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- सपा विधायक ने मायावती...
सपा विधायक ने मायावती को बताया 'धोखेबाज, कहा हमारे बिना खाता नहीं खुलता
लोकसभा चुनाव 2019 में सपा के साथ गठबंधन के बावजूद उम्मीद के अनुसार नतीजे न आने से नाखुश बसपा सुप्रीमो मायावती ने सोमवार को दिल्ली में हुई पार्टी की मीटिंग में ये एलान करके सबको चौंका दिया कि यूपी की 11 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में बसपा अकेले ही मैदान में होगी. मायावती ने गठबंधन से पार्टी को फायदा नहीं होने की बात कहते हुए यादव वोट पार्टी को ट्रांसफर नहीं होने का आरोप भी लगाया है.
बसपा सुप्रीमो मायावती के बयान के बाद समाजवादी पार्टी के शिकोहाबाद के विधायक हरिओम यादव ने कहा है कि गठबंधन से मायावती को ही फायदा हुआ है. इससे सपा को कोई फायदा नहीं हुआ है. अगर गठबंधन नहीं होता तो बहन जी का खाता भी नहीं खुलता. जबकि सपा कम से कम 25 सीटें जीतती.
अगर बहन जी का आरोप है कि यादवों ने उन्हें वोट नहीं दिया तो मैं बता दूं कि यादव बफादार होते हैं और जिसके साथ रहते हैं उसका पूरा साथ देते हैं. सच तो यह है कि बहन जी के लोगों ने समाजवादी पार्टी को वोट नहीं दिया है. यही वजह है कि हमें गठबंधन का कोई फायदा नहीं हुआ.
आमतौर पर उपचुनाव नहीं लड़ती बसपा
जानकारों की मानें, तो उपचुनाव लड़ने का फैसला चौंकाने वाला है, क्योंकि बसपा के इतिहास को देखें तो पार्टी उपचुनाव में प्रत्याशी नहीं उतारती है. वर्ष 2018 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भी पार्टी ने प्रत्याशी नहीं उतारे थे और सपा को समर्थन दिया था. इसी आधार पर लोकसभा चुनाव में भी गठबंधन बना, लेकिन परिणाम मनमाफिक नहीं आए. अब अगर मायावती अकेले उपचुनाव में उतरने का फैसला करती हैं तो गठबंधन के भविष्य पर सवाल उठाना लाजमी है.
38 सीटों पर बसपा ने उतारे थे प्रत्याशी
गौरतलब है कि सपा से गठबंधन के तहत बसपा ने यूपी में 38 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें सिर्फ 10 सीटों पर उसे जीत हासिल हुई. जबकि 37 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली सपा के खाते में महज पांच सीटें ही आईं.
EVM पर भी फोड़ा ठीकरा
उधर, बैठक के बाद यूपी बसपा के प्रदेश अध्यक्ष आरएस कुशवाहा ने हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ा. उन्होंने कहा कि 'ईवीएम घोटाले' की वजह से अनुकूल नतीजे नहीं आए. कुशवाहा ने कहा कि ईवीएम को लेकर पार्टी ने पहले भी आवाज उठाई थी और आगे भी उठाती रहेगी.
ऐसा रहा गठबंधन का हाल
हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश की 80 सीटों पर समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल ने मिलकर चुनाव लड़ा था. इस दौरान सपा ने 37, बसपा ने 38 और आरएलडी ने तीन सीटों पर चुनाव लड़ा था.
बहरहाल, 2014 के लोकसभा चुनावों में अपना खाता खोलने में नाकाम रही बसपा ने इस बार दस सीटें जीती हैं तो सपा को पांच सीटें मिली हैं. समाजवादी पार्टी को पिछले लोकसभा चुनाव में भी पांच सीटों पर जीत मिली और इस लिहाज से उसे गठबंधन का कोई फायदा नहीं हुआ. वहीं, उसे अपने बदायूं, कन्नौज और फिरोजाबाद में हार मिली है, जिसे समाजवादी गढ़ माना जाता है. अगर आरएलडी की बात करें तो पिछली बार भी उसका खाता नहीं खुला था और इस बार भी हालात ज्यों के त्यों हैं.