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गाजियाबाद में फर्जी शस्त्र लाइसेंस बनवाने वाले गिरोह का भंडाफोड़, डीएम और एसपी ने दी जानकारी
गाजियाबाद पुलिस ने फर्जी शस्त्र लाइसेंस बनाने वाले गिरोह का पर्दाफास कर दिया है. यह गिरोह 3 लाख रुपये में फर्जी शस्त्र लाइसेंस बनवा कर दे देता था. फर्जी शस्त्र लाइसेंस शाहजहांपुर जिले में तैयार होते थे. यह लोग अब तक दर्जनों फर्जी शस्त्र लाइसेंस बनवा चुके हैं.
गाजियाबाद पुलिस ने इस गिरोह का भंडाफोड़ किया है. शस्त्र लाइसेंस बनवाने वाले गिरोह के कई सदस्य पुलिस हिरासत में ले लिए गये है. गाजियाबाद पुलिस ने आज खुलासा किया है. थाना कविनगर के नवनियुक्त थाना प्रभारी अनिल कुमार शाही ने फर्जी शस्त्र लाइसेंस बनाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है. यह गिरोह शाहजहांपुर जिलाधिकारी के नाम से फर्जी शस्त्र लाइसेंस बना कर देता था जिसके एवज में अपनी शस्त्र लाइसेंस की दुकान से बंदूक, राइफल, रिवॉलवर बेचता था और शस्त्र लाइसेंस धारी से ढाई से ₹300000 लेता था. इस गैंग का सरगना हरी शंकर अवस्थी है जिसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.
इस गेंग का पर्दाफास करते हुए जिलाधिकारी अजय शंकर पाण्डेय और एसएसपी सुधीर कुमार ने बताया कि इस गैंग का सरगना हरी शंकर अवस्थी और उसका सहयोगी सदानंद शर्मा निवासी शाहजहांपुर जो कि अभी मौजूदा ग्राम प्रधान भी है. इनके द्वारा जिलाधिकारी शाहजहांपुर के कार्यालय में नियुक्त संविदा कर्मी पुनीश व श्याम बिहारी ब उसके साथी अन्य कर्मियों से सांठगांठ कर ऑनलाइन यूनिक आईडी शस्त्र लाइसेंस ओपन दर्ज करा कर अपराधियों व संगठित गिरोहों को शस्त्र लाइसेंस सप्लाई किया जाता था.
शाहजहांपुर के सेहरामऊ उत्तरी थाने के संबंधित शस्त्र लाइसेंस रजिस्टर्स वर्ष 2007 से गायब हो गया था. जिस के संबंध में एफ आई आर दर्ज कराई गई थी. उस समय के अभिलेख न उपस्थित होने का फायदा उठाते हुए यह गैंग उक्त दिनांक फर्जी शस्त्र लाइसेंस बनाता था और उसे संविदा कर्मियों से सांठगांठ कर उन्हें यूनिक आईडी नंबर दिलवा देते थे. उसके बाद वह अपने सही पते पर उक्त शस्त्र को दर्ज करवा लेते थे. यह फर्जी शस्त्र लाइसेंस बना कर शस्त्र की खरीद-फरोख्त कराते थे तथा घर बैठे बिना पुलिस की जांच व वरिष्ठ अधिकारियों के हस्ताक्षर के बिना शस्त्र लाइसेंस पर फर्जी हस्ताक्षर बना देते थे. उस पर एक यूनिक आईडी जिलाधिकारी शाहजहांपुर के कार्यालय से संविदा पर नियुक्त कर्मचारी पब्लिश श्याम बिहारी की मिलीभगत से डलवा देते थे.
जिससे शस्त्र लाइसेंस असली लगे. शस्त्र लाइसेंस बनवाने में 5 से ₹1000000 लिए जाते थे जिसमे शस्त्र भी शामिल था. ग्राहकों की संतुष्टि के लिए एक शस्त्र लाइसेंस लेने का फार्म भरकर आधार कार्ड पैन कार्ड की फोटो कॉपी तथा फोटो ले लेते थे तथा शस्त्र लाइसेंस 15 दिन में बनवा कर देने की बात कहते हुए कुछ पैसे एडवांस लेते थे. पकड़े गए अपराधियों को इनके जुर्म के मुताबिक धारा 420 467 468 471 और आर्म्स एक्ट के तहत जेल भेजा जा रहा है और बाकी बचे अभियुक्तों की गिरफ्तारी व शस्त्र धारकों की तलाश में पुलिस टीम का गठन कर आवश्यक कार्रवाई की जा रही है. इन अभियुक्तों द्वारा अब तक सैकड़ों फर्जी लाइसेंस बना कर शस्त्र बेचे जा चुके है.