने मामले की रोजाना सुनवाई शुरू की।

लेकिन इस मामले से जुड़े दो बड़े हिंदु और मुस्लिम पक्ष (सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्वाणी अखाड़ा) ने चिट्ठी लिखकर इस केस की सुनवाई के लिए मध्यस्थता की मांग की है.हालांकि अब इस चिट्ठी पर विवाद हो गया है और अन्य मुस्लिम पक्षों का कहना है कि बिना आपसी सहमति के यह चिट्ठी लिखी गई, ऐसे में किसी को यह अधिकार नहीं है कि वह मध्यस्थता दोबारा शुरू करने की मांग करे।

बता दें कि मध्यस्थता के लिए छह मुस्लिम पक्षों में से सिर्फ एक ने ही चिट्ठी लिखी है. इस पर भी विवाद छिड़ गया है. बाकी मुस्लिम पक्षों का कहना है कि इस मामले में बिना किसी को भरोसे में लिए चिट्ठी लिख दी गई है. किसी को यह अधिकार नहीं है कि मध्यस्थता फिर शुरू की जाए ऐसा कहे. ऐसे में सुन्नी वक्फ बोर्ड का पत्र आधारहीन है. वहीं हिंदू पक्ष में भी निर्वाणी अखाड़ा सिर्फ एक पक्ष है और उसकी मांग पर बाकी हिंदू पक्ष सहमत होंगे इसकी उम्मीद कम ही है. ऐसे में मध्यस्थता जो एक बार फेल हो चुकी है उसके दोबारा शुरू होने की संभावना बेहद कम है.

सुन्नी वक्फ बोर्ड ने 1961 में पहली बार विवादित भूमि पर अपने मालिकाना हक का दावा ठोका था. अब बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त मध्यस्थता कमेटी जिसमें पूर्व जज एफ एम कलिफुल्ला, वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू और आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर शामिल हैं को चिट्ठी लिखकर बातचीत (मध्यस्थता) को दोबारा शुरू करने की अपील की है. बता दें कि 29 जुलाई को जमात ए उलेमा ए हिंद के मौलाना अर्शद मदनी गुट और वीएचपी के राम जन्मभूमि न्यास के बीच सहमति नहीं बन पाई थी और मध्यस्थता रोकनी पड़ी थी.

कुछ इसी तरह की चिट्ठी निर्वाणी अखाड़ा ने भी मध्यस्थता कमेटी को लिखी है. निर्वाणी अखाड़ा, अयोध्या राम मंदिर में हनुमान गढ़ी की देखभाल करने वाले तीन रामानंदी अखाड़ों में से एक है. निर्वाणी अखाड़ा ने भरोसा जताया है कि मध्यस्थता कमेटी इस मामले का बातचीत द्वारा हल निकालने में सक्षम है. उन्होंने चिट्ठी में लिखा कि बातचीत अंतिम दौर में जा चुकी थी और इस मामले के कई पक्षकारों में से दो के विवाद के कारण 155 दिनों तक चली बातचीत रोकनी पड़ी थी।

बता दें कि निर्मोही अखाड़ा ने भी सुप्रीम कोर्ट से इस मामले का हल मध्यस्थता द्वारा निकालने की अपील की थी. सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित मध्यस्थता पैनल इस मामले का हल बातचीत द्वारा निकालने के करीब पहुंच चुका था लेकिन जमात उल उलेमा के अर्शद मदनी गुट और राम जन्मभूमि न्यास के बीच विवाद से बातचीत पटरी से उतर गई. इस बातचीत में इस बात पर सहमति बनती हुई नजर आई थी कि मुस्लिम विवादित भूमि पर अपना दावा छोड़ेंगे जिसे हिंदू अपने अराध्य भगवान राम की जन्मभूमि मानते हैं और इसके बदले मुस्लिम पक्ष को एक वैकल्पिक जगह और मस्जिद बनाने के लिए फंड मुहैया कराया जाएगा।


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