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गाजियाबाद के बीजेपी नेता की बेटी का मिला शव, बोले बहादुर थी हमारी बेटी, नहीं कर सकती आत्महत्या
गाजियाबाद : सैफई स्थित मेडिकल यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में एमडी (पैथालॉजी) की छात्रा डॉ. वंदना शुक्ला की मौत के मामले में परिजन ने हत्या की आशंका जताई है। उनका कहना है कि उनकी बेटी बहादुर थी। वह आत्महत्या का कदम नहीं उठा सकती। हॉस्टल में उसके पैर पलंग से छू रहे थे। कमरे से कोई सुसाइड नोट भी नहीं मिला है। ऐसे में शक गहरा रहा है कि हॉस्टल में उसकी हत्या की गई है। परिजन का कहना है कि यूनिवर्सिटी में इससे पहले भी कई घटनाएं हो चुकी हैं। वंदना ने रविवार को घरवालों से मोबाइल पर बात की थी। तब उसने कोई परेशानी नहीं बताई थी।
गाजियाबाद के प्रताप विहार निवासी केके शुक्ला भाजपा के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कार्यकारिणी सदस्य हैं। वह मूल रूप से गोंडा के रहने वाले हैं। भाजपा के टिकट पर वह गोंडा की कर्नलगंज विधानसभा सीट से दो बार चुनाव लड़ चुके हैं। उनकी बेटी वंदना शुक्ला सैफई स्थित मेडिकल यूनिवर्सिटी में एमडी (पैथालॉजी) में द्वितीय वर्ष की छात्रा थी। वह वहीं हॉस्टल में रहती थी। सोमवार रात 11 बजे यूनिवर्सिटी प्रशासन ने परिजनों को फोन पर बताया कि उनकी बेटी ने आत्महत्या कर ली है। यह सुनकर परिवार में कोहराम मच गया। हरनंदी के घाट पर किया गया अंतिम संस्कार
रात में ही परिवार सैफई के लिए रवाना हो गया। रात 3:30 बजे छात्रा के दादा विद्याधर शुक्ला सबसे पहले सैफई पहुंचे। इसके बाद परिवार के अन्य सदस्य भी पहुंच गए। पोस्टमार्टम के बाद परिजन को शव लेकर मंगलवार शाम करीब चार बजे गाजियाबाद पहुंचे। शाम 4:45 पर हिडन घाट पर छात्रा का अंतिम संस्कार कर दिया गया। अंतिम संस्कार में उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य मंत्री अतुल गर्ग, मुरादनगर विधायक अजीत पाल त्यागी, साहिबाबाद विधायक सुनील शर्मा, विजय मोहन, पूर्व विधायक कृष्णवीर सिंह सिरोही, राजेंद्र मित्तल, वीरेंद्र त्यागी आदि भाजपा नेता उपस्थित रहे। छात्रा के दो छोटे भाई व एक छोटी बहन है। छोटी बहन एमटेक कर रही है, जबकि एक भाई इंटरमीडिएट व दूसरा बीटेक कर रहा है।
नवरात्र पर स्कूटी लेनी थी
वंदना की रविवार को परिजनों से फोन पर बात हुई थी। उसने नवरात्र में स्कूटी दिलाने की बात कही थी। परिजनों ने भी नवरात्र में ही स्कूटी दिलाने की हामी भरी थी। प्रतिदिन परिजनों से वंदना की बात होती थी। सोमवार दोपहर को भी परिजनों ने उसे फोन लगाया था। मगर उसका फोन नहीं उठ रहा था।
पढ़ाई में थी अव्वल
घरवालों ने बताया कि वंदना का लक्ष्य एक काबिल डॉक्टर बनना था। इसके लिए वह खूब पढ़ाई करती थी। हर बार वह 95 प्रतिशत से अधिक अंकों के साथ उत्तीर्ण होती रही। तीन दिन पहले ही उसने मुंबई से 42 हजार रुपये की पुस्तकें मंगाई थीं। इससे कुछ दिन पहले उसने 12 हजार रुपये की पुस्तकें मंगाई थी।
रक्षाबंधन पर घर आई थी वंदना
रक्षाबंधन पर वंदना घर आई थी। उस दौरान वह बहुत खुश थी। उसने अपने साथ किसी परेशान का जिक्र नहीं किया। इसके बाद दादा-दादी व चाचा-चाची उससे मिलने सैफई गए थे। वहां पर भी उसने किसी तरह की कोई शिकायत नहीं की। परिजनों का कहना है कि उनकी बेटी बहादुर थी। वह आत्महत्या का कदम नहीं उठा सकती है। उसे कोई परेशानी नहीं थी।
सीएम ने मांगी रिपोर्ट
साहिबाबाद विधायक सुनील शर्मा ने पूरे घटनाक्रम से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अवगत कराया। मुख्यमंत्री ने कुलपति से इस पूरे मामले पर रिपोर्ट मांगी है। बुधवार को कुलपति मुख्यमंत्री को इस मामले पर अपनी रिपोर्ट देंगे।