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गाजियाबाद: शराब के ठेकों की कमाई को लेकर भिड़े इंस्पेक्टर और सिपाही
गाज़ियाबाद के आबकारी विभाग में तैनात एक इंस्पेक्टर और सिपाही में पैसे के बंटवारे को लेकर हुई हिंसा मामले में कविनगर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। खास बात यह है कि पुलिस ने सिपाही की तहरीर पर एफ आई आर दर्ज की है जबकि इंस्पेक्टर की तहरीर पर सिर्फ एनसीआर दर्ज की गई है।
कलेक्ट्रेट स्थित आबकारी विभाग के एक इंस्पेक्टर और सिपाही की सिर फुटोवल के बाद कविनगर थाने में एक दूसरे की तहरीर पर मुकदमा दर्ज हो गया है।मामले का ऊंट कुछ इस कदर बैठा है कि महकमे में भ्रष्टाचार की गूंज बाहर तक सुनाई दी। जबकि जिला आबकारी महोदय फ़रमा रहे हैं कि सिपाही अवसाद से पीड़ित था और काम ना करने का बहाना ढूंढ रहा था इसीलिए पहले उसने इंस्पेक्टर को मारा और फिर उसने दीवार में अपना सिर देकर मार लिया। मेरे दरोगा जी बिलकुल पाक साफ़ हैं।
अब मामला चाहे कुछ भी रहा हो लेकिन कहते हैं कि धुंआ वहीं से उठता है जहां आग होती है। महकमे के सिपाही की बात को चाहे अधिकारी दबा दें, और अपने दरोगा जी को क्लीन चिट दे दें, लेकिन कविनगर पुलिस ने दरोगा जी की तहरीर पर मात्र एन सी आर ही दर्ज की है जबकि सिपाही की तहरीर पर बाकायदा गंभीर धाराओं में एफ आई आर दर्ज की गई है।
जिले को अगर छोड़ भी दें तो गाज़ियाबाद शहर को सर्किल के हिसाब से 4 जोन में बांटा गया है। और हर जोन में एक इंस्पेक्टर तैनात है। ओवर रेटिंग, निर्धारित समय से पहले और बाद में ठेके खुलना विभाग की बिना मर्जी के तो नहीं हो सकता है। बाकी जो पूरे शहर में जगह-जगह नकली और तस्करी की शराब बिकती है, उसकी बंदरबांट में अगर हीला हवाली करोगे तो सिर फुटवल्ला तो होगी ही। क्योंकि हम्माम में सब नंगे हैं।
प्रवीन अरोड़ा की रिपोर्ट