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NRC पर मायावती का बयान, बीजेपी व आरएसएस की संकीर्ण विभाजनकारी नीतियों का ही यह परिणाम है

बसपा सुप्रीमों मायावती
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बसपा सुप्रीमों मायावती
बीजेपी शासित असम राज्य में नागरिकता रजिस्टर के अन्तिम मसौदा के प्रकाशन के बाद बरसों से वहाँ रह रहे 40 लाख से अधिक धार्मिक व भाषाई अल्पसंख्यकों की नागरिकता को ही समाप्त करके बीजेपी की केन्द्र व असम सरकार ने अपना स्थापना के संकीर्ण व विभाजनकारी राजनीतिक मकसद को प्राप्त कर लिया हैं, परन्तु इससे देश भर में जो नई उन्मादी समस्या पैदा हो रही है उसके दुष्प्रभाव को संभालना बहुत ही मुश्किल होगा। बीजेपी शासित असम राज्य में 'नेशनल रजिस्टर आफ सिटिजन्स' (एन.आर.सी.) के कल प्रकाशन के बाद 40 लाख से अधिक धार्मिक व भाषाई अल्पसंख्यकों की नागरिकता को लगभग समाप्त कर दिया गया है और इस प्रकार केन्द्र व असम में अपनी स्थापना का एक प्रमुख उद्देश्य बीजेपी एण्ड कम्पनी ने प्राप्त कर लिया है, यह लोगों का मानना है।


मायावती ने आज एक बयान में कहा कि असम राज्य में बरसों से रहने के बावजूद अगर वे लोग अपनी नागरिकता के सम्बन्ध में कोई ठोस सबूत नहीं दे पाये हैं, तो इसका यह मतलब नहीं है कि उन लोगों से उनकी नागरिकता ही छीन ली जाये और उन्हें देश से बाहर निकालने का जुल्म ढाया जाये। इन प्रभावित लोगों में धार्मिक अल्पसंख्यकों में ज्यादातर बंगाली मुसलमान हैं तथा भाषाई अल्पसंख्यकों में बंगला बोलने वाले गै़र-मुस्लिम बंगाली हैं। इसीलिये बंगाल में भी इसका दुष्प्रभाव काफी ज्यादा पड़़ने वाला है परन्तु बीजेपी एण्ड कम्पनी इसका भी फायदा लेने का प्रयास कर रही हैं।
बीजेपी व आर.एस.एस. की संकीर्ण विभाजनकारी नीतियों का ही यह परिणाम है कि असम में आज ऐसा अनर्थ परिणाम आया है तथा 31 दिसम्बर 2018 को अन्तिम सूची के प्रकाशन के बाद यह देश के लिये एक ऐसा उन्माद व सरदर्द बनकर उभरेगा, जिससे निपट पाना बहुत ही मुश्किल होगा।
असम के नागरिकता रजिस्टर के प्रकाशन के मामले में पूरी तरह से मासूम व निर्दोष बनने के बीजेपी के प्रयास की तीखी आलोचना करते हुये मायावती ने कहा कि इस मामले में सब कुछ माननीय न्यायालय पर थोपना गलत है, क्योंकि बीजेपी की केन्द्र व राज्य सरकारें पवित्र संविधान व माननीय न्यायालय के आदेशों की कितनी अवहेलना कर रही है यह आज सारा देश देख रहा है और इसकी खुलेआम अवमाननाओं पर काफी ज्यादा चिन्तित भी है। ताज़ा मामला न्यायाधीशों की नियुक्ति व ताजमहल को संरक्षित रखने का है जिसके सम्बन्ध में माननीय उच्चतम न्यायालय को बार-बार बीजेपी सरकारों को फटकार लगानी पड़ रही है।
मायावती ने कहा कि बीजेपी व आर.एस.एस. एण्ड कम्पनी द्वारा पूरे देश में खासकर दलितों, आदिवासियों, अन्य पिछडे़ वर्गों व धार्मिक अल्पसंख्यकों को हर प्रकार से अपनी संकीर्ण, जातिवादी, साम्प्रदायिक एवं विभाजनकारी नीति का शिकार बनाने का अभियान जारी रखे हुये हंै और इस क्रम में गै़र-भाजपा शासित राज्यों को भी खास निशाना बनाकर राजनीति की जा रही है। इससे कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक देश की जनता त्रस्त है।
वैसे भी उत्तर प्रदेश में खासकर दलितों, आदिवासियों, अन्य पिछड़े वर्गों एवं धार्मिक अल्पसंख्यकों में खासकर मुसलमानों के खिलाफ इनका जातिवादी, धार्मिक द्वेषपूर्ण व राजनीति के साथ-साथ सरकारी मशीनरी का भी घोर दुरुपयोग करना लगातार जारी है। इनके लोगों के खिलाफ धड़ल्ले से गैंगेस्टर व अन्य कानूनों के तहत् कार्रवाई करके इन्हें जेल भेजा जा रहा है जबकि वास्तविक अपराधियों को जातिगत व धार्मिक आधार पर छोड़ दिया जा रहा है।
इसी क्रम में विशेषकर बी.एस.पी के मजबूत गढ़ पश्चिम उत्तर प्रदेश में बी.एस.पी. के लोगों पर सरकारी जुल्म-ज्यादती व अन्याय-अत्याचार के पहाड़ तोड़ने का प्रयास अभी भी लगातार जारी है। मेरठ में बी.एस.पी. की मेयर के पति व पूर्व विधायक योगेश वर्मा को फर्जी मुकदमों में जेल में डाल दिया गया है। वे काफी लम्बे समय से जेल में हैं। उन पर दिनांक 02 अप्रैल के ''भारत बन्द'' के सम्बन्ध में बीजेपी सरकार अपना सारा गुस्सा निकालना चाहती है।
दूसरी तरफ सहारनपुर में बी.एस.पी. के विधायक महमूद अली व इनके भाई मोहम्मद इकबाल पूर्व एम.एल.सी. आदि को भी गैंगेस्टर एक्ट आदि में फंसाया जा रहा है तथा इनके समस्त परिवार वालों व नाते-रिश्तेदारों पर सरकारी आतंक का जुल्म ढाया जा रहा है, जिसकी बी.एस.पी. तीव्र निन्दा करती है। सही मामलों में हमारी पार्टी कानूनी कार्रवाई का कोई विरोध नहीं करती है, परन्तु राजनीतिक, जातिगत व धार्मिक द्वेष एंव भेदभाव के तहत् सरकारी आतंक फैलाना व उसके पूरे परिवार व नजदीकी रिश्तेदारों को शिकार बनाने का बीजेपी सरकार का यह रवैया बहुत ही ज्यादा गलत है। इसका बी.एस.पी. पुनः कड़ा विरोध करती है तथा इस सम्बन्ध में पार्टी का एक प्रतिनिधिमण्डल भी सम्बंधित ज़िला प्रशासन से मिलकर इसका विरोध भी दर्ज करेगा।
इतना ही नहीं बल्कि इससे पहले बीजेपी व आर.एस.एस. एण्ड कम्पनी ने ख़ासकर उत्तर प्रदेश में दलितों की एकता व एकजुटता को प्रभावित करने के लिये घिनौनी साजिश करके पर्दे के पीछे से ''भीम आर्मी'' का गठन करवाया और फिर अपने राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति के लिये इसकी आड़ में सहारनपुर के शब्बीरपुर गाँव में बी.एस.पी. के सर्वोच्च नेतृत्व की हत्या करवाने की घिनौनी साजिश रची गयी और फिर वहाँ के दलितों पर अनेकों प्रकार की जुल्म-ज्यादती की गई जबकि असली अभियुक्तों को बीजेपी सरकार अभी तक भी सरकारी संरक्षण देती रही है, जिसको संसद में समुचित तौर पर नहीं रखने देने के विरोधस्वरूप ही फिर मायावती को दिनांक 18 जुलाई 2017 को राज्यसभा से इस्तीफा तक भी देना पड़ा था, यह बात भी सर्वविदित है।
इसलिए बीजेपी की केन्द्र व राज्य सरकारों पर देश के खासकर दलितों, आदिवासियों, अन्य पिछड़े वर्गों एवं धार्मिक अल्पसंख्यकों में से खासकर मुस्लिम समाज के लोगों को भरोसा कतई भी नहीं करना चाहिये कि वे उनके हित व कल्याण की रत्तीभर भी परवाह करेगी। अब लोकसभा के चुनावी वर्ष में तो ये और भी ज्यादा इन पर जुल्म-ज्यादती करेगी। इसके साथ-साथ यह भी स्पष्ट है कि इन वर्गों के मामले में बीजेपी वाले जो कहते हैं, करते ठीक उसका उल्टा हैं।
उन्होंने चार बातें प्रमुखता से कहीं
(1) केन्द्र सरकार से तत्काल सर्वदलीय बैठक बुलाकर इसके सम्बंध में आवश्यक प्रभावी सुधारात्मक कार्रवाई करने की माँग।
(2) केन्द्र सरकार माननीय न्यायालय का सहारा लेकर इस मामले को टालने व और ज़्यादा उलझाने का प्रयास ना करे क्योंकि बीजेपी की केन्द्र व राज्य सरकारें मा. न्यायालय के निर्देशों की लगातार कितनी ज़्यादा अवहेलना कर रही हैं यह पूरा देश देख रहा है और इससे काफी ज़्यादा चिन्तित भी है।
(3) बीजेपी व इनकी सरकारों की संकीर्ण, जातिवादी, साम्प्रदायिक व विभाजनकारी नीति के कारण कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक देश में हर तरफ अफरातफरी व अराजकता के माहौल से आमजनता त्रस्त व उसके जनजीवन पर इसका काफी ज़्यादा बुरा प्रभाव। ख़ासकर उत्तर प्रदेश भी इससे काफी प्रभावित।
(4) इसी कारण बी.एस.पी. के मज़बूत गढ़ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ख़ासकर दलितों व मुसलमानों व इनके नज़दीकी नाते-रिश्तेदारों पर सरकारी आतंक का कहर व इनके लोगों पर जबर्दस्ती गैंगस्टर आदि कानून लगाकर जेल में डाला जा रहा है। ऐसी द्वेषपूर्ण जातिवादी, धार्मिक व राजनीतिक कार्रवाई तत्काल बन्द हो. बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने चार मुख्य बातें की।
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