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उन्नाव गैंग रेप: सबसे घनिष्ठ दोस्त परिवारों में कैसे बनी 18 साल से दुश्मनी, 2002 से 2019 तक की कहानी

Special Coverage News
2 Aug 2019 8:15 AM GMT
उन्नाव गैंग रेप: सबसे घनिष्ठ दोस्त परिवारों में कैसे बनी 18 साल से दुश्मनी, 2002 से 2019 तक की कहानी
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पीडिता के ताऊ और पिता दोनों मारे जा चुके हैं. जबकि पीड़िता का चाचा हत्या की कोशिश के एक मामले में रायबरेली की जेल में दस साल की सजा काट रहा है. और इसी चाचा की पत्नी और साली की भी अब उसी सड़क हादसे में मौत हो चुकी है.

उन्नाव रेप कांड की पीड़िता के परिवार और आरोपी विधायक कुलदीप सेंगर के बीच दुश्मनी का रिश्ता 18 साल पुराना है. यही वजह है कि पीड़िता की चाची और मौसी की मौत का इल्जाम भी विधायक सेंगर के सिर पर है. इससे पहले पीड़िता के ताऊ, फिर पिता की मौत के लिए भी विधायक को ही ज़िम्मेदार ठहराया गया था. यहां तक कि पीड़िता के चाचा को हत्या की कोशिश के मुकदमे में फंसाने के लिए भी साजिश रचने का इल्जाम विधायक सेंगर पर ही है.

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के कड़े फैसले के बाद अब हर कोई जानना चाहता है कि आखिर 18 साल पहले पीड़िता के परिवार और विधायक के बीच रंजिश शुरू कैसे हुई थी? हम आपको बताते हैं. दरअसल, इस कहानी की शुरूआत उन्नाव जिले के माखी गांव से होती है. माखी गांव के सराय थोक मोहल्ला में आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और पीड़ित लड़की का घर है. दोनों घरों के बीच करीब 50 कदम का फासला है.

कहानी में हम आपको कुछ साल पीछे लेकर चलते हैं. माखी गांव के सराय थोक मोहल्ले में तीन भाई रहा करते थे. गुड्डू सिंह, महेश सिंह और पप्पू सिंह. तीनों भाई इलाके में दबंग के तौर पर जाने जाते थे. इन पर कई अलग-अलग मुकदमे भी दर्ज थे. गुड्डू सिंह रेप पीड़ित लड़की का ताऊ था. करीब 15 साल पहले गुड्डू सिंह की गांव में ही लोगों ने पीट-पीट कर हत्या कर दी थी. महेश सिंह पीड़िता का चाचा है, जो इस वक्त रायबरेली जेल में बंद है. उसी से मिलने के लिए रविवार को पीड़िता जेल जा रही थी. जबकि पप्पू सिंह पीड़िता के पिता थे. जिनकी विधायक के भाई और उसके गुर्गों के हाथों पिटाई के बाद 2017 में मौत हो गई थी.

यानी पीड़ित लड़की के ताऊ और पिता दोनों मारे जा चुके हैं. जबकि पीड़िता का चाचा हत्या की कोशिश के एक मामले में रायबरेली की जेल में दस साल की सजा काट रहा है. और इसी चाचा की पत्नी और साली की भी अब उसी सड़क हादसे में मौत हो चुकी है, जिसे लेकर तमाम शक और सवाल उठ रहे हैं.

अब यहां जो सबसे अहम बात है वो ये कि एक ताऊ गुड्डू सिंह की मौत को छोड़ दें तो बाकि हर मौत और चाचा के जेल जाने को लेकर सीधे उंगली विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की तरफ उठ रही है. यहां तक कि रेप का इल्ज़ाम भी उसी के सिर है. और अब इस सड़क हादसे का शक उसी पर जा रहा है. पर ऐसा क्यों? क्यों करीब डेढ़ दशक में एक पूरा परिवार बिखर गया? रेप पीड़ित लड़की के और विधायक के परिवार के बीच क्या कोई पुरानी दुश्मनी है? अगर हां तो किस बात पर?

तो कहानी शुरू होती है 2002 में. तब से पहले तक कुलदीप सिंह सेंगर और पीड़ित लड़की के ताऊ, चाचा और पिता से कुलदीप सिंह सेंगर की खूब बनती थी. सभी का एक-दूसरे के घर आना जाना था. खाना-पीना था. 2002 में जब कुलदीप सिंह सेंगर पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ रहा था, तब पीड़ित लड़की के ताऊ, चाचा और पिता ने सेंगर को चुनाव जितवाने में भरपूर मदद की थी.

मगर पहली बार विधायक बनने के बाद कुलदीप सिंह सेंगर ने अचानक तीनों भाइयों से किनारा करना शुरू कर दिया. इसके बाद दोनों परिवारों के बीच दरार पड़नी शुरू हो गई. धीरे-धीरे ये दरार आपसी रंजिश में बदल गई. इसी बीच ग्राम प्रधान का चुनाव आ गया. तब सेंगर को सबक सिखाने के लिए पीड़ित लड़की के ताऊ गुड्डू सिंह ने खुद प्रधानी का चुनाव लड़ने का फैसला किया.

उधर, दूसरी तरफ विधायक सेंगर की मां चुन्नी देवी प्रधानी का चुनाव लड़ रही थीं. तब पहली बार था, जब दोनों परिवार आमने-सामने थे. हालांकि चुनाव से ऐन पहले कुलदीप सिंह सेंगर ने गुड्डू सिंह के मुकदमों को हथियार बना कर उसकी उम्मीदवारी खारिज करा दी. लिहाज़ा अब गुड्डू सिंह की जगह उसके करीबी देवेंद्र सिंह की मां को चुनाव में उतार दिया गया. इसी प्रधानी के चुनावी प्रचार के दौरान पीड़ित लड़की चाचा महेश सिंह और सेंगर और उसके भाइयों के बीच झड़प हो गई. गोली भी चली. जिसमें कई लोग घायल हो गए. बाद में विधायक सेंगर की तरफ से पुलिस ने महेश सिंह के खिलाफ हत्या की कोशिश का मामला दर्ज किया.

इसी बीच इन दो परिवार के बीच की आपसी दुश्मनी में पहला कत्ल पीड़िता के ताऊ गुड्डू सिंह की हुई थी. गांव में ही कुछ लोगों ने ईंट-पत्थरों से हमला करे उसे मार दिया था. उसकी हत्या की साजिश रचने का इलज़ाम गुड्डू के घर वालों ने तब विधायक कुलदीप सेंगर पर ही लगाया था. गुड्डू सिंह की मौत के फौरन बाद पीड़ित लड़की का चाचा महेश उन्नाव छोड़ कर गायब हो गया. फिर करीब 17 साल बाद 2018 में उसे दिल्ली के करीब से पकड़ा गया और अब उसी मामले में वो रायबरेली जेल में दस साल की सजा काट रहा है.

4 जून 2017 को 17 वर्षीय पीड़िता ने इल्ज़ाम लगाया कि विधायक सेंगर ने अपने घर पर उसकी अस्मत लूटी. इस इल्ज़ाम के बाद विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के भाई अतुल सिंह और उसके साथियों ने पीड़ित लड़की के पिता पप्पू सिंह को बुरी तरह पीटने के बाद पुलिस को सौंप दिया था. तब पिता पप्पू सिंह ने कहा भी था कि उन्हें फर्जी मामले में फंसाया जा रहा है. लेकिन पुलिस ने फिर भी आर्म्स एक्ट का मुकदमा दर्ज कर पप्पू सिंह को जेल भेज दिया. जहां दो दिन बाद ही उनकी मौत हो गई. ये दोनों परिवारों के बीच रंजिश में हुई दूसरी मौत थी.

और अब पीड़ित परिवार के परिवार में दो और मौत हो गई. एक चाची और दूसरी चाची की बहन की. चाची भी इस मामले में विधायक सेंगर के खिलाफ अहम गवाह थीं. जबकि खुद पीड़ित लड़की की हालत नाजुक बनी हुई है. ज़ाहिर है मामला सिर्फ रेप तक नहीं है. बल्कि ये एक पूरे परिवार के उजड़ने और उसे उजाड़ने का मामला है. इस पूरे केस की जड़ विधायक कुलदीप सिंह सेंगर का नाम आता है.

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