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17 OBC जातियों के SC में शामिल करने पर जमकर बरसीं मायावती, योगी सरकार के साथ सपा पर भी बोला हमला
जब सरकार जानती है कि इन 17 जातियों को अनुसूचित जाति का लाभ नहीं मिल सकता है तो सरकार ने ऐसा फैसला क्यों किया? इससे साफ है कि योगी सरकार ने सपा सरकार की तरह इन 17 जातियों को धोखा देने के लिए ये आदेश जारी किया है।
BSP Chief Mayawati on UP Govt adds 17 OBC castes in SC category:
— ANI UP (@ANINewsUP) July 1, 2019
It's a fraud with people belonging to these 17 castes, as they won't receive the benefits of any of the categories as UP govt will not treat them as OBCs. (1/2) pic.twitter.com/NMGM92JHPX
मायावती ने सोमवार को मीडिया से बातचीत में कहा, 'संविधान के अनुच्छेद 341 के भाग दो में कहा गया है कि अधिसूचना को बदलने का अधिकार केवल संसद को है। योगी सरकार का यह आदेश पूरी तरह से गैर-कानूनी और असंवैधानिक है। सरकार यह अच्छी तरह से जानती है कि 17 जातियों को यह लाभ नहीं दे पाएगी, फिर भी उसने ऐसा किया है।'
उन्होंने कहा, 'योगी सरकार 17 जातियों को पूर्ववर्ती एसपी सरकार की तरह से केवल धोखा दे रही है। ये 17 जातियां अब जनरल में आ जाएंगी क्योंकि राज्य सरकार ने इन 17 जातियों ओबीसी से हटा दिया है।' मायावती ने कहा कि हमारी पार्टी ने इस तरह के आदेश का पहले भी विरोध किया था। यही नहीं हमारी पार्टी ने 2007 की अपनी सरकार के दौरान इन 17 जातियों को एससी की सूची में जोड़ने के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार से कहा था। साथ ही एससी का कोटा भी बढ़ाने का अनुरोध किया था।
योगी सरकार ने असंवैधानिक आदेश जारी किया
बीएसपी अध्यक्ष ने कहा, 'मैंने खुद कई बार संसद में इसकी मांग की है ताकि नई जातियों को जोड़े जाने के बाद एससी कैटिगरी में शामिल पहले की जातियों को इसका नुकसान न हो। अब तक कांग्रेस या वर्तमान बीजेपी सरकार ने इस संबंध में कुछ नहीं किया।' मायावती ने कहा कि योगी सरकार ने असंवैधानिक आदेश जारी किया है। इसे कोर्ट ने पहले भी नकारा है। योगी सरकार ने इन 17 जातियों को धोखा दिया है और संविधान की धज्जियां उड़ाने का काम किया है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने निषाद, मल्लाह और राजभर समेत 17 जातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने का फैसला किया है। सरकार ने इसके लिए आदेश जारी कर दिया है। हालांकि समाज कल्याण विभाग द्वारा जारी किए गए आदेश में कहा गया है कि यह फैसला कोर्ट के अंतिम आदेश के अधीन होगा। यानी अगर कोर्ट का अंतिम निर्णय इन जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल न करने का आता है, तो फिर से इन्हें अनुसूचित जाति के दायरे से बाहर कर दिया जाएगा। जबकि अगर कोर्ट इन्हें अनुसूचित जाति में बरकरार रखने को कहता है तो उनका यह स्टेटस जारी रहेगा।
इन जातियों को किया शामिल
जिन 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की बात है, उनमें कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिंद, भर, राजभर, धीमर, बाथम, तुरहा, गोडिया, मांझी व मछुआ शामिल हैं। इन जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की कवायद नई नहीं है। यह करीब बीते दो दशक से जारी है। एसपी और बीएसपी सरकार में भी इन जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का फैसला लिया गया था, लेकिन तब भी बात नहीं बन सकी थी।