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हापुड़: घर पर बच्चे को जन्म देने से माँ की जान को हुआ खतरा, तो डॉ ने कैसे बचाई जान!
उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में २२ वर्षीय महिला ने घर में बच्चे को जन्म दिया जिसकी वजह से महिला को हुआ जान का खतरा। सही समय पर अस्पताल लाने से बची जान। नए साल में जहा सारा देश खुशियां मना रहा था वही एक माँ को घर पर बच्चे को जन्म देना भारी पड गया। मामला तब बिगड़ गया जब महिला की हालत तेजी से ख़राब होने लगी। घरेलु उपचार के बाद भी जब महिला की तबीयत में सुधार नहीं हो रहा था तो घरवालों ने तुरंत ही उसे रामा अस्पताल, पिलखुवा-हापुड़ में भर्ती करवाया।
जांच के दौरान पता चला की बच्चे से जुड़ी आवल नाल टूट के माँ के अंदर ही रह गयी थी जिसकी वजह से खून का थक्का जम गया था। आवल नाल गर्भावस्था के दौरान बच्चे को सुरक्षा और पोषण देने का काम करता है। बच्चा और माँ आवल नाल के माध्यम से ही आपस में जुड़े होते है।अल्ट्रासाउंड से महिला के शरीर में प्लेसेंटा(आफ्टर बर्थ कॉर्ड) पाया गया। घर में डिलीवरी होने की वजह से महिला के शरीर में इन्फेक्शन फैल गया था और अत्यधिक रक्तस्राव की वजह से जान का खतरा बन गया था। रिपोर्ट्स में रक्त की कमी, टी ल सी जोकी नॉर्मल 10,000 से कम होना चाहिए वो 37,000 था। यदि महिला को इलाज के लिए अस्पताल लाने में जरा सी भी देरी होती तो जान बचाना मुश्किल हो जाता।
पीड़ित महिला का इलाज करने वाली डॉ परिधि अग्रवाल (गायनोकोलॉजिस्ट रामा अस्पताल) ने कहा:" घरवालों को आवल नाल टूटने की जानकारी थी फिर भी उन्होंने मरीज़ को अस्पताल लाना जरुरी नहीं समझा। जब मरीज़ की हालत ज्यादा ख़राब हुई और अत्यधिक रक्तस्राव के बाद जब वह बेहोश हो गयी तब उसे अस्पताल लाया गया। जांच के दौरान पता चला के आवल नाल शरीर के अंदर है और योनि में इंफेक्शन फ़ैल गया है। अल्ट्रासाउंड से पता चला की योनि के अंदर खून का थक्का बन चूका है और प्लेसेंटा भी पाया गया। खून की कमी होने से मरीज़ बेहोश हो गयी थी और इन्फेक्शन काफी अंदर तक फ़ैल चूका था। यदि मरीज को अस्पताल लाने में जरा सी भी देरी होती तो जान बचाना मुश्किल हो जाता।"
घर पर बच्चे को जन्म देना बच्चे और माँ दोनों की जान को खतरा साबित हो सकता है और इसके सबसे बड़े हत्यारे हैं बच्चे को जन्म देने के बाद होने वाला अधिक रक्तस्राव और इन्फेक्शन।अधिकांश मौतें ऐसी स्थितियों से होती हैं जिन्हें महिलाओं को अपनी गर्भावस्था और जन्म के दौरान सही चिकित्सा देखभाल मिलने से रोका जा सकता है।