मुठभेड़ की तफ्तीश: बदमाशों की टांग भेदने मेंं नाकाम रही पुलिस की गोली!

गाजियाबाद,19 जुलाई (संजीव शर्मा): 2 जुलाई के बाद से गाजियाबाद पुलिस एकदम एक्शन मोड में है। रोजाना जिले के विभिन्न थानाक्षेत्रों में एक नहीं कई.कई बार बदमाशों और पुलिस के बीच मुठभेड़ देखने को मिल रही हैं। ये पता नहीं कि जिले के नए कप्तान का फरमान है या फिर नए कप्तान के सामने अपनी कुर्सी बचाने में लगे थानों के कोतवालों की कोई चाल है। हो चाहे जो भी लेकिन एक सच ये भी है कि पुलिस बीते चंद रोज में मुठभेड़ का हल्ला काटने और बदमाशों को सलाखों के पीछे धकेलने में कामयाब जरूर रही है। वैसे तो इस तरह की पुलिसिंग जिला गाजियाबाद के लिए जरूरी जान पड़ती है। लेकिन जिस तरह से मुठभेड़ के बाद पुलिस द्वारा बदमाशों की तस्वीरें सामने लाई जा रही हैं वो मुठभेड़ पर सवाल खड़े करती हैं। तस्वीरों को देखकर कोई भी ये कह सकता है या फिर अनुमान लगा सकता है कि क्या आत्मरक्षार्थ पुलिस द्वारा चलाई गई गोलियां बदमाशों की टांग भेदने में नाकाम हैं?,क्या पुलिस वाकई बदमाशों की गोली का जवाब अपनी गोली से दे रही है? अगर ऐसा है तो पुलिस की गोली से बदमाशों के घायल होने के निशान दिखाई क्यों नहीं दे रहे। पुलिस द्वारा मीडिया को भेजी जा रहीं तमाम तस्वीरें गवाह हैं जिनमें न तो बदमाशों के कपड़े उनके खून से लाल दिखाई देते हैं और न ही मौके पर खून के निशान दिखाई पड़ रहे हैं।
क्या है सफेद गमछा बांधने का राज?
बीते 16 दिनों की बात की जाए तो जिला पुलिस और बदमाशों के बीच तकरीबन डेढ़ दर्जन मुठभेड़ सामने आ चुकी हैं। ज्यादातर मुठभेड़ में पुलिस अफसरों द्वारा बदमाशों के पैर में गोली लगना बताया गया। मजे की बात ये है कि पुलिस ने बदमाशों के घायल होने का दावा तो किया,लेकिन उनके घायल होने के सबूत पुलिस नहीं दे सकी। ज्यादातर मुठभेड़ के बाद जो तस्वीरें सामने आईं उनमें घायल बदमाशों की टांग में सफेद रंग का नया गमछा बंधा दिखाई दिया। जो संभवत:पुलिस द्वारा बांधा गया प्रतीत होता है। कई मामलों में तो पुलिस ने घायल बदमाशों की टांग में रुमाल बांधकर ही उसके बहते खून को रोकने का चमात्कारिक काम कर दिखाया। सवाल यहां ये है कि क्या पुलिस के पास ऐसा कोई मेडिकली सर्टीफाइड सफेद गमछा है जो घायल बदमाश के बहते खून को रोकने में कामयाब है। आखिर इस सफेद गमछे के बांधने का राज क्या है। क्या हर एक बदमाश सफेद रंग का गमछा ही लेकर घूम रहा है। जिसे पुलिस मुठभेड़ के बाद उसकी घायल टांग पर बांध रही है या फिर ये पुलिस द्वारा खरीदकर लाए गए सफेद गमछे का कोई कमाल है जो घायल बदमाशों का बहता खून दिखाई नहीं दे रहा। ये जांच का विषय हो सकता है।
पकड़े जा रहे हालिया घोषित इनामी बदमाश
नवोदय टाइम्स की तफ्तीश के दौरान जो बात निकल कर सामने आई है वो ये है कि पुलिस ने अभी तक जितने भी बदमाश मुठभेड़ के दौरान गिरफ्तार किए हैं उन सभी पर 25 हजार रुपए का इनाम ही घोषित था। सूत्रों का कहना है कि सभी बदमाशों पर हालिया वक्त में ही इनाम घोषित किया गया। पुलिस ने एक विशेष रणनीति के तहत इनाम घोषित करने के बाद बदमाशों को मुठभेड़ का हल्ला काटकर दबोचने का दावा किया। जबकि हकीकत ये है कि पुलिस रिकॉर्ड में 50 से ज्यादा इनामी बदमाश दर्ज हैं। जो लंबे समय से पुलिस की पकड़ से दूर बने हुए हैं। लेकिन पुलिस के हाथ ऐसे बदमाशों के बजाए हालिया घोषित इनामी बदमाशों तक जल्द कैसे पहुंच रहे हैं ये भी एक बड़ा सवाल है।
अनसुलझी हैं कई बड़ी वारदात
जिला पुलिस इन दिनों बदमाशों को तलाश कर मुठभेड़ करने में व्यस्त है। जबकि जिले की कई बड़ी अनसुलझी वारदात ऐसी हैं जो अपने खुलासों का इंतजार कर रही हैं। आखिर इन वारदातों का खुलासा करने में पुलिस दिलचस्पी क्यों नहीं दिखा रही। हो सकता है कि जिन बदमाशों ने ये घटनाएं की हैं वे अभी भी लगातार घटनाएं करने में कामयाब हो रहे हों। ये हैं चंद अनसुलझी घटनाएं।
1-अनसुलझी है इंदिरापुरम थानाक्षेत्र में डॉ.सरला की हत्या।
2-इंदिरापुरम क्षेत्र में बागपत निवासी होटलकर्मी की हत्या कर शव वैशाली में फेंका। लोहे की ग्रिल पर लटका मिला था युवक का शव।
3-इंदिरापुरम क्षेत्र में आढ़ती को गोली मारकर लूटे थे 9 लाख।
4-साहिबाबाद में ट्रांसपोर्टर से 1.63 लाख की लूट का मामला।
5-साहिबाबाद में मीट कारोबारी से पिस्टल के बल पर लूटे थे 1.50 लाख।
6-गोविंदपुरम में अमन जूलर्स से 35 लाख की लूट की वारदात।
7-मोदीनगर में बैंक में करोड़ों की चोरी का घटना।
8-लोनी में ग्राम प्रधान के बेटे की घर में घुसकर हत्या।
9-राजनगर में रहने वाले कारोबारी के घर करोड़ों की चोरी का मामला।
10-अनसुलझे हैं कार में लिफ्ट देकर लूटने समेत लूट के कई मामले।
कोट
एसएसपी सुधीर कुमार सिंह का दावा है कि पुलिस बदमाशों की गोली का जवाब गोली से दे रही है। जवाबी कार्रवाई में पुलिस द्वारा चलाई गईं गोलियों से बदमाश घायल हो रहे हैं। जो तस्वीरें सामने आईं हैं वो मौके से हटकर भी हो सकती हैं। जहां तक पेंडिंग घटनाओं के खुलासों का सवाल है उनपर भी पुलिस द्वारा काम किया जा रहा है। घटनाएं जल्द वर्कआउट होंगी।