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आंसुओं में डूबी रुकसाना की जिदंगी...?
कौशाम्बी : पिता के कहर का शिकार रुकसाना की जिदंगी नरक हो चुकी है। घुटन भरी जिदंगी जीने को मजबूर रुकसाना रात-दिन आंसू बहाती हैं, लेकिन इन आंसुओं को पोछने वाला कोई नहीं है। उसकी अश्कबार आंखें उसका दर्द चीख-चीख कर बयां कर रहे हैं, लेकिन न तो पिता को सुनाई दे रहा है, न ही रजऊ का पुरवा गांव के लोगों को। रुकसाना को भी नहीं पता है कि आखिर उसे किस गुनाह की यह सजा दी जा रही है। उसकी उम्र की बेटियां गांव में सखी-सहेलियों के साथ दिन भर खेलती-कूदती हैं और वह जिंदा कठपुतली बनी पिता के इशारों पर घर के कोने-कोने नाच रही है।
रुखसाना से जंजीरों में कैद कर रखे जाने की जानकारी लोकल थाने कौशाम्बी को देकर जब हमने उसे इन्साफ दिलाने की कोशिस की तो यहाँ भी यूपी पुलिस का केवल ढुलमुल रवैया ही सामने आया। सूचना पाकर कौशाम्बी थाने के दो पुलिस वाले मौके पर पहुचे, लेकिन वह भी केवल पूंछ-तांछ और कागजी कार्यवाही तक ही सीमित हो कर रह गए। रुखसाना को उसके बेरहम पिता की कैद से आजाद करने की जगह पुलिस वाले कागज़ी कार्यवाही करे मौके से चलते बने।
जानवरों से भी बदत्तर जिंदगी जीने को मजबूर कौशाम्बी की बेटी के मामले पर जब हमने कौशाम्बी के एसपी से सवाल किया तो उन्होंने तस्वीरे देखने के बाद कुछ भी कहने से साफ़ मना कर दिया। जाँच की बात कह कर अपने दफ्तर से उठ कर चले गए।
News Bulletin: बेड़ियों में जकड़ी बेटी, बेरहम पिता की करतूत - पीलीभीत में शवों की दुर्गति
Arun Mishra
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