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उत्तर प्रदेश के इस कस्बे में HIV के डर के साये में जी रहे हैं 5000 लोग
Arun Mishra
8 Feb 2018 1:04 PM GMT
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एक ही सीरिंज से इंजेक्शन लगाए जाने के कारण यह मामला सामने आया है..
बांगरमऊ : उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में झोलाछाप डॉक्टर की करतूत के कारण करीब 40 लोगों को HIV का संक्रमण होने के बाद यहां एक कस्बे के करीब 5000 लोग एक अजीब तरह के अनजाने डर के साये में जी रहे हैं। हालांकि जिस झोलाछाप डॉक्टर राजेंद्र यादव द्वारा एक ही सीरिंज से इंजेक्शन लगाए जाने के कारण बांगरमऊ तहसील में यह मामला सामने आया है, उसे गिरफ्तार कर लिया गया है, पर जिले के करीब 5000 लोगों की आबादी वाले प्रेमगंज कस्बे में लोग तरह-तरह की आशंकाओं से घिरे हैं।
ऐसे ही एक शख्स दीप चंद (परिवर्तित नाम) को अब पछतावा हो रहा है कि काश वह उस झोलाझाप डॉक्टर के पास नहीं गए होते। कुछ महीनों पहले तक वह पास की ही अनाज मंडी में पलदारी करते थे। कुछ महीनों पहले उन्हें इसमें दिक्कत होने लगी, उन्हें कमर में दर्द रहने लगा, जिसके बाद वह बांगरमऊ में स्टेशन रोड स्थित राजेंद्र यादव के क्लिनिक पर गए। यहीं से उनकी परेशानियां शुरू हुईं। उन्हें यहां अपने दर्द की दवा तो नहीं मिली, पर एक गंभीर बीमारी की चपेट में वह जरूर आ गए, जिसकी वजह उस झोलाछाप डॉक्टर द्वारा एक ही सीरिंज से कई लोगों को इंजेक्शन लगाना बनी।
दरअसल, बांगरमऊ में स्टेशन रोड स्थित राजेंद्र यादव के इस क्लिनिक पर न केवल दीप चंद, बल्कि उस कस्बे में रहने वाले बहुत से लोग पहुंचते रहे हैं, क्योंकि यह उनके लिए किफायती था और यहां दवाओं के लिए बहुत खर्च नहीं करना पड़ता था। लेकिन यह किफायती क्लिनिक उनके लिए अब मुसीबत बन गई। पिछले महीने प्रेमगंज में HIV की जांच के लिए लगे एक शिविर में दीपचंद, उनकी पत्नी और बेटे का टेस्ट पॉजिटिव आया, जिसके बाद इलाज के लिए अब हर रोज उन्हें 50 किलोमीटर दूर कानपुर ART सेंटर जाना पड़ता है। यहां दवाएं और बाकी चीजें नि:शुल्क हैं, लेकिन यहां आने-जाने का खर्च भी उनके लिए परेशानी का एक बड़ा कारण है।
'टाइम्स ऑफ इंडिया' की रिपोर्ट के अनुसार, दीपचंद की 4 बेटियां भी हैं, जिनका टेस्ट उसने बस इसलिए नहीं कराया, क्योंकि वह किसी भी और बुरे नतीजे के लिए तैयार नहीं थे। वह कहते हैं, 'मैं फिट नहीं हूं। मैं अब पहले की तरह नहीं कमा पाता। अगर उनका भी टेस्ट पॉजिटिव आता है तो मैं क्या करूंगा? हां, दवाएं नि:शुल्क हैं, पर मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं कि मैं 6 लोगों को लेकर कानपुर जाऊं-आऊं।'
HIV वायरस के संक्रमण वाले दो और गांव पास के ही चकमीरा और किदमियापुर हैं, जहां इससे संक्रमित लोगों में 70 साल के एक बुजुर्ग से लेकर 6 साल तक की बच्ची भी शामिल है। हालांकि उसके माता-पिता को HIV संक्रमण नहीं है।
रिपोर्ट में गांव के ही एक युवक दीपू का हावाला देते हुए कहा गया है कि राजेंद्र यादव सुबह 9 बजे क्लिनिक खोलता था और रात के 11 बजे तक मरीजों को देखता था। दिनभर में उसके पास करीब 150 मरीज पहुंचते थे, जिनसे वह दवाओं की तीन खुराक और एक इंजेक्शन के लिए महज 10 रुपये लेता था। वह अपने पास एक झोला रखता था और उसी में मेडिकल किट भी होती थी। इस किट में इस्तेमाल में लाई जा चुकी सीरिंज भी होती थी, जिसे वह हैंड-पंप के ही पानी से ही धो लेता था और फिर उसी से किसी अन्य मरीज को इंजेक्शन लगा देता था।
प्रेमगंज पिछले साल नवंबर में स्वास्थ्य अधिकारियों के रडार पर तब आया था, जब इस कस्बे के 13 लोग HIV से संक्रमित पाए गए। उत्तर प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी की ओर से आयोजित जांच शिविर में उनका टेस्ट पॉजिटिव आया। जनवरी में तीन अन्य जांच शिविर भी लगे, जिसमें 25 अन्य लोगों का टेस्ट पॉजिटिव आया। इसके बाद तो यहां के लोगों में डर इस कदर बैठ गया है कि वे अब जांच ही नहीं कराना चाहते।
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