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अयोध्या मामले पर सुन्नी वक्फ बोर्ड का बड़ा एलान, दौड़ी ख़ुशी की लहर!

Special Coverage News
26 Nov 2019 8:33 AM GMT
अयोध्या मामले पर सुन्नी वक्फ बोर्ड का बड़ा एलान, दौड़ी ख़ुशी की लहर!
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बहुमत में यह फैसला लिया गया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड अयोध्या मामले में रिव्यू पिटीशन दाखिल नहीं करेगा. हालांकि, इस बात पर कोई चर्चा नहीं हुई कि मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन ली जाएगी या नहीं.

अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट केक फैसले के खिलाफ सुन्नी वक्फ बोर्ड पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करेगा. मंगलवार को इस मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड की बैठक यह फैसला लिया है. बैठक में 8 में सात सदस्य शामिल हुए थे. इनमें से 6 सदस्य पुनर्विचार याचिका दाखिल न किए जाने के पक्ष में थे. अब यह साफ हो गया है कि इस मामले को बोर्ड की ओर से दोबारा सुप्रीम कोर्ट नहीं ले जाया जाएगा. इसके साथ ही जमीन के मामले पर बोर्ड का कहना है कि जब सरकार की ओर से इस पर कोई प्रस्ताव आएगा तो उसके बाद इस पर फैसला किया जाएगा.

बोर्ड अध्यक्ष ज़फर फारूकी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में 8 में से 7 सदस्य बैठक में पहुंचे है. यह बैठक इसलिए भी काफी अहम थी कि इसी में तय किया जाना था कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के रिव्यू पिटिशन के फैसेल के साथ जाएगा या नहीं. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने जो 5 एकड़ जमीन मस्जिद के एवज में सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने के आदेश दिए हैं, उस जमीन को लिया जाए या नहीं. बैठक में बोर्ड के सदस्य अब्दुल रज़्ज़ाक इस मामले में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के पक्ष में थे. वह बैठक बीच में ही छोड़कर बाहर चले गए.

सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जफर फारूकी पहले ही अपनी राय रख चुके हैं कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला मान लेना चाहिए. लेकिन जफर फारूखी हमेशा यह कहते नजर आए कि आखिरी फैसला सुन्नी वक्फ बोर्ड की मीटिंग में तय होगा. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के रिव्यू पिटिशन में जाने के बाद अब सुन्नी वक्फ बोर्ड भी दो खेमों में बंट चुका है. एक खेमा खुलकर रिव्यू पिटिशन में जाने के पक्ष में है, जबकि दूसरे कई लोग अब इस मामले को आगे ले जाने के पक्ष में नहीं हैं.

हालांकि जफर फारूकी की बात से अब्दुल रज्जाक खान और दूसरे सदस्य इत्तेफाक नहीं रखते. इनके मुताबिक सुन्नी वक्फ बोर्ड को रिव्यू में जरूर जाना चाहिए क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कई विरोधाभास हैं. साथ ही पांच एकड़ जमीन भी नहीं ली जानी चाहिए क्योंकि मस्जिद के एवज में दूसरी मस्जिद नहीं बनाई जा सकती. मस्जिद हमेशा के लिए होती है.

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