लखनऊ

राज्यपाल कल्याण सिंह का 87वां जन्मदिन आज, सीएम योगी ने दी बधाई

Special Coverage News
5 Jan 2019 7:11 AM GMT
राज्यपाल कल्याण सिंह का 87वां जन्मदिन आज, सीएम योगी ने दी बधाई
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उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह का आज 87वें जन्मदिन पर सीएम योगी ने दी बधाई. लखनऊ में उनके जन्मदिन लगा भीड़ का ताँता.

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री और हिन्दू हृदय सम्राट कल्याण सिंह का आज 87वां जन्मदिन है। कल्याण वर्तमान में राजस्थान के राज्यपाल हैं। सिंह अपना जन्मदिन मनाने के लिए लखनऊ पहुंच गए हैं। एक बार फिर से वह अपने पुराने मॉल एवेन्यू वाले बंगले में रुकेंगे। कल्याण सुबह 11 बजे 87 किलो का केक काटेंगे। दोपहर 12 बजे समाज की ओर से सम्मान समारोह होगा। कल्याण सिंह का राजनीतिक जीवन काफी उठा-पटक वाला रहा है।

कल्याण सिंह का राजनीतिक जीवन शुरु होता है, 1962 में। जब 30 साल की उम्र में लोध समाज के कल्याण अलीगढ़ की अतरौली सीट से जनसंघ के टिकट पर चुनाव लड़े। मगर कल्याण ये चुनाव हार गए। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी, पांच साल बाद फिर चुनाव हुए, जिसमें सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी को 4,000 वोटों से हरा दिया। इसके बाद वो यहां से 8 बार विधायक बने। कल्याण बड़े आराम से जनसंघ में पिछड़ी जातियों का चेहरा बन गए थे। 1977 में जब जनता सरकार बनी तो इसमें पहली बार पिछड़ी जातियों का वोट शेयर लगभग 35 प्रतिशत था।


मंडल-कमंडल राजनीति के सिंबल कल्याण सिंह

1967 से लेकर 1980 तक कल्याण लगातार विधायक रहे। 1980 में वे कांग्रेस के अनवर खां से हार गए। 1985 में कल्याण सिंह भाजपा के टिकट से लड़ कर फिर से विधायक बन गए। जिसके बाद वे 2004 तक लगातार विधायक रहे। 1989-90 में जब देश में मंडल और कमंडल की सियासत शुरू हुई। तब आधिकारिक तौर पर पिछड़े वर्ग की जातियों का कैटेगराइज़ेशन हुआ और पिछड़ों की सियासी ताकत पहचानी गई। जिसके बाद बनिया और ब्राह्मण की पार्टी कही जाने वाली भाजपा ने कल्याण को पिछड़ों का चेहरा बनाया।

ऐसे बने मुख्यमंत्री

30 अक्टूबर, 1990 को यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने कारसेवकों पर गोली चलवा दी थी। यूपी प्रशासन कारसेवकों के साथ सख्त रवैया अपना रहा था। ऐसे में बीजेपी ने मुलायम का मुकाबला करने के लिए कल्याण को आगे किया। बीजेपी में अटल बिहारी बाजपेयी के बाद कल्याण सिंह दूसरे ऐसे नेता थे, जिनके भाषणों को सुनने के लिए लोग बेताब रहते थे। कल्याण सिंह के इसी करिश्मे से 1991 में भाजपा ने अपने दम पर यूपी में सरकार बना ली। सिंह यूपी में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री बने।


राम मंदिर के कारण गवानी पड़ी सत्ता

90 के दशक में देश में राम मंदिर आंदोलन काफी तेजी से फैलता जा रहा था। पूरे देश से कारसेवक अयोध्या में इकट्ठे हो रहे थे। कारसेवकों ने अयोध्या में विवादित बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद वहाँ श्री राम का एक अस्थायी मन्दिर निर्मित कर दिया था। सिंह ने बाबरी मस्जिद विध्वंस की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुये 6 दिसम्बर 1992 को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया था।


भाजपा में होते रहे अंदर-बाहर

कल्याण सिंह की दोस्त आजमगढ़ की कुसुम राय 1997 में भाजपा के टिकट पर लखनऊ के राजाजीपुरम से सभासद का चुनाव जीतकर आई थीं। कुसुम के ऊपर कल्याण मेहरबान थे, जिसके चलते वे बड़े-बड़े फैसले बदल देती थीं। इस कारण भाजपा के अंदर कल्याण के खिलाफ बगावत होने लगी। सिंह के रिश्ते अटल जी और आडवाणी जी से खराब हो गए, जिसकी वजह से उन्हें 1999 में पार्टी से निकाल दिया गया।


2002 में उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव कल्याण ने अपने दम पर राष्ट्रीय क्रांति पार्टी से लड़ा। 2004 में कल्याण ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी के आमंत्रण पर भाजपा में वापसी कर ली। 2004 के आम चुनावों में उन्होंने बुलन्दशहर से भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा और संसद पहुंचे। इसके बाद 2009 में अपनी उपेक्षा का आरोप लगाते हुए फिर से भाजपा छोड़ कर सपा के मुलायम सिंह यादव से नजदीकियां बढा लीं। उस लोकसभा चुनाव में एटा लोकसभा से बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ा और सपा के सहयोग से चुनाव जीत लिया, मगर यह दोस्‍ती ज्‍यादा नहीं चली और 2013 में फिर से भाजपा में गए। फिर भाजपा सरकार बनने के बाद 2014 में कल्याण सिंह को राजस्थान का राज्यपाल बना दिया गया।

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