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- बाबरी मस्जिद और...
बाबरी मस्जिद और रामजन्म भूमि विवाद पर जमीरूद्दीन शाह ने किया खुलासा, सुनकर कांग्रेस की उड जायेंगे तोते!
राज्य मुख्यालय लखनऊ। बाबरी मस्जिद और राम जन्मभूमि के विवाद को लेकर समय-समय पर दोनों ही पक्ष इस प्रयास में लगे रहते है कि किसी तरह यह विवाद आपसी भाईचारे के साथ निपट जाए लेकिन यह विवाद इतना जटिल बना दिया गया कि निपटाने का फ़ार्मूला काम ही नही करता। लखनऊ के होटल हयात में इंडियन मुस्लिम फ़ॉर पीस के सम्मेलन अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल जमीरउद्दीन शाह ने बोलते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट को साफ-साफ फैसला देना चाहिए, पेशबंदी वाला फैसला बिल्कुल नहीं देना चाहिए क्योंकि अगर सुप्रीम कोर्ट मुसलमानों के हक़ में फैसला देता है तो मुसलमानों को चाहिये की वो इस ज़मीन को हिंदुओ को अपनी मर्जी से दे दें।
लड़ाई झगड़े और फसाद से बचने के लिए आपसी सहमति से ज़मीन हिंदुओ को दे देनी चाहिए।सेमिनार में रिटायर्ड आईएएस अनीस अंसारी, बी.डी. नक़वी, मशहूर कॉर्डिलोजिस्ट मंसूर हसन, बी.एन. राय, सहित कई बुद्धजीवियों ने अपने विचार रखे। अनायास अन्सारी ने कहा कि 1992 में बाबरी मस्जिद को शहीद करने वाले दोषियों के मुकदमों की सुनवाई जल्दी-जल्दी करके उनको सजा दी जाए। अलीगढ मु्स्लिम यूनिवर्सिटी के कुलपति रहे जमीरूद्दीन शाह ने कहा कि हम हिंदुस्तान में अमन रहे इसके पक्षधर है। इससे पूर्व भी बहुत से प्रयास किए गए लेकिन कोई कामयाब नही हुआ पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चन्द्रशेखर ने भी प्रयास किए थे उस टाइम यह विवाद निपट गया था दोनों पक्ष चन्द्रशेखर के फ़ार्मूले से सहमत हो गए थे लेकिन तब बिहार के एक मौलवी किसी बात पर अड गए थे कहा तो यही जाता है कि राजीव गांधी ने उन्हें इस बात पर राज़ी कर लिया था कि कि ये मामला अभी नही निपटना चाहिए क्योंकि कही इसका क्रेडिट पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर को न मिल जाए बस इतनी सी बात थी इतना काम करने के बाद उस मौलवी को विधान परिषद का सदस्य बतौर इनाम बना दिया गया था ऐसा लोगों का मानना है हो सकता है वैसे ही कांग्रेस ने भेज दिया हो ये कोई नई बात नही है इनाम भी मिलते और शख़्सियत के नाम पर भी चले जाते है ख़ैर बेनतीजा रही बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर ने कहा था कि इसके बाद कोई दूसरा चन्द्रशेखर नही मिलेगा जो दोनों पक्षों को बैठाकर मामले को निपटाने की बात करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने भी चाह की मामले का हल बातचीत से हो जाए तो बेहतर है लेकिन नही हो पाया माना जा रहा है कि बहुत जल्द यानी इसी महीने में इस विवादित मामले पर फ़ैसला आ जाएगा वो किसके पक्ष और किसके विपक्ष में होगा ये बात अपनी जगह है जहाँ तक सुप्रीम कोर्ट का मानना है वो इसकी सुनवाई एक ज़मीनी विवाद मानकर कर रहा है न कि आस्था का केन्द्र जिसके बाद ये बात साफ हो जाती है कि फ़ैसला मुसलमान के पक्ष में आए क्योंकि काग़ज़ी आधार पर मुसलमान का पक्ष मजबूत माना जा रहा है ये बात अलग है कि सुप्रीम कोर्ट क्या फ़ैसला दे टाइटल सूट पर फ़ैसला मुसलमानों के पक्ष में और आस्था पर फ़ैसला हिन्दूओं के पक्ष में आने की संभावना जताई जा रही है।
इसी को ध्यान में रखते हुए मुस्लिम फ़ॉर पीस संस्था के बुलावे पर होटल हयात में जुटे मुस्लिम बुद्धिजीवी शहीद की गई बाबरी मस्जिद की ज़मीन राम मंदिर के लिये देने को लेकर भी हुई चर्चा रिटायर्ड आईएएस अनीस अंसारी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सटी के पूर्व VC जमीरउद्दीन शाह रिटायर्ड आईपीएस विभूति नारायण रॉय मशहूर कार्डियोलाजिस्ट डॉक्टर मंसूर हसन रिटायर्ड आईपीएस निसार अहमद रिटायर्ड आईएएस एसएटी रिज़वी रिटायर्ड जज बीडी नकवी आदि ने अपनी-अपनी राय रखी।