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28 साल बाद 28 फुट लंबी रामरथ यात्रा का शुभारम्भ अयोध्या से आज

28 साल बाद 28 फुट लंबी रामरथ यात्रा का शुभारम्भ अयोध्या से आज
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आज से 28 साल पहले बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण अडवाणी ने निकाली थी रथ यात्रा

आज से 28 साल पहले भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवानी के नेतृत्व में 25 सितम्बर 1990 में गुजरात के सोमनाथ से एक रथ यात्रा निकाली गई थी. रथ यात्रा का उद्देश्य था विश्व हिन्दू परिषद् के राम मंदिर आन्दोलन का समर्थन करना. यह यात्रा पूरे देश से होते हुए अयोध्या में समाप्त होनी थी. लेकिन बिहार में पहुंचने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री लालूप्रसाद यादव ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था.


मंगलवार को एक बार फिर अयोध्या से रामेश्वरम तक की राम राज्य रथ यात्रा निकाली जा रही है. यह रथ यात्रा 6 राज्यों से होते हुए 6000 किलोमीटर की दूरी तय कर कर 25 मार्च को रामेश्वरम पहुंचेगी. भगवान श्रीराम की यह रथ यात्रा आज लगभग दोपहर 3:00 बजे अयोध्या से रामेश्वरम के लिए निकलेगा. यह रथ में 28 फुट लंबा है और 28 खंबे लगे हुए हैं. अंदर रामजानकी और हनुमान जी की मूर्तियां विराजमान है और एक छोटा सा मंदिर भी रथ के अंदर बनाया गया है.



41 दिनों तक चलने वाली राम राज्य रथ यात्रा 6 राज्यों से होते हुए 6000 किलोमीटर की दूरी तय कर कर 25 मार्च को रामेश्वरम पहुंचेगी. इस यात्रा को विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री चंपत राय आज हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे. अयोध्या के तमाम संत भी इस रथ की अगवानी और विदाई में उपस्थित रहेंगे. इससे पहले संत सभा का भी आयोजन लगभग 1:00 बजे किया गया है. इस रथ यात्रा की विदाई के लिए अयोध्या कारसेवक पुरम में संतों का भारी जमावड़ा होगा. अयोध्या के मुख्य मार्ग से होते हुए भरत कुंड नंदीग्राम पर इसका पहला विश्राम होगा.

इस यात्रा की पांच प्रमुख मांगे हैं, जिनमें राम मंदिर निर्माण, राम राज्य और स्कूल के पाठ्यक्रम में रामायण को शामिल किया जाना प्रमुख है. इस रथ यात्रा के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि 2019 के लोकसभा चुनावों की तैयारियों में जुटी बीजेपी एक बार फिर भगवान राम के शरण में है. पार्टी जहां एक तरफ ओरछा के 'राम राजा सरकार' के दरबार में 14-15 फरवरी को दो दिवसीय शिविर लगाकर अपनी रणनीति का मंथन करने जा रही है, वहीं 13 फ़रवरी से भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या से रामेश्वरम तक राम राज्य यात्रा निकालने जा रही है.



लगभग डेढ़ महीने तक चलने वाली यह यात्रा छह राज्यों से होकर गुजरेगी और 23 मार्च को रामेश्वरम पहुंचेगी. इस के दौरान जगह-जगह कई सभाएं भी होंगी. इन सभाओं के जरिए अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण, रामराज्य की स्थापना व रामायण को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग होगी.

अयोध्या से शुरू हो रही इस रथयात्रा में दक्षिण भारत के प्रमुख संत स्वामी कृष्णानंद सरस्वती भी रहेंगे. यह यात्रा नंदीग्राम, इलाहाबाद, सागर, चित्रकूट, छतरपुर, भोपाल, उज्जैन, इंदौर, ओंकारेश्वर, त्र्यम्बकेश्वर, वाराणसी, नारायणपुर, विजयपुरा, किष्किंधा बेलारी, बंगलुरू, मैसूर, कन्नूर होते हुए 23 मार्च को रामेश्वरम पहुंचेगी. 25 मार्च को तिरुवनंतपुरम पहुंचकर समाप्त हो जाएगी.
माना जा रहा है कि इस यात्रा के जरिए हिंदू संगठन और भगवा टोली एक बार फिर उत्तर से लेकर दक्षिण तक राम मंदिर के मुद्दे पर माहौल तैयार करेगी. यह ठीक वैसा ही है जैसा कि लाल कृष्ण आडवाणी ने 90 के दशक में रथ यात्रा निकाल कर किया था. कहा जा रहा है कि इस यात्रा के पीछे 2019 के लोक सभा चुनाव की तैयारियां भी छिपी हुई हैं. देखते है इस रथयात्रा से बीजेपी को कितना फायदा होता है यह तो अभी नहीं कहा जा सकता है.

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